अंडर-19 महिला वर्ल्ड कप 2025 में भारतीय टीम का दबदबा दिखा। टीम ने रविवार (2 जनवरी) को साउथ अफ्रीका को 9 विकेट से हराकर अजेय रहते हुए खिताब अपने नाम किया। भारतीय टीम लगातार दूसरी बार अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप का खिताब जीती। इस जीत ने बताया कि महिला क्रिकेट में भारत का भविष्य सुनहरा है। फाइनल तक पहुंचने के दौरान हर टीम को हराने के बाद भारत ने 52 गेंद शेष रहते साउथ अफ्रीका को हरा दिया। भारतीय टीम दोनों बार एक भी मैच हारे बिना टूर्नामेंट जीती। क्रिकेट इतिहास में पहली बार भारत की किसी ने टाइटल को डिफेंड किया। आइए जानते हैं इस टीम की खिलाड़ियों के बारे में।
गोंगडी तृषा: बल्ले से शानदार फॉर्म में चल रही हैदराबाद की तृषा ने टूर्नामेंट में राज किया। इस टूर्नामेंट के एक संस्करण में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड बनाते हुए इस ऑलराउंडर ने सात मैचों में 77.25 के औसत से एक शतक के साथ 309 रन बनाए। तृषा को क्रिकेटर बनाने में उनके पिता का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने अपनी लेग स्पिन से भी योगदान दिया। उन्होंने फाइनल में 6 रन देकर 3 विकेट लिए। उन्होंने टूर्नामेंट सात विकेट लिए। उनके इस प्रदर्शन के बाद डब्ल्यूपीएल की टीमों को पछतावा हो रहा होगा। वह ऑक्शन में अनसोल्ड रह गई थीं।
जी कमलिनी: तमिलनाडु की बाएं हाथ की ओपन बल्लेबाज वर्ल्ड कप में 47.66 की औसत से सात पारियों में 143 रन बनाकर तीसरी सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज रहीं। हालांकि, टूर्नामेंट में उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही, लेकिन कमलिनी ने स्कॉटलैंड के खिलाफ सुपर सिक्स मुकाबले में 51 रनों की पारी खेली और सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 56 रन बनाए। अंडर-19 एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के लिए 29 गेंदों में 44 रन बनाने के तुरंत बाद उन्हें डब्ल्यूपीएल ऑक्शन में मुंबई इंडियंस ने 1.6 करोड़ रुपये में खरीदा था। शुरुआत में कमलिनी को स्केटिंग पसंद थी, लेकिन अपने भाई के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्होंने क्रिकेट को अपनाया और बच्चों की मदद के लिए उनके माता-पिता मदुरै से चेन्नई चले गए।
वैष्णवी शर्मा: ग्वालियर की बाएं हाथ की ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज वैष्णवी ने अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप में सर्वाधिक विकेट (17) लेने का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 5 रन देकर 5 विकेट से शुरुआत की। मलेशिया के खिलाफ हैट्रिक भी लिया। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 3 रन देकर 1 विकेट लिए। बांग्लादेश के खिलाफ 15 रन देकर 1 विकेट लिए, स्कॉटलैंड के खिलाफ 5 रन देकर 1 विकेट लिए। इंग्लैंड के खिलाफ 23 रन देकर 3 विकेट लिए। फाइनल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 23 रन देकर 2 विकेट लिए।
आयुषी शुक्ला: कहते हैं कि गेंदबाज झुंड में शिकार करते हैं। मलेशिया में वैष्णवी और आयुषी ने ऐसा ही किया। स्कॉटलैंड के खिलाफ 8 रन देकर 4 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। आयुषी ने सात मैचों में कुल 14 विकेट लिए। भारत ने टूर्नामेंट के फाइनल में आराम से प्रवेश किया और अपने गेंदबाजों के दबदबे के कारण खिताब जीता। आयुषी की स्पिन गेंदबाजी सभी विपक्षी टीमों के लिए बहुत कठिन साबित हुई।
सानिका चालके: मुंबई की सानिका ने रविवार को मोनालिसा लेगोडी की गेंद पर चौका लगाकर भारत को खिताबी जीत दिलाई। कप्तान निकी प्रसाद की डिप्टी की भूमिका निभाते हुए सानिका ने मध्यक्रम में महत्वपूर्ण पारियां खेलकर भारतीय ओपनर बल्लेबाजों को मजबूत सहयोग दिया।
परुनिका सिसोदिया: गेंदबाजी में भारत का दबदबा सिर्फ वैष्णवी और आयुषी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि परुनिका के 10 विकेटों ने भी उनका पूरा साथ दिया। बाएं हाथ की स्पिनर और डब्ल्यूपीएल में गुजरात जायंट्स की टीम में शामिल परुनिका सेमीफाइनल और फाइनल में 21 रन देकर 3 और 6 रन देकर 2 विकेट लिए। वह टूरनामेंट में चौथी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज रहीं।
वीजे जोशीथा: केरल की जोशीथा भारतीय गेंदबाजी आक्रमण की एक और महत्वपूर्ण कड़ी रहीं। उन्होंने छह मैचों में छह विकेट चटकाए और अपने अनुशासन से दूसरों का साथ दिया। उन्होंने प्रति ओवर पांच से कम की इकॉनमी रेट बनाए रखी।
शबनम शकील: विशाखापत्तनम की 17 वर्षीय खिलाड़ी पिछला विश्व कप जीतने वाली टीम की सदस्य थीं। उन्होंने सात मैचों में चार विकेट लिए। जोशीथा की तरह पूरे टूर्नामेंट में शबनम का गेंद पर नियंत्रण उनके योगदान का मुख्य आकर्षण था। 4 रन प्रति ओवर से थोड़े अधिक की इकॉनमी रेट के साथ शबनम ने सात मैचों में 17 ओवर फेंके और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 9 रन देकर 2 विकेट रहा। गोंगडी तृषा के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।