खेल को चमकदार बनाने वाले क्रिकेटरों की कमी नहीं है। बल्लेबाज दाएं हाथ का हो या बाएं हाथ का उसने क्रिकेट की दुनिया में तहलका मचाया है। इंडियन प्रीमियर लीग शुरू होने के बाद से खिलाड़ियों ने अपनी शैली और तकनीक से इसमें रोमांच भरा है। नए स्ट्रोक ईजाद हुए, बल्लेबाजी में आकर्षण आया और फटाफट क्रिकेट में तो ताबड़तोड़ अंदाज से चौके-छक्कों की बरसात हुई। आइपीएल का सोलहवां संस्करण तो और भी दिलचस्प बन गया। 200 से ऊपर रन बने ही नहीं, पीछा भी किया गया। इस बार की लीग में खब्बू बल्लेबाजों ने भी अपना जलवा बिखेरा।

क्रिकेट की हर विधा में कभी खब्बू बल्लेबाज भारतीयों के लिए होते थे सिरदर्द

क्रिकेट की हर विधा में कभी खब्बू बल्लेबाज भारतीयों के लिए सिरदर्द होते थे। इनकी लंबी सूची है। गैरी सोबर्स, क्लाइव लायड, एल्विन कालीचरण, ब्रायन लारा, क्रिस गेल, निकलस पूरन, सनत जयसूरिया, कुमार संगाकारा, एलन बोर्डर, एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन, डेविड वार्नर, जान राइट, डेविड गावर, बेन स्टोक्स, सईद अनवर, डेविड मिलर, ग्रीम पोलक, क्विटेन डिकाक जैसे अनेक खिलाड़ियों ने कमाल दिखाया है। भारतीय बल्लेबाजों में सौरव गांगुली, युवराज सिंह, शिखर धवन, गौतम गंभीर और ऋषभ पंत जैसे खब्बू बल्लेबाजों ने जलवा दिखाया है।

इस इंडियन प्रीमियर लीग में जहां विदेशी खब्बू बल्लेबाजों ने धाक जमाई तो वहीं भारतीय भी पीछे नहीं रहे। राजस्थान रायल्स के यशस्वी जायसवाल, कोलकाता नाइटराइडर्स के रिंकू सिंह व नीतीश राणा, मुंबई इंडियंस के ईशान किशन व तिलक वर्मा, चेन्नई सुपरकिंग्स के शिवम दुबे ने आक्रामक खेल से रंग जमा दिया। ये सभी मैच विजेता भी साबित हुए।

एक युवा खिलाड़ी के तौर पर यशस्वी जायसवाल ने आइपीएल में अपना जबर्दस्त प्रभाव छोड़ा। अपने दम पर उन्होंने टीम को कई मैच जिताए। साथ ही उन्होंने अपने से कहीं अनुभवी ओपनर जोस बटलर और संजू सैमसन के प्रदर्शन को फीका बना दिया। गेंदबाज तेज हो या स्पिन उन्होंने अच्छी मार लगाई। अंडर-19 विश्व कप विजेता टीम के इस खिलाड़ी ने खूब रन बटोरे। बिना भारतीय टीम में आए खिलाड़ी का 600 से ज्यादा रन बनाना प्रशंसनीय है। उत्तर प्रदेश में जन्मे और मुंबई के लिए खेलने वाले जायसवाल ने आइपीएल की 37 पारियों में 1172 रन बनाए हैं। 124 उनका सर्वोच्च स्कोर है।

इसके अलावा उन्होंने आठ आइपीएल अर्धशतक भी लगाए हैं। 31.67 की औसत और 148.7 का स्ट्राइक रेट उनकी आक्रामक बल्लेबाजी का गवाह है। इस आइपीएल के 14 मैचों में जायसवाल ने 48.07 की औसत और 163.6 से स्ट्राइक रेट से 625 रन बनाए। उम्मीद है कि वे जल्द ही भारतीय टीम का हिस्सा बनेंगे। एक शतक, पांच अर्धशतक के कारण वे पूर्व क्रिकेटरों की सराहना भी पा रहे हैं।

कोलकाता नाइटराइडर्स के रिंकू सिंह भी सुर्खियों में हैं। उन्होंने अपने बूते पर टीम को कुछ मैचों जीत दिलाई। खास तौर से पिछली चैंपियन गुजरात टाइटंस के खिलाफ मैच की आखिरी पांच गेंदों पर पांच छक्के उड़ाकर उन्होंने हार को जीत में बदल दिया। रिंकू खेल तो कुछ समय से रहे हैं, लेकिन इस बार के प्रदर्शन से वे खिलाड़ी से सितारे बन गए। 14 मैचों में 474 रन बनाना और दबाव में बिना विचलित हुए लक्ष्य को पाना काबिले तारीफ है। उन्होंने 59.25 की औसत और 149.52 के स्ट्राइक रेट से यह रन बनाए।

मुंबई इंडियन के 20 वर्षीय खब्बू बल्लेबाज तिलक वर्मा ने भी चमकदार प्रदर्शन किया। उनके साथी ईशान किशन ने भी समय-समय पर अपनी बल्लेबाजी का रंग जमाया। जुझारूपन और सधा हुआ प्रदर्शन तिलक को मध्यम क्रम में स्थान दिला सकता है। वेंकटेश अय्यर ने भी चंद शानदार पारियां खेलकर अपनी उपयोगिता साबित की। लेकिन राहुल तेवतिया वैसा कमाल नहीं दिखा पाए, जैसा उन्होंने पिछले कुछ आइपीएल में दिखाया था। एक ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की छवि के रूप में वे मशहूर थे। लेकिन इस बार गुजरात टाइटंस के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। उनका कुल स्कोर 100 के पार भी नहीं पहुंचा है। मैच विजेता से वे फिसड्डी बन गए।

न्यूजीलैंड के डेवोन कान्वे ने (600 से ज्यादा रन) भी अपनी बल्लेबाजी का रंग जमाया। वे ऋतुराज गायकवाड़ के साथ चेन्नई सुपरकिंग्स को मजबूत आधार देने में सफल रहे। इस सलामी जोड़ी की सफलता का भी चेन्नई टीम के बेहतरीन प्रदर्शन में अहम योगदान रहा। यह इस बार की सफल सलामी जोड़ियों में एक रही। आइपीएल में इस जोड़ी ने चार शतकीय साझेदारियां निभाईं और तीसरे स्थान पर है।

लखनऊ सुपर जायंट्स को प्लेआफ में ले जाने में वेस्ट इंडीज के खब्बू खिलाड़ी निकोलस पूरन की भी विशेष भूमिका रही। आइपीएल का संयुक्त सबसे तेज पचासा इसी खिलाड़ी के नाम रहा। 19 गेंदों पर उन्होंने यह कमाल किया। पूरन के दम पर लखनऊ टीम कई मैच जीती।