तनिष्क वड्डी। इंडियन प्रीमियर लीग 2025 (IPL 2025) में चेन्नई सुपर किंग्स 20 अप्रैल को मुंबई इंडियंस (MI) के खिलाफ मैदान पर उतरेगी तो निगाहें 20 साल के ओपनर शेख रशीद पर होगी। रशीद का 14 अप्रैल को 2 साल का इंतजार खत्म हुआ, जब उन्होंने लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के खिलाफ डेब्यू का मौका मिला। रशीद ने 19 गेंद पर 27 रन की पारी खेली और प्रभावित किया।
अंडर-19 वर्ल्ड कप विजेता रशीद का सफर काफी कठिनाइयों से भरा रहा है। रशीद ने जी तोड़ मेहनत की है तो उनके पिता बालिशा वली ने त्याग। रशीद को क्रिकेटर बनाने के लिए उनके पिता ने बैंक और फिर प्राइवेट नौकरी छोड़ी। उन्हें सपोर्ट करने के लिए सब्जी तक बेची। 2022 में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद वित्तीय समस्या दूर हो गई। रशीद ने अपने पिता को महेंद्र सिंह धोनी से मिलावाया तो थाला ने उनसे रशीद को उनके ऊपर छोड़ने को कहा था।
शेख रशीद का क्रिकेटर बनने का सफर ऐसे हुए शुरू
सात वर्षीय शेख रशीद ने अपनी दोगुनी उम्र के लगभग 300 खिलाड़ियों के साथ उप्पल में किकेट के समर कैंप में हिस्सा लिया था। उनके पिता शेख बालिशा वली को जल्द ही कोच ने बुलाया और बेटे की अविश्वसनीय बल्लेबाजी क्षमता के बारे में बताया। उन्हें रशीद को फुल टाइम कोचिंग देने के लिए राजी किया।
अंडर-14 आंध्र स्टेट टीम और अंडर-16 गुंटूर डिस्ट्रिक्ट टीम में चयन
बालिशा वली ने इस के बारे में द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ” इससे पहले मुझे नहीं पता था कि वह इतना प्रतिभाशाली है, लेकिन इसके बाद मैं उसे रोजाना अभ्यास के लिए ले जाता और वापस घर ले आता।” एजी प्रसाद के मार्गदर्शन में रशीद ने अपने बल्लेबाजी कौशल को निखारा और ट्रायल के लिए अपने गृहनगर गुंटूर लौट आए। उन्हें तुरंत ही अंडर-14 आंध्र स्टेट टीम और अंडर-16 गुंटूर डिस्ट्रिक्ट टीम के लिए चुन लिया गया।
जब पिता को सताने लगी बेटे की चिंता
जल्द ही एक ऐसा पल आया जब पिता को चिंता होने लगी कि क्या उनका छोटा बेटा तैयार है। यह तब हुआ जब शेख रशीद को एसीए एकेडमी के लिए चुना गया, जो चुने गए सिर्फ 20 खिलाड़ियों में से एक थे। बलिषा वली ने याद करते हुए बताया कि उन्होंने एकेडमी के मुख्य कोच कृष्ण राव से सलाह ली थी क्योंकि उन्हें अपने बच्चे की चिंता थी। उन्होंने हंसते हुए कहा, “मैंने उनसे (कृष्ण राव से) कहा कि वो अभी भी बिस्तर गीला करता है। उस समय वो बहुत छोटा था और एकेडमी मंगलगिरी में थी। मैं दुविधा में था कि मुझे उनके साथ जुड़ना चाहिए या नहीं और फिर मैंने कृष्ण राव से सलाह ली।”
नौ साल की उम्र में किया प्रभावित
कोच कृष्ण राव ने शेख रशीद की विशेषता के बारे में बात करते हैं, जिसने उन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया। कृष्ण राव ने नौ वर्षीय रशीद को अंडर-14 में चुनने के बारे में बताते हुए कहा, “सिर्फ नौ साल की उम्र में, उसे गेंद की अच्छी समझ थी। गेंद को देखने के बाद पता होना चाहिए कि उसे बैकफुट पर जाना है या फ्रंटफुट पर यही बॉल सेंस है और उसमें यह खूबी थी।”
रशीद और कप्तानी
जल्द ही, रशीद टीमों का नेतृत्व करने लगे। गद्दाम वेंकट सरथ बाबू कहते हैं, “वह एज-ग्रुप क्रिकेट में सभी राज्य स्तरों पर कप्तान भी थे। जब एमएसके प्रसाद आंध्र क्रिकेट में संचालन निदेशक थे तो उन्होंने दो खिलाड़ियों को यूके भेजा। नेल्लोर से उन्होंने रेवंत रेड्डी को चुना और उसके साथ, उन्होंने रशीद को भी भेजा। उन्हें 11 साल की उम्र में न्यूकैसल में डरहम क्रिकेट एकेडमी भेजा गया था। तीन महीने के सफर ने न केवल उनकी बल्लेबाजी को बेहतर बनाया, बल्कि उनके जीवन कौशल को भी बेहतर बनाया।
पिता ने बैंक की नौकरी छोड़ी
सरत बाबू ने रशीद की अनोखी ट्रेनिंग के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “रशीद ज्यादातर बिना तैयार विकेट पर खेलता है। ये विकेट असमान होते हैं। इस तरह के विकेट पर भी वह हर दिन एक घंटे अभ्यास करता था।” रशीद के क्रिकेटर बनने के सपने को पंख लगा रहा था तभी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में काम करने वाले उनके पिता ने बजाज शोरूम में प्राइवेट नौकरी कर ली ताकि वे अपने बेटे की देखभाल कर सकें। लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं चला।
प्राइवेट नौकरी भी छोड़ दी
बालिशा वली ने कहा, “मैं अपनी नौकरी से बहुत ज्यादा छुट्टियां ले रहा था, लोगों ने मुझे अल्टीमेटम दिया: अगर तुम्हें यह करना है तो इसे ठीक से करो या फिर छोड़ दो इसलिए मैंने ये नौकरी भी छोड़ दी। मुझे रशीद की देखभाल करनी थी और उसे चेन्नई, विजाग और हैदराबाद में होने वाले मैचों में ले जाना था। उस उम्र में रशीद को मेरी जरूरत थी।”
नितीश कुमार रेड्डी के क्लब से जुड़े शेख रशीद
बालिशा वली इसके कारण अपने गृहनगर गुंटूर चले गए, जो मंगलगिरी स्थित एकेडमी से लगभग 40 किलोमीटर दूर था। लेकिन जल्द ही एकेडमी को कडप्पा में शिफ्ट कर दिया गया और पिता को एक विकल्प चुनना पड़ा। कडप्पा एकेडमी ने पहले ही नितीश कुमार रेड्डी (सनराइजर्स हैदराबाद) और कुछ अन्य होनहार युवाओं जैसे खिलाड़ियों को चुन लिया था। रशीद के पिता कहते हैं, “अगर हम उसे (कडप्पा एकेडमी) भेजते, तो वह 20-30 सदस्यों में से एक होता, लेकिन यहा रशीद को विशेष ध्यान दिया जाता। यही मेरा चाहता था कि वह मंगलगिरी में रहे।”
सब्जी मंडी में दिहाड़ी मजदूरी का काम
जब स्कूल की सुविधाएं और छात्रावास की सुविधाएं भी एकेडमी से हटा ली गईं तो सारा खर्च वहन करने और अपने बेटे को 40 किलोमीटर तक लाने-ले जाने की जिम्मेदारी बालिशा वली पर आ गई। उन्होंने कहा, “मैंने सब्जी मंडी में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करना शुरू किया, सब्जियां और फल बेचता था। मैं यह सुनिश्चित करता था कि मैं हर दिन छोटी-मोटी नौकरी करके 600-800 रुपये कमा सकूं।”
अंडर-19 विश्व कप चैंपियन बनने के बाद वित्तीय समस्याएं कम होने लगीं
2022 में भारत के अंडर-19 विश्व कप के लिए उपकप्तान के रूप में रशीद का चयन होने और ट्रॉफी जीतने के लिए पुरस्कार राशि मिलने के बाद उनकी वित्तीय समस्याएं कम होने लगीं। बालिशा वली ने मुस्कुराते हुए कहा, “उस विश्व कप में जाने से पहले उसे राज्य स्तर पर 13 शतक बनाए।”
चेन्नई सुपर किंग्स ने पिता से किया था चुनने का वादा
2023 में उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स ने 20 लाख में चुना। बालिशा वली ने कहा, “हमें सीएके ने सूचित किया कि वे उन्हें नीलामी में चुनेंगे। हमें बताया गया कि वे अंडर-16 के दिनों से उनको फॉलो कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने अंडर-19 विश्व कप जीता, उन्होंने उन्हें चुन लिया।
रशीद के पिता से धोनी की बातचीत
सीएसके में चुने जाने से पहले रशीद का डिफेंस बढ़िया था। वहां जाने के बाद, उन्होंने आक्रामक खेल सीखा। उन्होंने मुझे 2023 में एमएस धोनी से मिलवाया।” तभी धोनी ने पिता से कहा, “रशीद का करियर हमारे ऊपर छोड़ दो। हमें उसका अनुशासन और खेल बहुत पसंद है। उसका करियर हमारे ऊपर छोड़ दो बस उसकी फिटनेस का ख्याल रखना और जब वह घर आए तो उसे अच्छा खाना देना।”