भारतीय क्रिकेट टीम के व्हाइट-बॉल कप्तान और ‘हिटमैन’ के नाम से मशहूर रोहित शर्मा ने अपनी शांत नेतृत्व शैली और शानदार बल्लेबाजी के लिए हमेशा सुर्खियां बटोरी हैं। लेकिन हाल ही में, उन्होंने क्रिकेट में ‘नैचुरल टैलेंट’ की अवधारणा पर एक ऐसा बयान दिया, जिसने सभी को चौंका दिया। वरिष्ठ पत्रकार विमल कुमार के साथ एक साक्षात्कार में रोहित ने ‘प्राकृतिक प्रतिभा’ के लेबल को सिरे से खारिज करते हुए अपनी बेबाक राय रखी।
“नैचुरल टैलेंट? बेकार है!”
जब रोहित से नैचुरल टैलेंट और नेतृत्व के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया, “बेकार है!” उन्होंने आगे कहा कि कुछ भी अपने आप नहीं आता। जो आसान दिखता है, उसके पीछे ढेर सारी मेहनत होती है। लोग उस मेहनत को नहीं देखते, जो ‘नैचुरल’ लगने वाले प्रदर्शन के पीछे छिपी होती है। चाहे खिलाड़ी बनना हो या लीडर, सब कुछ घंटों की मेहनत से आता है, कोई जादू नहीं। मैं खुद एक गेंदबाज के तौर पर शुरू हुआ था। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर शानदार प्रदर्शन के पीछे अनगिनत घंटों की मेहनत, समर्पण और तैयारी होती है, न कि केवल जन्मजात क्षमता।
रोहित का शानदार क्रिकेट सफर
रोहित शर्मा ने अपने करियर में यह साबित किया है कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। वनडे इंटरनेशनल (ODI) में उन्होंने 273 मैचों में 11,168 रन बनाए हैं, जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 264 रन है, जो वनडे क्रिकेट के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। उनकी कप्तानी में भारत ने 2024 में टी20 विश्व कप और 2025 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती, जिसने उन्हें खेल के शीर्ष लीडर्स में से एक के रूप में स्थापित किया।
टेस्ट करियर को कहा अलविदा
हाल ही में 38 वर्षीय रोहित ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, जो 20 जून से शुरू होने वाली इंग्लैंड के खिलाफ भारत की पांच टेस्ट मैचों की सीरीज से ठीक पहले आई। अपने 11 साल के टेस्ट करियर में उन्होंने 67 टेस्ट खेले और 4,301 रन बनाए, जिसमें 12 शतक शामिल हैं। उनका सर्वोच्च टेस्ट स्कोर 212 रन था, जो 2019 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक यादगार सीरीज में आया था।
रोहित के शुरुआती टेस्ट साल विदेशी परिस्थितियों में असंगत रहे, लेकिन आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) में सलामी बल्लेबाज के रूप में उन्होंने शानदार वापसी की। WTC युग में 2,716 रन और नौ शतकों के साथ वह इस टूर्नामेंट में भारत के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।
वनडे में अभी बरकरार
हालांकि रोहित ने टेस्ट और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है, लेकिन वह वनडे क्रिकेट में भारत का नेतृत्व करना जारी रखे हुए हैं। उनका संदेश वही है: महानता कोई तोहफा नहीं, बल्कि मेहनत से कमाई गई उपलब्धि है। रोहित का यह दृष्टिकोण न केवल युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह भी सिखाता है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।
रोहित की विरासत
रोहित शर्मा का यह बयान और उनका क्रिकेट करियर इस बात का जीता-जागता सबूत है कि मेहनत, अनुशासन और जुनून ही आपको शिखर तक ले जा सकते हैं। चाहे वह उनकी रिकॉर्ड तोड़ बल्लेबाजी हो या उनकी प्रेरक कप्तानी, रोहित ने दिखाया है कि ‘नैचुरल टैलेंट’ की बातें सिर्फ कहानियां हैं। असल में, मैदान पर चमकने के लिए कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है।