भारतीय क्रिकेट के ‘हिटमैन’ रोहित शर्मा की बल्लेबाजी का जादू किसी से छिपा नहीं है। उनकी शानदार टाइमिंग, लाजवाब शॉट्स और मैदान पर सहजता ने उन्हें विश्व क्रिकेट में एक अलग मुकाम दिलाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोहित का सबसे घातक हथियार, उनका फेवरेट ‘पुल शॉट’, कैसे उनकी बल्लेबाजी का हिस्सा बना? हाल ही में एक चैनल को दिए इंटरव्यू में रोहित ने अपने इस खास शॉट की कहानी साझा की, जो उनके बचपन की कंक्रीट पिचों से शुरू हुई और आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी पहचान बन चुकी है।
बचपन की कंक्रीट पिचों का स्कूल
रोहित ने बताया कि उनकी क्रिकेट की शुरुआत मुंबई की कंक्रीट पिचों पर हुई, जहां खेलने का अंदाज बिल्कुल जुदा था। 10-12 साल की उम्र में जब हेलमेट का इस्तेमाल आम नहीं था, रोहित और उनके दोस्तों का एक ही मंत्र था, “आज इस बॉलर को फोड़ देना है!” रोहित ने हंसते हुए कहा, “हमारी सोच यही थी कि आज इस बॉलर को बहुत मारूंगा।” उस दौर में गेंदबाज अक्सर पीछे से तेज गेंदें फेंकते थे और कंक्रीट की सख्त सतह पर गेंद तेजी से बल्लेबाज की ओर आती थी। ऐसे में गेंद को छोड़ने या डिफेंड करने का समय कम ही मिलता था।
रोहित के मुताबिक “कंक्रीट पर गेंद इतनी तेज आती थी कि हमें बैकफुट पर जाकर खेलना पड़ता था। वहां मजबूरी थी कि गेंद को पुल करना ही है।” इस मजबूरी ने धीरे-धीरे उनकी तकनीक को तराशा और पुल शॉट उनकी बल्लेबाजी का अभिन्न हिस्सा बन गया।
हेलमेट नहीं, हिम्मत थी साथ
रोहित ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि बिना हेलमेट के खेलना अपने आप में एक चुनौती था। गेंदबाज अक्सर ऊंची गेंदें फेंककर बल्लेबाज को आउट करने की कोशिश करते थे। लेकिन रोहित ने इस डर को अपनी ताकत में बदला। “हेलमेट नहीं था, तो बल्ला लाना ही पड़ता था। कंक्रीट पर गेंद को छोड़ने का समय नहीं मिलता था। बैकफुट पर जाकर पुल शॉट खेलना हमारी आदत बन गई।”
इस लगातार अभ्यास ने रोहित के बैकफुट गेम को इतना मजबूत किया कि आज वह बिना ज्यादा पैर हिलाए भी शानदार पुल शॉट खेल लेते हैं। हालांकि, रोहित ने यह भी स्वीकार किया कि इस तकनीक का एक नुकसान भी है। “कभी-कभी इससे थोड़ा नुकसान होता है, लेकिन प्रैक्टिस की वजह से मैं इसे अच्छे से खेल पाता हूं।