हॉक-आई के जनक पॉल हॉकिन्स ने भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के दौरान विवादास्पद फैसलों के बाद डिसिजन रिव्यू सिस्टम (DRS) पर “तथ्यात्मक रूप से गलत” टिप्पणियों के लिए पूर्व अंग्रेज कप्तान माइकल वॉन की आलोचना की है। वॉन ने रांची में जो रूट के आउट होने के बाद बयान दिया था। वॉन ने पारदर्शिता के ट्रक में डीआरएस ऑपरेटर्स पर कैमरे लगाने के लिए कहा था। इससे पहले बेन स्टोक्स ने अंपायर कॉल को खत्म करने की बात कही थी।

वॉन के सुझावों के बारे में पूछे जाने पर हॉकिन्स ने विस्तार से बताया कि डीआरएस ऑपरेटर कैसे काम करते हैं। रिव्यू लेने के बाद ग्राफिक्स दिखाने में कितने लोग शामिल होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि क्वालिटी कंट्रोल के लिए वैन के अंदर कैमरे लगे होते हैं। उन्होंने द एनालिस्ट पॉडकास्ट से कहा, “हॉक-आई ट्रैकिंग के लिए आमतौर पर तीन लोग होते हैं। एक अन्य व्यक्ति अल्ट्राएज संभालता है। एक व्यक्ति आउटपुट साइड को संभालता है। दो लोग बॉल ट्रैकिंग करते हैं। इसलिए विफलता की कोई बात ही नहीं है। कैमरे दो ट्रैकिंग सिस्टम में होते हैं, दो सेट रीडर और दो अलग-अलग ऑपरेटर होते हैं। हर गेंद के साथ दो घड़ियों पर ध्यान रखना होता है। आप जांचत रहते हैं कि वे हमेशा समान हैं। क्वालिटी कंट्रोल के लिए दो सिस्टम होते हैं।”

हॉकिन्स ने क्या कहा?

हॉकिन्स ने कहा, “क्वालिटी कंट्रोल के संदर्भ में सबसे अच्छी बात वैन कैमरा है। यह एक आंतरिक प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि इसमें शामिल लोग अपने फोन पर न हों। क्वालिटी कंट्रोल के मामले में सबसे अच्छी बात यह है कि ट्रैकिंग सिस्टम का ऑटोमेटिक स्क्रीनग्रैब लिया जाता है और वह खुद ब खुद आईसीसी के पास चला जाता है। हालांकि, यह कभी प्रसारित नहीं होता।”

वॉन को लेकर क्या कहा?

डीआरएस वैन में कैमरों की मौजूदगी को स्पष्ट करने के बाद हॉकिन्स ने वॉन के सुझाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनका तथ्यात्मक रूप से सही होना जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ” मुझे लगता है कि कमेंट्री में थोड़ी ज्ञान की कमी है। वॉन का कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। जाहिर तौर पर वह एक शानदार खिलाड़ी थे और उन्हें खेलते हुए देखकर बहुत मजा आता। वह एक महान कमेंटेटर हैं। बहुत मनोरंजन करते । मुझे लगता है कि जर्नलिजम के लिहाज से यह खेल के प्रति उनकी जिम्मेदारी है। थोड़ी और तैयारी करने से वह जो लिख रहे होंगे वह तथ्यात्मक रूप से सही होगा। जिस तरह हॉक-आई का दायित्व तथ्यात्मक रूप से सही होना है, उसी तरह शायद पत्रकारों का भी है।”