छह साल पहले छोटे से फैनबेस वाले मुंबई सिटी हैरान करते हुए सिटी फुटबॉल ग्रुप (CFG) का हिस्सा बन गया था। इंग्लैंड और यूरोप के दिग्गज क्लब मैनचेस्टर सिटी के मालिक सीएफजी फुटबॉल की दुनिया में बहु-राष्ट्रीय कंपनी (MNC) की तरह काम करता है, जिसके पांच महाद्वीपों के 13 देशों में क्लब हैं। नवंबर 2019 में मुंबई उनका हिस्सा बना। वह भारतीय फुटबॉल के लिए अच्छे दिन थे।

2019 की शुरुआत में भारत ने अपने स्टैंडर्ड के हिसाब से एशियन कप में शानदार प्रदर्शन किया। ताकतवर कतर के खिलाफ उसके घर में एक पॉइंट हासिल किया। पुरुष नेशनल टीम दुनिया की टॉप 100 टीमों में शामिल होने वाली थी। इंडियन सुपर लीग विवादों के बीच ऑफिशियल टॉप-डिवीजन बन गई थी, जिससे आई-लीग दूसरे दर्जे का कॉम्पिटिशन बन गई। इसी माहौल में सीएफजी ने एंट्री की और ‘मुंबई सिटी और भारतीय फुटबॉल को बदलने वाले फायदे देने’ का वादा किया।

रणबीर कपूर और बिमल पारेख के हवाले मुंबई सिटी

छह साल बाद भारतीय फुटबॉल अपने सबसे बुरे दौरे गुजर रहा है। भारत में अभी कोई लीग नहीं हो रही है और नेशनल टीम भी मुश्किल में है। ऐसे में मैनचेस्टर सिटी ने बाहर निकलने का विकल्प चुन लिया है। मुंबई सिटी ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) को बताया है कि सीएफजी अपने 65 प्रतिशत शेयर पेरेंट कंपनी मुंबई सिटी फुटबॉल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को बेचेगी। इसके को-ओनर बॉलीवुड स्टार रणबीर कपूर और चार्टर्ड अकाउंटेंट बिमल पारेख हैं। इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए। खुद को दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट फुटबॉल क्लब का मालिक और ऑपरेटर बताने वाला सीएफजी भारत छोड़ रहा है क्योंकि यहां फुटबॉल नहीं हो रहा।

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आठ महीने से ज्यादा समय से नहीं हुआ मैच

फुटबॉल में अच्छा कर रहे देशों में डोमेस्टिक लीग कम से कम आठ महीने तक चलते ही हैं। भारत में 12 अप्रैल को पिछले पिछले आईएसएल सीजन खत्म होने के बाद से आठ महीने से ज्यादा समय से कोई लीग मैच नहीं हुआ है। 26 और 29 दिसंबर को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) और ISL क्लबों के बीच होने वाली बैठक में कोई समाधान नहीं निकला तो इंतजार और लंबा हो सकता है।

भारतीय फुटबॉल क्यों है अधर में

इस अभूतपूर्व घटना का कारण सीधा-सादा है। दिसंबर 2010 में एआईएफएफ ने रिलायंस की एक सब्सिडियरी के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत कंपनी लगभग 50 करोड़ रुपये की सालाना फीस के बदले लीग को ऑपरेट कर सकती थी। वह कॉन्ट्रैक्ट 8 दिसंबर 2025 को खत्म हो गया। दोनों पक्ष विस्तार की शर्तों पर सहमत नहीं हुईं। जब एआईएफएफ एक नए पार्टनर की तलाश में निकला तो उसे पता चला कि कोई भी भारतीय फुटबॉल में निवेश करने को तैयार नहीं था। इसका एक कारण सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश भी था, जिसने निवेशकों को को ऑपरेशनल मामलों में सीमित अधिकार दिए थे।

रिलायंस की भागीदारी को लेकर सवाल

एआईएफएफ और क्लब अब छोटे समय के लिए समाधान ढूंढ रहे हैं ताकि लीग कम से कम इस सीजन में हो सके, लेकिन आगे चलकर रिलायंस की भागीदारी को लेकर सवाल बने हुए हैं। सिटी फुटबॉल ग्रुप इसी कारण से बाहर निकला है। इससे यह चिंता बढ़ गई है कि अगर लंबे समये के लिए कोई योजना नहीं बनती है तो आईएसएल के कुछ दूसरे निवेशक भी ऐसा फैसला कर सकते हैं।

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भारतीय फुटबॉल की खराब छवि

सीएफजी के बाहर निकलने से संभावित अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के सामने भारतीय फुटबॉल की खराब छवि भी बनती है। इससे घरेलू स्तेर और भी दिक्कतें पैदा होंगी। मुंबई सिटी एक एलीट सिटी ग्रुप पोर्टफोलियो का हिस्सा था। इसमें स्पेन (गिरोना), बेल्जियम (लोमेल), अमेरिका (न्यूयॉर्क सिटी), ऑस्ट्रेलिया (मेलबर्न सिटी), जापान (योकोहामा), चीन (शेन्जेन), उरुग्वे (मोंटेवीडियो) और ब्राजील (बाहिया) जैसी टीमें शामिल हैं।

मुंबई सिटी दो बार बनी चैंपियन

मुंबई में सिटी की भागीदारी का असर इन छह सालों में टीम के खेल और मैनेजमेंट में साफ दिखाई दिया। मैनेजर की नियुक्ति से लेकर सीजन से पहले खिलाड़ियों को साइन करने और सीजन के दौरान उनके हर पास से लेकर हर गोल तक सीएफजी के स्पेशलिस्ट्स की एक टीम ने पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाई। इससे मुंबई सिटी आईएसएल में मिड-टेबल टीम से बदलकर दो बार चैंपियन बनी। 2020-21 और 2023-24 में खिताब जीता और 2022-23 में एक बार लीग शील्ड भी जीती।

ब्रायन मारवुड बैकस्टेज स्टाफ से संपर्क में रहे

क्लब के लोग बताते हैं कि ग्लोबल फुटबॉल ऑपरेशंस डिपार्टमेंट चलाने वाले ब्रायन मारवुड ने नियमित तौर पर मुंबई सिटी के बैकस्टेज स्टाफ से बात की। उनका मकसद यह पक्का करना था कि ये सभी टीमें मैनचेस्टर सिटी में पेप गार्डियोला के बताए गए खेलने के स्टाइल बॉल पर कंट्रोल रखना और जब बॉल हाथ से निकल जाए तो विरोधी टीम पर दबाव बनाना को फॉलो करें।

सर्जियो लोबेरा जैसा कोच

कोच और खिलाड़ियों का चयन इसी दृष्टिकोण के आधार पर किया गया था। इसके कारण मुंबई को सर्जियो लोबेरा जैसे काबिल कोच मिले। इस स्पैनिश कोच ने बार्सिलोना में आठ साल बिताए थे। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग लेवल पर कोचिंग दी और 2012 में क्लब के सहायक मैनेजर तक बन गए थे। गार्डियोला कोचिंग की काबिलियत हासिल करते वक्त लोबेरा से सीख ले रहे थे। सीएफजी के कारण मुंबई सिटी आईएसएल का एक बड़ा नाम बना। उनसे ज्यादा भारतीय फुटबॉल को सीएफजी की ज्यादा जरूरत थी। ग्रुप के अचानक चले जाने से घरेलू खेल की पहले से ही खराब हालत और भी बिगड़ेगी।