इस मैच में जीत से भारत न सिर्फ ट्राफी का हकदार होगा, बल्कि विश्व टैस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की दावेदारी भी मजबूत करेगा। पाकिस्तान के खिलाफ उसकी जमीन पर तीन मैचों की टैस्ट शृंखला में सफाया करने के बाद इंग्लैंड ने इस चैंपियनशिप के फाइनल में आस्ट्रेलिया के खेलने का रास्ता साफ कर दिया है।
वहीं, दूसरे स्थान के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच कांटे की टक्कर है। इस बीच गौर करने वाली बात है कि टीम में लगातार बदलाव के रास्ते पर चल रही। भारतीय टीम को आगामी मैचों के लिए जल्द से जल्द मजबूत एकादश का चुनाव करना होगा।
दरअसल, पहले टैस्ट मैच में भारतीय टीम को जिन खिलाड़ियों ने जीत दिलाई, उनमें से कोई भी नियमित तौर पर टीम में शामिल नहीं रहा है। बांग्लादेश के खिलाफ ही एकदिवसीय शृंखला में हार के बाद नियमित गेंदबाज जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी के अलावा कप्तान रोहित शर्मा टीम से बाहर हो गए। बावजूद टीम को जीत मिली उसमें चेतेश्वर पुजारा, शुभमन गिल और कुलदीप यादव हीरो बने।
इन तीनों के अलावा अक्षर पटेल ने भी गेंद से कमाल दिखाया, लेकिन पुजारा को छोड़ दें तो इनमें से किसी भी खिलाड़ी की जगह इस मैच से पहले और आगामी शृंखला के लिए टीम में पक्की हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता। क्रिकेट विशेषज्ञों की मानें तो बड़े टूर्नामेंटों में भारत की हार की सबसे बड़ी वजहों में से यह एक है। अकसर, बेहतर प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों को भी एक या दो मैच के बाद टीम से बाहर कर दिया जाता है।
निराश कर रहे हैं कुछ बल्लेबाज
भारतीय टीम की सबसे मजबूत कड़ी बल्लेबाजी भी अब विरोधी टीमों के माथे पर शिकन नहीं ला पा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण बल्लेबाजों का निरंतर प्रदर्शन नहीं कर पाना है। बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले की बात करें तो पहले एकदिवसीय में शीर्ष चार बल्लेबाज नाकाम हो गए। दूसरे एकदिवसीय में भी कुछ नहीं बदला। शुरू के चार में से तीन बल्लेबाजों ने निराश किया।
इस मैच में चोटिल रोहित शर्मा की जगह विराट कोहली पारी की शुरुआत करने आए और पांच रन बनाकर आउट हो गए। धवन आठ और प्रयोग के तौर पर चौथे स्थान पर भेजे गए वाशिंगटन सुंदर 11 रन बनाकर आउट हुए। तीसरे एकदिवसीय में भारत ने जीत दर्ज की लेकिन इसका श्रेय सिर्फ ईशान किशन और कोहली को जाता है।
गेंदबाजी में नहीं दिख रही धार
बांग्लादेश के खिलाफ दोनों एकदिवसीय मैचों में गेंदबाजी का विश्लेषण करें तो साफ हो जाता है कि हमारे गेंदबाज पुछल्ले बल्लेबाजों को भी आउट करने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि एक खिलाड़ियों को मौका दिए जाएं ताकि वे अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने दिखा सकें और खुद को बड़े मैचों के लिए तैयार कर सकें।
प्रयोगशाला बन गई है टीम इंडिया
यह कहना गलत नहीं है कि अब भारतीय टीम एक प्रयोगशाला बन गई है, जहां हर मैच और टूर्नामेंट में बल्लेबाजों और गेंदबाजों के साथ प्रयोग किया जा रहा है। लगभग हर मैच में कोई न कोई नया खिलाड़ी पिच पर परीक्षा दे रहा है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि अगले साल होने वाले विश्व कप में जब ज्यादा समय नहीं बचा है तब टीम इतने प्रयोग क्यों कर रही है।
साथ ही विश्व टैस्ट चैंपियनशिप के लिए टीम कौन से 11 खिलाड़ियों को तैयार कर रही है। एक तरफ बाकी टीम एक निश्चित बल्लेबाजी और गेंदबाजी लाइनअप को लगातार मौका दे रही है और मजबूत टीम तैयार करने में लगी है तब, भारतीय टीम लगातार बदलाव के दौर से गुजर रही है। ऐसे में डर है कि कहीं हाल टी-20 विश्व कप जैसा ही न हो जाए।