अलीगढ़ स्टेडियम के पास एक एलपीजी सिलेंडर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के स्टोरेज कंपाउंड के भीतर एक छोटा सा दो कमरे का क्वार्टर आईपीएल ऑक्शन के कुछ ही दिनों बाद शहर में चर्चा का विषय बन गया। यह उत्तर प्रदेश के ऑलराउंडर रिंकू सिंह का घर है, जिसे शाहरुख खान की कोलकाता नाइटराइडर्स (KKR) ने खरीदा। रिंकू की 42 (23 गेंद, 6×4, 2×6) की पारी ने सोमवार को राजस्थान रॉयल्स (RR) के खिलाफ केकेआर की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 153 रनों का पीछा करते हुए केकेआर ने 19.1 में लक्ष्य हासिल किया। रिंकू नाबाद रहे और नीतीश राणा 48 (37 गेंद, 3×4, 2×6) के उन्हें साथ मिला।

आईपीएल की ट्राफी पर लिखा है यात्रा प्रतिभा अवसर प्राप्नोति। इसका मतलब है जहां प्रतिभा को अवसर मिलता है। समय समय पर यह बात सच साबित होती। दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिकेट लीग ने ऐसे कई खिलाड़ी दिए हैं, जिनका जीवन काफी कठिनाई में गुजरा है। रिंकू की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। उनके के पिता खानचंद्र घरों में एलपीजी सिलेंडर डिलिवर करके परिवार का गुजर-बसर करते हैं। उनका एक बड़ा भाई ऑटोरिक्शा चलाता है, जबकि दूसरा भाई कोचिंग सेंटर में काम करता है।

आईपीएल 2022 से पहले मेगा ऑक्शन में रिंकू को खरीदने के लिए केकेआर और मुंबई इंडियंस (MI) में होड़ लगी थी। केकेआर ने उन्हें 80 लाख रुपये में खरीदा। जब दो बड़ी फ्रेंचाइजी उनके लिए बोली लगा रही थीं, तब रिंकू अपने घर पर थे और टीवी पर अपने सपने को लाइव देख रहे थे। रिंकू ने लेकर कहा, ” सोचा था 20 लाख में जाऊंगा, लेकिन मैं 80 में चुना गया। सबसे पहले मन में यह ख्याल आया कि मैं अपने बड़े भाई की शादी में योगदान दे सकता हूं और अपनी बहन की शादी के लिए भी कुछ बचत कर सकता हूं। और एक अच्छे से घर में शिफ्ट हो जाऊंगा। “

पांच भाई-बहनों में से तीसरे नंबर के रिंकू ने काफी कठिन समय देखा है। तीन साल पहले उनका परिवार पांच लाख रुपये के कर्ज में था और इसे चुकाने के लिए संघर्ष कर रहा था। परिवार में कमाने वाले लोग इसे चुकाने में असमर्थ थे और रिंकू पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। वह खुद को “नौवीं फेल” कहते हैं। वह जानते थे कि क्रिकेट में उनका कुछ हो सकता है।

रिंकू ने यूपी अंडर -19 टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए मिलने वाला मामूली दैनिक भत्ते और क्रिकेट खेलने से मिले और पैसों को बचाया। इससे कर्ज चुकाया गया। दो साल पहले वह इंडिया अंडर-19 टीम के संभावितों में थे, लेकिन वह आईसीसी अंडर-19 विश्व कप के लिए टीम में जगह नहीं बना सके। रिंकू बताते हैं, “बड़े भाई की तरह पिता भी महीने में लगभग 6-7 हजार रुपये कमाते थे। मेरा परिवार थोड़ा बड़ा है और मेरे पास क्रिकेट पर ध्यान देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। जीवन में संघर्ष बहुत किया, हो सकता है कि भगवान उन दिनों के के एवज में सबकुछ दे रहे हों।”

रिंकू के परिवार ने भी उस पर विश्वास करना शुरू कर दिया जब उन्हें दिल्ली में एक टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज होने पर मोटरसाइकिल मिली। मोटरसाइकिल उनके पिता को सिलेंडर डिलिवर करने में इस्तेमाल किया गया। ऐसा नहीं है कि उसके बाद चीजें रातों-रात बदल गईं। एक बार उन्होंने अपने भाई से नौकरी खोजने में मदद करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “वह मुझे एक जगह ले गए और उन्होंने मुझे एक घर का नौकर बनने के लिए कहा। साफ, सफाई और पोचा मारना काम था। मैं घर वापस आया और अपनी मां से कहा मैं फिर नहीं जाऊंगा। मुझे क्रिकेट में अपनी किस्मत आजमाने दो।”

रणजी ट्रॉफी के नौ मैचों में रिंकू ने 49 की औसत से 692 रन बनाए हैं। वह ध्यान खींच रहे थे। पिछले साल पंजाब ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया था, लेकिन वह बेंच पर ही बैठे रहे। किस्मत ने फिर से करवट ली और मुंबई इंडियंस ने उन्हें चयन ट्रायल के लिए बुलाया जहां उन्होंने 31 गेंदों में 91 रनों की पारी खेली। रिंकू ने कहा, “मुझे लगता है कि उस पारी ने असर डाला। मेरा घरेलू सत्र अच्छा गया था और मैं उम्मीद कर रहा था कि कोई मुझे लेगा, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे लिए इतनी बोली लगेगी। मेरे खानदान में इतना पैसा किसी ने भी नहीं देखा है।”