India vs England: भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ चौथा टेस्ट मैच तब ड्रॉ करा लिया जब एक वक्त पर लग रहा था कि शुभमन गिल की टीम शायद इस मैच को गंवा दे। इंग्लैंड ने जब पहली पारी में 311 रन की लीड ले ली थी और बेन स्टोक्स के खेमे में खुशी ही खुशी थी कि हम ये मैच शायद पारी से जीत लेंगे, लेकिन गिल, राहुल, जडेजा और सुंदर की बल्लेबाजी ने अंग्रेजों की खुशियों को मातम में बदल दिया।
रहम के काबिल नहीं थी इंग्लैंड की टीम
इस मैच के खत्म होने के बाद बेन स्टोक्स ने कहा कि भारतीय टीम ने 10-15 रन ज्यादा बना लिए तो उससे क्या हुआ। ये उनकी घटिया मानसिकता को जताता है कि आप अगर बैकफुट पर हैं तो रंग बदल लो और खुद का बचाव कर लो। ये सही तो कहीं से भी नहीं है। स्टोक्स के अपने गेंदबाजों की चिंता हो रही थी जो गेंदबाजी करते-करते हांफ रहे थे और विकेट मिल नहीं रहा था। उन्हें लग रहा था कि अगर वो और ज्यादा गेंदबाजी करेंगे तो पता नहीं आगे क्या होगा।
ड्रॉ की भीख मांगते दिखे बेन स्टोक्स
अब इंग्लैंड की बात करते हैं कि जब पहली पारी में उन्होंने 669 रन बनाए। पहली पारी में भारतीय गेंदबाजों ने 157.1 ओवर गेंदबाजी की और उन्होंने तरस नहीं दिखाई। वो तब तक खेलते रहे जब तक की उनसे सभी बल्लेबाज आउट नहीं हो गए। अब दूसरी पारी में जब उनके गेंदबाजों ने 143 ओवर ही फेंके तब उनकी जान सूखने लगी और वो भारत के सामने ड्रॉ की भीख मांगने लगे।
इंग्लैंड को और रगड़ना चाहिए था
यहां भारतीय टीम ने बड़ी गलती कर ली। भारतीय टीम को करना ये चाहिए था कि उन्हें पांचवें दिन पूरे समय तक बल्लेबाजी करनी चाहिए थी और इंग्लैंड को और रगड़ना चाहिए थे। उनके गेंदबाजों से और मेहनत करवानी चाहिए थी कि पांचवें टेस्ट मैच से पहले उनके कुछ गेंदबाज गेंदबाजी के नाम से ही डर जाएं। टीम इंडिया ने रहम दिखाकर और पहले ही मैच को ड्रॉ मानते हुए पारी को समाप्त नहीं करना चाहिए था। बेन स्टोक्स को सबक सिखाने की जरूरत थी और शायद यहां हम चूक गए। ये अंग्रेज रहम के काबिल तो बिल्कुल भी नहीं थे।