वेंकट कृष्ण बी। श्रीराग ने सोमवार (24 मार्च) की सुबह जब विग्नेश पुथुर को फोन किया तो उन्होंने एक सेकंड भी बर्बाद किए बिना वह सवाल पूछ लिया, जो रविवार (23 मार्च) रात से ही सभी के जेहन में कौंध रही थी। श्रीराग ने बताया, “एड्डा, पुल्ली एन्था दा परंचू? (एमएस धोनी ने क्या कहा) मैंने सबसे पहले यही पूछा क्योंकि मेरे माता-पिता भी यह जानने के लिए उत्सुक थे।”
चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के खिलाफ मुंबई इंडियंस(MI) के लिए विग्नेश के शानदार डेब्यू के बाद धोनी को उनसे बात करते और उनकी पीठ थपथपाते हुए देखा गया। धोनी ने विग्नेश से क्या कहा? श्रीराग ने सस्पेंस खत्म करते हुए बताया, “धोनी ने उनसे पूछा कि उनकी उम्र कितनी है और विग्नेश से कहा कि वे वही काम करते रहें, जिससे वह आईपीएल में आए हैं।”
कौन हैं श्रीराग
धोनी वाला सवाल लगभग हर किसी ने 24 वर्षीय विग्नेश के पिता बाबू से भी पूछा , जो मलप्पुरम के पेरिंथलमन्ना शहर के कुन्नापल्ली इलाके में ऑटो रिक्शा चालक हैं। शहर में बहुत कम लोग विग्नेश उनके करीबी दोस्त श्रीराग को जानते हैं। वह कलाई के स्पिनर को अपनी बाइक पर ट्रेनिंग सेशन और मछली के लिए मशहूर रेस्टोरेंट में ले जाते हैं।
शर्मीला लड़का
श्रीराग ने कहा, “अगर आप उससे बात करेंगे तो आपको यकीन नहीं होगा कि उसमें इतनी प्रतिभा है। वह बहुत शर्मीला लड़का है और इंट्रोवर्ट है। ज्यादा बात नहीं करता…लेकिन जब गेंद हाथ में होती है तो वह बिल्कुल अलग दिखता है। दुनिया को बीती रात यह देखने को मिला।” विग्नेश के बचपन के कोच सीजी विजयकुमार भी यही राय रखते हैं। वे विग्नेश को तब से गेंदबाजी करते हुए देख रहे हैं जब वह 10 साल के थे और कोलकाता नाइट राइडर्स की जर्सी पहनते थे, जिस पर पीछे गौतम गंभीर का नाम छपा था।
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फर्स्ट इंप्रेशन
विजयकुमार ने कहा, “जब कोई बच्चा हमारी एकेडमी से जुड़ता है तो हम उसे हमेशा हर चीज आजमाने देते हैं… बल्लेबाजी, विकेटकीपिंग, तेज गेंदबाजी, स्पिन। लेकिन विग्नेश शुरू से ही रिस्ट स्पिन करता था क्योंकि उसकी कलाई रबर जैसी थी और एक्शन बहुत बढ़िया था। कलाई से स्पिन करना एक कला है और इसे सीखने के लिए उसके पास सब कुछ था। फर्स्ट इंप्रेशन हमेशा मायने रखता है और देखिए उसने चेन्नई में क्या किया।”
कैसे बने चाइनमैन स्पिनर
विग्नेश के पड़ोसी शरीफ ने ही सबसे पहले कलाई से स्पिन गेंदबाजी करने का विचार दिया था। एज ग्रुप लेवल के बाद खेलना छोड़ने वाले शरीफ ने कहा, “हम साथ में खेलते थे। मुझे लेग स्पिन गेंदबाजी करना पसंद था, लेकिन मैं इसे नहीं कर सकता था। इसलिए मैंने उसे इसे आजमाने के लिए कहा और टेनिस बॉल से भी उसे अच्छा टर्न मिल रहा था। मैं उसे कैंप में ले जाने के लिए दृढ़ था और उसके माता-पिता से भी कहा कि अगर वह गंभीरता से क्रिकेट खेलना शुरू कर देगा, तो वह अच्छा प्रदर्शन करेगा।”
अंडर-23 स्तर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा
ढेरों विकेट लेने के बाद विग्नेश को केरल की एज ग्रुप टीम में मौका मिल गया। हालांकि, सीनियर कैप नहीं मिला है। मुंबई इंडियंस ने फिर भी नीलामी में उन्हें खरीदा। यह बताता है कि उन्हें उनमें कितनी संभावनाएं दिखती हैं। विजयकुमार हैरान नहीं हैं। उन्होंने कहा “अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो अंडर-23 स्तर पर उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, जिसकी वजह से वे केरल की टीम में जगह नहीं बना पाए। वे थोड़ा संघर्ष कर रहे थे, लेकिन मुझे पूरा भरोसा था कि यह सिर्फ उनके फॉर्म की वजह से था। मैंने उनके वीडियो श्री बालचंद्रन को भी भेजे, जो केरल के सबसे सीनियर कोच हैं और उन्हें भी कुछ गलत नहीं लगा। यह सिर्फ समय की बात थी और शुक्र है कि मुंबई इंडियंस के स्काउट्स ने विकेट के आधार पर नहीं सोचा। उन्होंने सिर्फ उनकी क्षमता के आधार पर सोचा।”
एज ग्रुप में ही गुगली और फ्लिपर करने लगे
15 साल की उम्र में विग्नेश जॉली रोवर्स फर्स्ट इलेवन के लिए खेल रहे थे, जिसकी कप्तानी केरल के पूर्व खिलाड़ी शबीन पाशा करते थे। एज ग्रुप के स्तर पर उन्होंने गुगली के साथ-साथ फ्लिपर भी विकसित किया और लगातार विकेट चटकाए। विजयकुमार की तरह, पाशा भी हैरान थे कि विग्नेश को केरल क्रिकेट लीग में एक भी सीजन में सफल नहीं रहे, लेकिन जिस तरह से उन्होंने वापसी की उससे वे प्रभावित थे।
अस्थमा की समस्या
पाशा ने कहा, “उन्हें अस्थमा की थोड़ी समस्या थी और केसीएल के समय उन्हें नहीं लगता था कि वे अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में है। एमआई स्काउट्स ने उनकी विशिष्टता को पहचाना और जब वे ट्रायल के लिए गए तो हमें थोड़ा भरोसा था कि उन्हें नीलामी में खरीदा जाएगा क्योंकि उनके पास वह सब कुछ था जो टी20 में सफल होने के लिए चाहिए।”