इंडियन प्रीमियर लीग 2025 (IPL 2025) में शनिवार (20 अप्रैल) को वैभव सूर्यवंशी ने डेब्यू करके इतिहास रचा। 14 साल की उम्र में डेब्यू करके वह आईपीएल खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। वैभव का सफर एक अविश्वसनीय कहानी की तरह है। इस हीरे को तराशने में कई जौहरियों ने मेहनत की है। कई लोगों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि किशोरावस्था में एक लड़का बिना किसी डर के पेशेवर क्रिकेट में अपना पहला हाई-स्टेक मैच खेल सके।

वैभव ने आईपीएल में शार्दुल ठाकुर की पहली ही गेंद पर छक्का लगाकर दुनिया को चौंका दिया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। यह प्रतिभा रातों-रात नहीं उभरी। इसकी नींव पिता संजीव सूर्यवंशी ने रखी। उन्होंने अपने बेटे के क्रिकेट का सपना पूरा करने के लिए अपनी खेती की जमीन बेच दी।

मनीष ओझा ने वैभव के अंदर विशेष प्रतिभा को पहचाना

इसके बाद पटना के क्रिकेट कोच मनीष ओझा ने वैभव के अंदर विशेष प्रतिभा को पहचाना। उन्होंने सुनिश्चित किया कि मात्र 10 साल के वैभव रोज कम से कम 600 गेंदों का सामना करे, ताकि जब भी मौका मिले वह बड़ी चुनौती के लिए तैयार रहे। फिर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने लड़के का समर्थन किया और उसे किशोरावस्था में रणजी ट्रॉफी में जगह दिलाई।

राहुल द्रविड़ और जुबिन भरूचा के अंडर में वैभव

तिलक नायडू की अध्यक्षता में अंडर-19 राष्ट्रीय सेलेक्टर्स ने वैभव को टेस्ट क्रिकेट की ओर धकेला। अंत में राजस्थान रॉयल्स के राहुल द्रविड़ और जुबिन भरूचा जैसे लोगों ने आईपीएल की शुरुआत से पहले उसे 150 किलोमीटर से अधिक की गति से साइड-आर्म थ्रोडाउन का सामना करवाकर इस अनगढ़े हीरे को चमकने में अपना योगदान दिया।

प्लेस्टेशन खेलने और ‘होमवर्क’ करने की उम्र में छक्के से खोला खाता

जब आम 14 वर्षीय बच्चे प्लेस्टेशन खेलने और ‘होमवर्क’ करने में व्यस्त होते हैं, तब बिहार के समस्तीपुर के इस किशोर ने शार्दुल ठाकुर जैसे कई टेस्ट खेलने वाले अनुभवी खिलाड़ी की गेंद को सवाई मान सिंह स्टेडियम के स्टैंड में पहुंचा दिया, जिससे हजारों लोग हैरान रह गए। आईपीएल की दुनिया में 20 गेंद पर 34 रन बनाना आम बात है, लेकिन अगर बल्लेबाज अभी किशोरावस्था में है तो प्रशंसक राजस्थान रॉयल्स के 1.10 करोड़ रुपये के खिलाड़ी के बारे में अधिक जानना चाहेंगे।

वैभव की खूबी

ओझा ने अपने शिष्य के बारे में बात करते हुए पीटीआई से कहा, ‘‘जब वह आठ साल का था तब उसके पिता संजीव उसे मेरे पास लाए थे। हर बच्चा अलग होता है, लेकिन अगर मैं उस उम्र के दूसरे लड़कों को देखता हूं तो उसे जो भी सिखाया जाता तो उसमें कार्यान्वित करने की समझ थी। उसका तरीका, बैक-लिफ्ट, कार्यान्वयन, इरादा, सभी हमेशा तालमेल में रहते थे। ’’

पांच साल की ट्रेनिंग

14 वर्षीय खिलाड़ी अपने स्ट्रोक्स में इतनी ताकत कैसे पैदा कर सकता है कि उसने शीर्ष स्तर के आक्रमण का सामना करते हुए एक बार नहीं बल्कि तीन बार गेंद को स्टैंड में भेजा? कोच ने कहा, ‘‘आप लोगों ने उसके शॉट में ताकत देखी। बल्ले की स्विंग और सही टाइमिंग देखी। अगर छक्का मारने के लिए ताकत ही एकमात्र मानदंड होता तो पहलवान क्रिकेट खेलते। यह पांच साल की ट्रेनिंग है, जिसमें हर दिन 600 सौ गेंदें खेली जाती हैं।’’

बल्ले का स्विंग युवराज सिंह जैसा

ओझा ने कहा, ‘‘अकादमियों में अन्य लड़के शायद एक दिन में 50 गेंदें खेलते हैं। मैंने वैभव के ट्रेनिंग सत्रों के लगभग 40 वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किए हैं। आप देखेंगे कि उसका बल्ले का स्विंग युवराज सिंह जैसा है। वैभव के पिता संजीव को विशेष रूप से मीडिया से बातचीत नहीं करने के लिए कहा गया है क्योंकि युवा खिलाड़ी को अनावश्यक प्रचार से बचाने की आवश्यकता है, जो उसे परेशान कर सकता है।

पिता मैच दिखाने के लिए हर दूसरे दिन 100 किलोमीटर की यात्रा करते थे

ओझा उसके पिता और उसके बलिदान की प्रशंसा करना बंद नहीं कर सके। उन्होंने कहा, ‘‘उसके माता-पिता शानदार हैं। उसके पिता मैच दिखाने के लिए हर दूसरे दिन 100 किलोमीटर की यात्रा करते थे। मां उसके खान-पान को लेकर बहुत सजग रहती थीं। अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन 600 गेंदें खेलता है तो उसे प्रोटीन के मामले में ज्यादा पोषण की जरूरत होगी।’’