क्या कुलदीप यादव को भारत बनाम इंग्लैंड अंतिम टेस्ट में सीरीज का पहला मैच खेलने का मौका मिलेगा? टीम प्रबंधन इस विकल्प पर विचार कर रहा है, लेकिन यह पूरी तरह से तय नहीं है। जानकारों के अनुसार, कुलदीप के लिए दुर्भाग्य की बात यह है कि निर्णय लेने वालों को उनके कौशल या प्रतिभा पर संदेह नहीं है। उन्हें टीम से बाहर रखने वाली वजह भारत के प्रमुख बैटर्स, खासकर तीसरे नंबर के बल्लेबाजों की अविश्वसनीयता है और हैरानी की बात यह है कि विकेटकीपरों की भी। इसके अलावा स्थानीय हालात भी। दौरे की शुरुआत में ऋषभ पंत थे और अब उनकी जगह ध्रुव जुरेल हैं। ओवल कुलदीप के लिए आदर्श क्यों नहीं हो सकता, इस बारे में बाद में और बात करेंगे। सबसे पहले विकेटकीपर।
ऋषभ पंत क्रिकेट जगत और टीम के लिए एक पहेली रहे हैं। उनके साथ काम करते समय, भारतीय निर्णय लेने वाले ‘विश्वास रखो, लेकिन आंख मूंद कर मत बैठो’ के सिद्धांत पर अड़े रहते हैं। मतलब उन पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता। भारतीय निर्णयकर्ता उनके साथ सतर्क रहते हैं- यानी ऊपर से भरोसा दिखाते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर सभी सावधानियां भी बरतते हैं। तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी सीरीज से पहले, वह टीम के लिए एक अहम खिलाड़ी रहे हैं, लेकिन पूरी तरह से स्थिर नहीं रहे हैं।
एक समय ऐसा भी था कि किसी ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द योजनाएं नहीं बनाई जा सकतीं जिसे पहले ही ओवर में पिच पर छलांग लगाने की आदत हो। और ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द तो बिल्कुल नहीं जिसने ऑस्ट्रेलिया में नौ पारियों में सिर्फ एक अर्धशतक बनाया हो, जो इंग्लैंड दौरे से पहले भारत का आखिरी टेस्ट मैच था।
ऐसा नहीं है कि सही स्ट्रोक और रन बनाने के पारंपरिक नजरिए वाले बल्लेबाजों के बुरे दौर नहीं आते। वे भी नाकाम होते हैं, लेकिन एक ऐसे क्रिकेटर पर भरोसा करना स्वाभाविक है जो समय की कसौटी पर खरा उतरता हो। अगर किसी गणितज्ञ को भारतीय बल्लेबाजी क्रम का वर्णन करना हो, तो केएल राहुल और शुभमन गिल कंसिस्टेंस रहेंगे और पंत जैसे बल्लेबाज वेरिएबल्स (अस्थिर)।
हालांकि, मौजूदा इंग्लैंड दौरे पर, पंत स्थिर खिलाड़ियों में से एक बनते जा रहे थे। यहां अपनी 7 पारियों में, उन्होंने दो शतक और तीन अर्धशतक बनाए, लेकिन जब टीम प्रबंधन निचले क्रम से आने वाले रन के लिए अभ्यस्त हो ही रहा था, तभी दौरे पर भारत के सबसे सहज दिख रहे बल्लेबाज के पैर में एक गेंद लग गई। इस फ्रैक्चर के कारण वह बाकी सीरीज से बाहर हो गए। अब पंत की जगह जुरेल आए हैं, जिन्होंने भारत के बाहर सिर्फ एक टेस्ट खेला है। पर्थ में उनका प्रदर्शन ज्यादा लंबा नहीं रहा।
आत्मविश्वास नहीं जगा पा रहे
मध्यक्रम में विराट कोहली की जगह भरनी है। इस नंबर पर साई सुदर्शन और करुण नायर को ट्राई किया गया, लेकिन वे अब तक टीम प्रबंधन को आत्मविश्वास नहीं दिला पाए। उन्हें मौके दिए गए, लेकिन उन्होंने आसान गेंदों पर आउट होने और मुश्किल परिस्थितियों में रन न बनाने की प्रवृत्ति दिखाई। लगता है कि वे अपने विकेट की ज्यादा कीमत नहीं चुका रहे हैं। अगर भारत के पास तीसरे नंबर पर एक स्थिर बल्लेबाज होता और एक विकेटकीपर जो औसत क्रिकेट खेलता होता, तो कुलदीप इंग्लैंड में ज्यादातर टेस्ट मैच में एक निश्चित चयन होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
यही वजह है कि भारत के सामने फिर से वही पुराना सवाल है: क्या टीम इंडिया को विशेषज्ञ बाएं हाथ के कलाई के स्पिनर के साथ जाना चाहिए या तेज गेंदबाज ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर के साथ ही रहना चाहिए? बल्लेबाजी कोच सितांशु कोटक ने कुलदीप यादव को चुनने की जटिलता को समझाया। उनसे 8 से 11 नंबर तक चार विशेषज्ञ गेंदबाजों को खिलाने के बारे में एक सवाल पूछा गया था। दूसरे शब्दों में कहें तो कुलदीप यादव और तीन विशुद्ध तेज गेंदबाज के साथ उतरना।
‘550 से 600 रन और 20 विकेट लेना, दोनों जरूरी’
कोटक ने कहा, ‘550 से 600 रन बनाना उतना ही जरूरी है जितना 20 विकेट लेना’ और रन बनाकर ही उन्होंने एजबेस्टन में इस सीरीज का अपना एकमात्र टेस्ट जीता। उन्होंने दुविधा को समझाया, ‘जब आप पांच गेंदबाजों के साथ खेलते हैं, तो सभी को अच्छी गेंदबाजी करनी होती है। अगर आप 6 गेंदबाजों के साथ खेलते हैं, तो उनमें से एक गेंदबाज कमजोर पड़ सकता है। अगर वह गेंदबाज ऑलराउंडर है, तो आप जानते हैं कि वह बल्लेबाजी में भी योगदान देगा। लेकिन अगर वह एक शुद्ध गेंदबाज है… तो जब आप खेल को पीछे मुड़कर देखेंगे तब आपको लगेगा कि एक अतिरिक्त गेंदबाज की बजाय, काश हमारे पास एक बल्लेबाज होता…।’
कोटक ने संकेत दिया कि मैच के बाद समझदारी से काम लेना हमेशा आसान होता है। उससे पहले, टीम प्रबंधन केवल एक संतुलित टीम के बारे में सोच सकता है, लेकिन उन्होंने फिर भी कुलदीप को नकारा नहीं। उन्होंने कहा, ‘यह विकेट और हमारी राय पर भी निर्भर करता है… कप्तान और कोच पिच को देखकर तय करेंगे कि वे किसे खिलाएंगे।’
पिच और कुलदीप यादव
अब पिच की बात करें और स्पिन विभाग में कुलदीप को शामिल करने का सवाल। वह भी तब जब स्पिन विभाग में रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर जैसे बेहतरीन ऑलराउंडर पहले से ही शामिल हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या भारत ओवल में तीन स्पिनर्स के साथ उतर सकता है?
ऐतिहासिक रूप से, यह मैदान स्पिनर्स के लिए मददगार रहा है। हालांकि, इस बार यहां घरेलू मुकाबलों में टीमें 250-300 के बीच रन ही बना पाईं हैं, जिसमें तेज गेंदबाज ज्यादातर नुकसान पहुंचाते रहे हैं। यह इंग्लैंड टीम में नए खिलाड़ी, घरेलू खिलाड़ी जेमी ओवरटन, के शामिल होने से साफ जाहिर होता है।
ऑफ स्पिनर शोएब बशीर के चोटिल होने और लियाम डॉसन के मैनचेस्टर में ज्यादा प्रभावी नहीं होने के कारण, इंग्लैंड अपने तेज गेंदबाजों पर ध्यान केंद्रित करेगा। ओवरटन, सरे के एक और खिलाड़ी गस एटकिंसन के साथ जुड़ेंगे। गस एटकिंसन ओवल में अपनी पकड़ अच्छी तरह से जानते हैं।
क्या भारत जसप्रीत बुमराह को खिलाएगा?
ऐसा लगता तो नहीं है, लेकिन इसकी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। अगर दुनिया का नंबर 1 गेंदबाज बाहर बैठता है तो पूरी संभावना है कि भारत मोहम्मद सिराज, आकाशदीप और अर्शदीप सिंह को खिलाएगा।
बुमराह पर अधिक बोझ डालना ठीक है?
इस दौरे पर एक समय कोच गौतम गंभीर इसके सख्त खिलाफ थे। लेकिन मौजूदा भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में मेजबान टीम को एकमात्र जीत तब मिली जब जसप्रीत बुमराह प्लेइंग इलेवन में नहीं थे। क्या सीरीज आगे बढ़ने के साथ-साथ नई गेंद से उनका प्रभाव कम हो गया है और वह धीमे होते जा रहे हैं? ऐसे में ओवल में भारत को अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना होगा।