संदीप द्विवेदी। सुलेमान ‘सोली’ एडम और उनका परिवार लगातार 4 दिन तक थार रेगिस्तान से होकर गुजरा। सिर पर चिलचिलाती धूप और गर्म रेत पर वे चलते ही जा रहे थे। सिर्फ 7 साल के सोली ने अपनी मां का हाथ पकड़ रखा था। उसकी 4 साल की बहन पिता के कंधों पर बैठी थी। यात्रा के दौरान हथकड़ी लगाई गई थी। बाद में उन्हें नई चिह्नित सीमा के पास रिहा कर दिया गया और पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया।

यह 1952 की बात है। यह विभाजन के बाद गुजरात के एक गांव से सोली के परिवार को उठाकर पाकिस्तान भेजने की कहानी थी। हालांकि, वे कहां जा रहे हैं, इस बात से हैरान सोली चिंतित थे कि क्या वह अपना पसंदीदा खेल क्रिकेट फिर कभी खेल पाएंगे।

कठिनाइयों भरा बचपन काटने के बाद किशोर सोली उस समय सिर्फ 3 पाउंड के साथ इंग्लैंड के लिए एक जहाज पर सवार हो गया। तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह आगे चलकर वह कई घरों, पेट्रोल पंपों, सुपर मार्केट के मालिक होंगे और क्रिकेट खेलने का मौका कभी नहीं चूकेंगे। एक बेघर लड़का अनगिनत आगंतुकों को रहने के लिए छत देगा, वह भी ज्यादातर यॉर्कशायर में क्लब क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों को। सुनील गावस्कर और इमरान खान उसके करीबी दोस्त होंगे।

80 साल के हो चुके सोली ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, मैं सच में मानता हूं कि मुश्किल रास्ते अक्सर खूबसूरत जगहों की ओर ले जाते हैं और क्रिकेट ने मुझे जिंदगी के कई सबक सिखाए हैं। सोली के घर पर इन दिनों कई मेहमान हैं। भारत बनाम इंग्लैंड 5 मैच की सीरीज के शुरुआती टेस्ट से दो दिन पहले सुनील गावस्कर उनके घर पर पहुंचे। यह भारतीय दिग्गज पहले भी कई बार उनके घर आ चुके हैं। ‘सोली’ फोन पर बाततीच के दौरान बहुत उत्साहित थे। सोली कहते हैं, ‘सुनील ने मुझे कहा कि मैं यहां हूं और हम टेस्ट मैच के दौरान मुलाकात करेंगे। मैं बहुत खुश हूं।’

सचिन तेंदुलकर-यॉर्कशायर में करार की कहानी

इस मुलाकात के खास होने की एक वजह और है। यह पहली तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी श्रृंखला है। सोली ने ही यार्कशायर और सचिन तेंदुलकर दोनों को 1992 में करार के लिए राजी किया था, जिसके परिणामस्वरूप यह भारतीय दिग्गज खिलाड़ी हेडिंग्ले को अपना घर बुलाने वाला पहला विदेशी खिलाड़ी बना।

सोली को वह नाटकीय घटनाक्रम आज भी याद है जो यॉर्कशायर में तेंदुलकर को इतिहास रचने के दौरान हुआ। इसकी शुरुआत सोली को यह जानने के साथ हुई कि यॉर्कशायर ने ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज क्रेग मैकडरमोट को अपने पहले विदेशी खिलाड़ी के रूप में साइन किया। कुछ दिनों बाद, उन्होंने टीवी पर सुना कि मैकडरमोट घायल हो गए हैं। हमेशा से एक उद्यमी दिमाग रखने वाले सोली ने इस एक अवसर को सूंघ लिया।

सोली ने बताया, ‘जिस क्षण मुझे पता चला, मैं यॉर्कशायर क्लब पहुंच गया। मैंने उनसे पूछा कि आप किसी भारतीय या पाकिस्तानी के साथ करार क्यों नहीं करते? मैंने तर्क दिया कि यॉर्कशायर में बड़ी संख्या में एशियाई प्रवासी हैं, इसलिए वे तेंदुलकर या जावेद मियांदाद पर विचार कर सकते हैं।’ यही वह समय था जब महान डॉन ब्रैडमैन ने कहा था कि तेंदुलकर को बल्लेबाजी करते हुए देखने से उन्हें अपनी बल्लेबाजी की याद आ जाती है। दो से तीन घंटे में सोली यार्कशायर मैनेजमेंट को राजी कर ले गए। सोली कहते हैं, उन्होंने तेंदुलकर को चुना, लेकिन एक समस्या थी।’

बाहरी दुनिया से दूर यार्कशायर के पदाधिकारियों को पता नहीं था कि तेंदुलकर तक कैसे पहुंचा जाए। इस पर सोली उनसे बोले कि इसे आप मुझ पर छोड़ दें। सचिन तेंदलुकर इंग्लैंड में क्लब क्रिकेट खेल रहे थे, तब सोली उनकी मेजबानी कर चुके थे। वह सोली के बेटे की शादी में भी पहुंचे थे। जब यॉर्कशायर की पेशकश आई तब तेंदुलकर ऑस्ट्रेलिया (टेस्ट सीरीज के बीच में) में थे। जब सोली ने फोन किया तो अंतरराष्ट्रीय और घरेलू व्यस्तताओं से परेशान तेंदुलकर को यकीन नहीं हुआ।

अब सोली बात कर सकते हैं। उनका लगातार बढ़ता हुआ व्यापारिक साम्राज्य उनकी डील-मेकर की प्रतिभा की वजह से था। सोली कहते हैं, ‘मैंने उनसे कहा कि वह युवा हैं और ऐसा कर सकते हैं। बाद में मैंने अपने दोस्त सुनील (गावस्कर) से तेंदुलकर से बात करने को कहा। समरसेट के लिए खेलते हुए सुनील को फायदा हुआ था। आखिरकार तेंदुलकर को मना लिया गया और इतिहास रच गया।’

क्रिकेटर्स के लिए पार्ट-टाइम जॉब का इंतजाम

लीड्स पहुंचने के बाद सोलीभाई का निवास स्थान तेंदुलकर का दूसरा घर होगा, जहां भोजन कक्ष में हमेशा गर्म भारतीय भोजन तैयार रहता है। जब से सोली एक सक्रिय क्लब क्रिकेटर थे, तब से उनके घर के दरवाजे भारतीय और पाकिस्तानी क्रिकेटर्स के लिए खुले थे। गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, चंद्रकांत पंडित, संजय मांजरेकर, अभय कुरुविला, साईराज बहुतुले, मोहम्मद कैफ, वसीम जाफर जैसे भारतीय क्रिकेटर्स की पीढ़ियों ने उनकी मेहमाननवाजी का आनंद लिया है।

सोली के क्रिकेटर मित्रों के अनुमानों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने घरेलू मैदान पर 400 से अधिक खिलाड़ियों की मेजबानी की है। सिर्फ रहने और भोजन के लिए ही नहीं, सोलीभाई खिलाड़ियों के लिए अंशकालिक नौकरियों की व्यवस्था भी करते थे ताकि वे गैर-मैच दिनों में कमा सकें। कई लोग उनके पेट्रोल पंप और सुपर मार्केट में काम करते थे।

सोली ने बताया, ‘एक समय भारतीय टीम में 9 क्रिकेटर थे, जिन्हें मेरे द्वारा व्यवस्थित किए गए अंग्रेजी कार्यकाल से लाभ हुआ था। मैं कोई एजेंट नहीं था, मैं ऐसा व्यक्ति था जो क्रिकेटर्स की मदद करना चाहता था।’ खिलाड़ियों ने इसे पहचाना और उन्होंने सोलीभाई को अपना हितैषी, शुभचिंतक और आदर्श माना।

…जब सोली के घर पर रुकीं क्रिकेटर्स की पत्नियां

यही कारण है कि गावस्कर ने इंग्लैंड दौरे के दौरान निराशाजनक स्थिति का सामना करने पर सोली को फोन किया था। उन्होंने बताया, ‘उन दिनों टेस्ट मैच के बीच में दौरा करने वाली टीम काउंटी टीमों के खिलाफ खेलती थी। तो ऐसे ही एक टूर गेम में, वह यॉर्कशायर से हार गए। टीम के मैनेजर काफी नाराज थे। उन्होंने पत्नियों को टीम होटल में रुकने या साथ वाले कोच में यात्रा करने से मना कर दिया।

सोली ने बताया, ‘तब उन्हें दैनिक भत्ते के रूप में 3 पाउंड मिलते थे, लेकिन यदि वह अपनी पत्नी के लिए होटल में कमरा बुक कराते तो उन्हें एक पाउंड खर्च करना पड़ता। तब सुनील ने मुझे फोन किया और कहा, ‘क्या क्रिकेटर्स की पत्नियां आपके घर पर रह सकती हैं? मैंने कहा, ‘हां, कोई बात नहीं।’

सोली के ‘फर्श से अर्श’ पर पहुंचने की कहानी

इंग्लैंड में अपने नए जीवन की शुरुआत में, सोली एक कारखाने में एक दैनिक मजदूर थे। उनका काम मशीनों से तेल पोंछना था। बचत की आदत ने उन्हें एक टैक्सी का मालिक बनाया। इसके बाद उन्होंने मोटर मैकेनिक बनने की डिग्री हासिल की। दोस्तों की वित्तीय मदद और परिवार के भाग्य ने उन्हें एक पेट्रोल स्टेशन का मालिक बना दिया। यही वह अवसर था, जिसने उनका जीवन बदल दिया।

सोली कहते हैं, ‘उन दिनों इंग्लैंड में पेट्रोल स्टेशन सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुला रहता था। हमने इसे सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक करना शुरू कर दिया। हमने सप्ताह में 7 दिन भी काम किया जो किसी ने नहीं किया। हमारा पेट्रोल स्टेशन क्रिसमस के दिन और बॉक्सिंग डे पर भी खुला रहता था। जल्द ही बात फैल गई, हमारे पास वाहनों की कतार थी। मैंने बहुत पैसा कमाया और इसने मेरी जिंदगी बदल दी।’