वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में 10 अक्टूबर से दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम बगैर दबाव के उतरेगी। शुभमन गिल की अगुआई वाली टीम ने अहमदाबाद में पहले टेस्ट में संतोषजनक जीत दर्ज की। जिस खिलाड़ी को भी मौका मिला उसने अच्छा प्रदर्शन किया। केवल साई सुदर्शन इस मौके को नहीं भुना पाए।
वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट में 21 साल के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज पर खुद को साबित करने का दबाव होगा। साई अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहे तो साउथ अफ्रीका के खिलाफ 2 मैचों की सीरीज से उनका पत्ता कट सकता है। भारत के पास कम से कम 5 विकल्प हैं, जिन्हें इस क्रम पर आजमाया जा सकता है।
करुण नायर बाहर
भारतीय टीम के लिए नंबर 3 दिक्कत लंबे समय से बनी हुई है। चेतेश्वर पुजारा के बाद शुभमन गिल को इस पोजिशन पर आजमाया गया। गिल ने इस क्रम पर कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया। विराट कोहली के संन्यास के बाद वह नंबर 4 पर खेलने लगे और अबतक धमाकेदार प्रदर्शन किया है। इंग्लैंड दौरे पर साई सुदर्शन और करुण नायर को इस क्रम पर आजमाया गया। दोनों का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। बाकी भारतीय बल्लेबाजों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया।
उम्मीद के मुताबिक नहीं प्रदर्शन कर पाए करुण नायर
नायर को नंबर 3 पर 4 पारियों में मौका मिला। उन्होंने 111 रन बनाए। इंग्लैंड में उन्होंने 8 पारियों में 205 रन बनाए। ऐसे में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में उन्हें स्क्वाड से बाहर कर दिया गया। मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने कहा कि करुण से उन्हें काफी अच्छे प्रदर्शन करने की उम्मीद थी। साई सुदर्शन ने अबतक केवल नंबर 3 पर बल्लेबाजी की है। 7 मैचों में उन्होंने 21 के औसत से 147 रन बनाए हैं। इसमें एक अर्धशतक शामिल है।
अभिमन्यु ईश्वरन को कब तक नजर अंदाज किया जाएगा?
अब वेस्टइंडीज के खिलाफ भी साई नहीं चल पाएंगे तो अगरकर की अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस में करुण नायर वाली लाइन इनके लिए कहा जाएगा, क्योंकि भारतीय टीम में मौका पाने के लिए काफी खिलाड़ी कतार में हैं। साई को मौका देने के लिए चयनकर्ता करुण से आगे बढ़ गए, लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 48.50 के औसत वाले अभिमन्यु ईश्वरन को कब तक नजर अंदाज किया जाएगा?
ये 4 खिलाड़ी भी हैं विकल्प
ईश्वरन के अलावा रजत पाटीदार मध्यक्रम में रन बना रहे हैं और तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका मिलने पर वह इसे दोनों हाथों से लपकने की कोशिश करेंगे। ध्रुव जुरेल,देवदत्त पडिक्कल और वाशिंगटन सुंदर के रूप में तीन अन्य विकल्प हैं। इंग्लैंड सीरीज से पहले वाशिंगटन सुंदर को तीसरे नंबर पर खिलाने को लेकर चर्चा हुई थी। वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में जुरेल और सुंदर को प्लेइंग 11 में मौका मिला। पडिक्कल भी स्क्वाड का हिस्सा हैं।
चयनकर्ता साई पर क्यों भरोसा जता रहे
जुरेल ने ऋषभ पंत की अनुपस्थिति में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में शतक जड़ा। साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में पंत की वापसी होगी तो जुरेल को बतौर बल्लेबाज खिलाने की बहस होगी। शतक जड़ने के बाद खिलाड़ी को बाहर बैठाने का फैसला आसान नहीं होता। चयनकर्ता साई पर भरोसा जता रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि चेन्नई के इस खिलाड़ी का स्वभाव विभिन्न परिस्थितियों में टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए उपयुक्त है।
जो रूट ने साई को दी सलाह
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इंग्लैंड सीरीज के अंत में जब दोनों टीमों ने एक साथ एक शाम बिताई तो जुरेल की मदद कर चुके जो रूट ने साई से बात की और उन्हें अपना खेल उतना ही सरल रखने के लिए कहा जितना कि अभी है। इंग्लैंड के दो अन्य पूर्व कप्तान माइक एथरटन और नासिर हुसैन ने भी यही सलाह दी।
साई ने कमजोरी पर किया काम
साई को सलाह ऐसे वक्त पर मिली जब लेग साइड पर आउट होने को लेकर उनकी काफी आलोचना हो रही थी। इंग्लैंड से लौटने पर साई ने चेन्नई में अपने कोचों के साथ इस कमोजरी पर काम किया। अहमदाबाद में वह लेग साइड में खेलने को लेकर आश्वस्त दिखे। लेकिन स्पिनरों के सामने उन्हें दिक्कत आई। साई को चहलकदमी करने के लिए जाना जाता है। वह क्रीज में ही जमे रहे और आगे आने के बजाय पीछे हटकर गलती कर बैठे।
ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ दमदार प्रदर्शन
ऐसा नहीं है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले साई ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। साउथ जोन के चयनकर्ताओं ने उन्हें दलीप ट्रॉफी के लिए टीम में शामिल नहीं किया था। इसके बाद उन्होंने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कुछ हफ्ते बिताए और फिर इंडिया ए के लिए दो मैचों में हिस्सा लिया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ क्रमशः 73, 75 और 100 रन बनाए, जहां केएल राहुल ने कहा था कि बल्लेबाजी के लिए हालात मुश्किल थे।
दिल्ली में खुद को साबित करने का आखिरी मौका
ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करने के बाद अहमदाबाद टेस्ट में साई को तीसरे नंबर की जगह को अपने नाम कर लेना चाहिए था। कम से कम साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के लिए तो ऐसा हो सकता था। अब दिल्ली में उन्हें खुद को साबित करना होगा। माना जा रहा है कि इस बाएं हाथ के बल्लेबाज को अभी भी टीम प्रबंधन का समर्थन प्राप्त है, लेकिन 10 दिन बाद रणजी ट्रॉफी शुरू होना। ऐसे में अन्य दावेदारों का अच्छा प्रदर्शन साई पर और दबाव डालेगा।
रन नहीं प्रतिभा के कारण चुने गए साई
दिल्ली में साई रन बनाएं या नहीं उनको पता है कि आने वाले हफ्तों में बहुत कुछ दांव पर लगा है। जब चेतेश्वर पुजारा भारतीय टीम में चुने गए थे तब उनके नाम 14 प्रथम श्रेणी शतक थे और उनका औसत 60.38 था। वर्तमान में साई के नाम केवल 8 प्रथम श्रेणी शतक हैं और उनका औसत 39.86 है। यह दर्शाता है कि उन्हें उनके रनों की संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि उनकी प्रतिभा के आधार पर चुना गया है।