पिछले कुछ वर्षों में सफेद गेंद के प्रारूप में इंग्लैंड की सफलता पूरी तरह से आक्रामकता या फैंस की जुबान में कहें तो बैजबॉल पर आधारित थी। ऑलराउंडर मोईन अली ने मंगलवार को स्वीकार किया कि गत चैंपियन टीम मौजूदा विश्व कप में उस तरह का क्रिकेट खेलने में नाकाम रही है। इंग्लैंड मौजूदा टूर्नामेंट में चार में से तीन मैच हार चुका है और सेमीफाइनल में पहुंचने की अपनी उम्मीदों को बरकरार रखने के लिए उसे आगामी मुकाबले जीतने होंगे।
इंग्लैंड को हुआ नुकसान
मोईन ने मैच से पूर्व प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘हम 2015 से आक्रामक क्रिकेट खेल रहे हैं और हमने ऐसा काफी अच्छी तरह किया है। मुझे लगता है कि क्रिकेट खेलने के उस तरीके की कमी के कारण हमें इस टूर्नामेंट में थोड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें उस तरह से खेलने की ज़रूरत है लेकिन गेंद को ताबड़तोड़ मारने की जरूरत नहीं है। हमें उस तरह की आक्रामक टीम बनना होगा जो हमें पता है हम बन सकते हैं।’’
मोईन ने स्वीकार किया कि हमेशा उस तरह का क्रिकेट खेलना आसान नहीं होता है क्योंकि इसके लिए निरंतर आक्रामकता की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमेशा इतना आसान नहीं होता है। हां, ज्यादातर समय आप चाहते हैं कि खिलाड़ी तेजी से रन बनाए और लंबे समय तक रन बनाए, इससे बाकी लोगों के लिए चीजें आसान हो जाती हैं लेकिन यह हमेशा इस तरह काम नहीं करता है।’’ इस 36 वर्षीय खिलाड़ी को उम्मीद है कि जॉनी बेयरस्टो और डेविड मलान की सलामी जोड़ी और तीसरे नंबर का बल्लेबाज जल्द ही अच्छा प्रदर्शन करेगा जिससे कि मध्य क्रम के खिलाड़ी इसका फायदा उठा सकें। जैसा कुछ दक्षिण अफ्रीका यहां कर रहा है।
किस्मत पलटने में लगी है इंग्लैंड की टीम
मोईन ने कहा, ‘‘अगर आपके शीर्ष तीन खिलाड़ी रन बनाते हैं तो निश्चित रूप से इससे बाकी खिलाड़ियों की मदद होती है और आप बड़े स्कोर बनाने में सफल होते हैं।’’ मोईन ने तर्क दिया कि उनका और कप्तान जोस बटलर का आईपीएल में खेलने का अनुभव टूर्नामेंट के किसी चरण में इंग्लैंड के लिए अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि पूरी टीम को अपनी किस्मत में बदलाव लाने के लिए जल्द ही फिर से संगठित होना होगा।
भाषा इनपुट के साथ