धर्मशाला स्थित हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम दुनिया में क्रिकेट के सबसे खूबसूरत मैदानों में से एक है। हिमालय की तलहटी में स्थित यह मैदान समुद्र तल से 1457 मीटर की ऊंचाई पर है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता को न केवल भारतीय, बल्कि दौरा करने वाली टीमों के प्रशंसकों ने भी सराहा है। हालांकि, जब एक प्रशंसक ने ए स्पोर्ट्स पर पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर वसीम अकरम से सवाल किया, ‘हमने धर्मशाला और क्वींसटाउन (न्यूजीलैंड) जैसे स्टेडियम देखे हैं तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) उत्तरी क्षेत्रों में स्टेडियमों के बुनियादी ढांचे में निवेश क्यों नहीं करता है?’
इस पर अकरम ने सवालिया लहजे में जवाब देते हुए कहा, ‘हम तीन स्टेडियमों का रखरखाव भी नहीं कर सकते। बाकी कहा नया बना लेंगे?’ वसीम अकरम ने कहा, ‘क्या आपने गद्दाफी स्टेडियम की छत देखी है जिसे वे ड्रोन से दिखा रहे थे? हमारे पास जो तीन हैं हम उन्हें ही मेंटेन नहीं कर सकते। हम केवल नया बनाने का सपना ही देख सकते हैं। हालांकि, हमारे पास नया स्टेडियम बनाने के लिए पर्याप्त जगह है। एबटाबाद एक बहुत ही खूबसूरत मैदान है।’
रातोंरात नहीं हुआ धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण
धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण रातोंरात नहीं हुआ। इस परिदृश्य को एक अंतरराष्ट्रीय सुविधा के रूप में विकसित होने में एक दशक लग गया। यह एक ऐसी परियोजना थी जो धन की कमी और क्षेत्रीय राजनीति के कारण विलंबित हो गई थी।
यह काफी हद तक स्थानीय क्रिकेट एसोसिएशन और एक वास्तुकार के प्यार का नतीजा था जो सूक्ष्मता, अनुपात और अपनी रचनाओं को प्रकृति में सहजता से मिश्रित करने में विश्वास करता था।
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा खेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर 25 साल की उम्र में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट के प्रमुख थे। पहाड़ियों में एक ऐसी जगह की तलाश में जहां क्रिकेट मैदान बनाया जा सके वह टोह लेते हुए धर्मशाला पहुंचे थे।
क्रिकेटर से पत्रकार बने इंग्लैंड के माइकल एथरटन ने अपने हालिया कॉलम में उल्लेख किया था, यहां की यात्रा हमेशा से उनकी बकेट लिस्ट में रही है। धर्मशाला का अर्थ है तीर्थयात्रियों का विश्राम स्थल और यह आज भी अपने नाम के अनुरूप है।