देवेंद्र पांडे। पिछले कुछ दिनों में ड्रेसिंग रूम से लेकर मैदान, होटल और घर तक पंजाब किंग्स (PBKS) के बल्लेबाज शशांक सिंह एक ही सवाल हो रहा है, “भैया, वो फुल टॉस गेंद मार देते तो…।” शशांक अपने दिमाग में इंडियन प्रीमियर लीग 2025 (IPL 2025) के फाइनल में जोश हेजलवुड की पहली गेंद को बार-बार याद करते रहते हैं। इस बात पर पछताते हैं कि वह फुल टॉस पर क्यों नहीं बड़ा शॉट लगा सके, जिससे पंजाब किंग्स की जीत सुनिश्चित हो सकती थी। वह आरसीबी से 6 रन से हार गई।

आईपीएल फाइनल के बाद से पिछले कुछ दिन शशांक के लिए मुश्किल भरे रहे हैं। पंजाब किंग्स उपविजेता रही, जबकि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने अपना पहला खिताब जीता। हालांकि, हारने वाली टीम में शामिल मध्यक्रम के बल्लेबाज अभी भी हार से उबर नहीं पाए हैं। वह कहते हैं कि पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि वे कुछ अलग कर सकते थे। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि 191 का लक्ष्य हमेशा हासिल किया जा सकता था।

पंजाब किंग्स को 12 गेंदों पर 42 रन चाहिए थे

शशांक आखिरी दो ओवरों को याद करते हैं जब पंजाब किंग्स को 12 गेंदों पर 42 रन चाहिए थे। शशांक सिंह ने उन तनावपूर्ण पलों को याद करते हुए कहा, “मैंने आखिरी दो ओवरों में अपनी कैलकुलेशन की थी, भुवी को यॉर्कर गेंदबाजी करना पसंद है इसलिए मैंने उनसे कम से कम 16-17 रन बनाने की योजना बनाई थी। मेरी कैलकुलेशन यह थी कि आखिरी ओवर में हमारा लक्ष्य 6 गेंदों में 24 रन होना चाहिए। हालांकि, भुवी के ओवर में मुझे केवल 13 रन मिले, इसलिए अंतिम ओवर में 30 रन चाहिए थे।”

गणित हमेशा काम नहीं करती

शशांक पता था कि अगली छह गेंदों में उन्हें अधिकतम स्कोर करने के लिए हर गेंद पर सिक्स लगाना होगा। उनके अनुसार अगर उन्होंने ऐसा किया होता तो यह चमत्कार होता, लेकिन गणित हमेशा काम नहीं करती। आरसीबी के सबसे बेहतरीन गेंदबाज जोश हेजलवुड के खिलाफ यह काफी चुनौतीपूर्ण काम था।

शशांक के रन आउट होने से श्रेयस ही नहीं यह शख्स भी था नाराज; फाइनल तक नहीं की बात

फुल टॉस की उम्मीद नहीं की थी

शशांक ने कहा, “मानसिक रूप से मैच हेजलवुड की पहली गेंद पर यॉर्कर के लिए तैयार था। मैंने खुद को तैयार कर लिया था, लेकिन मैंने कभी भी फुल टॉस की उम्मीद नहीं की थी, वह भी मेरे थाई पैड पर। अब मुझे लगता है, अगर मैं इसे कनेक्ट कर पाता, भले ही यह बल्ले के हैंडल पर गेंद लगती छक्का लगता, क्योंकि फाइन-लेग पास था। मैं उनसे वाइड की उम्मीद कर रहा था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। जब मैंने स्कोरबोर्ड पर देखा कि आखिरी गेंद पर 12 रन चाहिए, तो मुझे पता था कि सब खत्म हो गया है।”

रोते हुए आखिरी गेंद का किया सामना

शशांक ने अंतिम ओवर में 24 रन बनाए और 30 गेंदों पर 61 रन बनाकर नाबाद रहे, लेकिन लक्ष्य से छह रन दूर रह गए। अगर उन्होंने अपनी पारी में पहले कोई शॉट कनेक्ट किया होता तो उन्हें लगता है कि शायद चीजें अलग हो सकती थीं। ड्रेसिंग रूम का रास्ता काफी लंबा लग रहा था। अगर विराट कोहली खुशी के आंसू नहीं रोक पाए, तो शशांक पहला खिताब दिलाने में विफल होने के कारण अपने आंसुओं को नियंत्रित नहीं कर पाए। आखिरी गेंद का सामना करते हुए वह रोने लगे। उन्होंने कहा, “मैं एक मजबूत व्यक्ति हूं, लेकिन जब मैंने पांचवीं गेंद पर छक्का मारा और मैंने देखा कि आखिरी गेंद पर 12 रन चाहिए थे, तो मैं खुद को नियंत्रित नहीं कर सका। मुझे लगा कि सब खत्म हो गया है। जब मैं ड्रेसिंग रूम में आया, तो हर कोई आया और पूछा, मैं क्यों रो रहा हूं? मैंने उनसे कहा, मुझे अपने आप आंसू आ रहे हैं।”

भैया वो फुल टॉस बॉल मार देते

फाइनल को तीन दिन से ज्यादा हो गए हैं। हालांकि, शशांक ने बताया कि शाम को जो भी उनसे मिला, उसने उनकी तारीफ की, लेकिन एक बात जरूर कहता, “भैया वो फुल टॉस बॉल मार देते।” शशांक ने कहा, “मैं जहां भी गया लोगों ने मेरी बल्लेबाजी की सराहना की, लेकिन सभी मुझे उस एक फुल टॉस मिस की याद दिला रहे हैं। मुझे बहुत बुरा लगा। गेंद लेग साइड पर थी, स्क्वायर लेग ऊपर था, मुझे बस बल्ला अड़ाना था, जो मैं नहीं कर सका। होटल से लेकर एयरपोर्ट, ग्राउंड से लेकर घर तक, हर कोई एक ही कहता रहा भैया वो गेंद मार देते बस।”

बेंगलुरु में फाइनल खेलेंगे और ट्रॉफी भी उठाएंगे

शशांक मानते हैं कि उन्हें और नेहल वढेरा को मैच खत्म करना चाहिए था। जब टीम बल्लेबाजी करने गई, तो उन्हें लगा कि उनकी बारी नहीं आएगी क्योंकि शीर्ष क्रम अच्छी फॉर्म में था। बातचीत में, वह कई बार ‘ऐसा कर सकते थे’ जैसी बात कहते हैं, लेकिन वास्तव में ट्रॉफी उनकी टीम की नजरों से दूर थी। लीग शुरू होने से पहले उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि उनकी टीम शीर्ष दो में रहेगी। अब शशांक ने एक और भविष्यवाणी क दी है, “अगले साल हम निश्चित रूप से बेंगलुरु में फाइनल खेलेंगे और हम ट्रॉफी भी उठाएंगे।”