इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में लीग चरण के 70 में से 55 मुकाबले मुंबई के तीन मैदान वानखेड़े स्टेडियम, ब्रेबोर्न स्टेडियम और नवी मुंबई स्थित डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले जाने हैं। वहीं, बाकी मुकाबले पुणे स्थित एमसीए स्टेडियम में खेले जाने हैं। मुंबई के तीनों मैदानों पर तेज गेंदबाजों की बल्ले-बल्ले रहेगी। यहां की पिचें बल्लेबाजों के लिए भी मददगार साबित होंगी। वहीं, एमसीए स्टेडियम पर स्पिनर्स असरदार साबित हो सकते हैं। ईएसपीएन क्रिकइंफो की रिपोर्ट के मुताबिक, वानखेड़े, ब्रेबोर्न और डीवी पाटिल स्टेडियम की पिचों पर लाल मिट्टी का इस्तेमाल होता है। एमसीए स्टेडियम की पिच काली मिट्टी का इस्तेमाल कर बनाई गई है।

ये है वानखेड़े में जीत का मंत्र

वानखेड़े स्टेडियम में पिछले 13 रात्रि मुकाबलों में से 10 में दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम ने जीत हासिल की है। इस मैदान पर पिछले 20 मैचों में पहली पारी का औसतन स्कोर 175 रन रहा है। यहां आईपीएल 2021 के दौरान पावरप्ले में तेज गेंदबाजों ने 31 विकेट और स्पिनर्स ने केवल एक विकेट लिया।

वानखेड़े स्टेडियम में जीतने का सबसे सरल मंत्र है- टॉस जीतो, गेंदबाजी चुनो और ओस का भरपूर फायदा उठाओ। यहां छोटी बाउंड्री और ओस का भारी असर दिख सकता है। इस मैदान पर बड़े हिटर, तेज गेंदबाज और स्विंग कराने वाले गेंदबाजों की अहम भूमिका होगी। यहां पिछले 20 मुकाबलों में 73 फीसदी विकेट पेसर्स ने लिए हैं।

बहुत तेज है ब्रेबोर्न स्टेडियम की आउटफील्ड

ब्रेबोर्न स्टेडियम में 2015 के बाद से कोई टी20 मुकाबला नहीं खेला गया है। इस मैदान पर पिछले 9 में से 6 मैच में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमों ने जीत हासिल की है। यहां पहली पारी का औसतन स्कोर 173 रन रहा है। ब्रेबोर्न स्टेडियम में भी लाल मिट्टी का इस्तेमाल होता है। ऐसे में बल्लेबाज को अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं। ब्रेबोर्न की आउटफील्ड बहुत तेज है और मैदान वानखेड़े के मुकाबले काफी बड़ा है। यहां स्पिनर्स की भूमिका काफी अहम होगी।

मुंबई के दूसरे मैदानों से बड़ी है डीवाई पाटिल स्टेडियम की बाउंड्री

डीवाई पाटिल स्टेडियम पर पिछला प्रोफेशनल टी20 मैच 2011 में खेला गया था। तब से अब तक इस स्टेडियम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल फुटबॉल मैचों के लिए किया गया। यहां की बाउंड्री मुंबई के दूसरे मैदानों से काफी बड़ी है।

पुणे में स्पिनर्स का सबसे ज्यादा होता है असर?

एमसीए स्टेडियम में पिछले 4 साल में सिर्फ एक टी20 मुकाबला खेला गया है। पिछले 14 मैच में यहां पहली पारी में औसतन स्कोर 170 रन रहा है। इन मैचों में 9 बार दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम को जीत हासिल हुई है। यहां रात्रि में खेले गए मुकाबलों में तेज गेंदबाजों का इकॉनमी और स्ट्राइक रेट क्रमशः 9.22 और 22 गेंदें है। वहीं स्पिनर्स ने 8.1 रन प्रति ओवर खर्च करते हुए हर 19 गेंद पर विकेट झटके हैं।

पुणे के एमसीए स्टेडियम में आईपीएल 2018 के बाद बस एक अंतरराष्ट्रीय मैच (2020 में) खेला गया है। यहां काली मिट्टी से बनी पिच का इस्तेमाल होता है। बाउंड्री भी मुंबई के मुकाबले छोटी है। यहां स्पिनर औसतन 6.78 की इकॉनमी से हर 23 गेंद में विकेट लेते हैं। इस मैदान पर स्पिनर्स का सबसे जल्दी और सबसे ज्यादा असर हो सकता है।