शुभमन गिल की अगुआई में भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले 3 मैचों बेहतरीन प्रदर्शन किया। लीड्स और लॉर्ड्स में भारतीय टीम को भले हार मिली, लेकिन प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। मैनचेस्टर चौथे टेस्ट में ऐसा प्रदर्शन हुआ कि भारतीय टीम के चयन और गेंदबाजी की कलई खुल गई। एक दशक से भी ज्यादा समय में यह पहली बार है जब भारत ने एशिया के बाहर 500 रन दे दिए।
दिखावटी 6 गेंदबाजी विकल्प
गौतम गंभीर के कोच बनने के बाद भारतीय टीम 3 ऑलराउंडर्स को खिलाने की रणनीति पर अड़ी हुई है। टीम के पास 6 गेंदबाजी विकल्प हैं, लेकिन यह दिखावटी मात्र है। गेंदबाजी का भार तीन तेज गेंदबाजों पर ज्यादा है। ऐसा नहीं होता तो वाशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर का ठीक से इस्तेमाल होता। शुभमन गिल नए कप्तान हैं। उनके बचाव में यह कहा जा सकता है कि उनके पास गेंदबाजों के इस्तेमाल करने का आइडिया नहीं है, लेकिन यह चीज ऑस्ट्रेलिया दौर पर भी देखने को मिली थी।
तीसरा तेज गेंदबाज कमजोर कड़ी
वाशिंगटन सुंदर को मेलबर्न और सिडनी में खेलने को मिला, लेकिन उन्होंने ज्यादा गेंदबाजी नहीं की। साफ है भारतीय टीम में 3 ऑलराउंडर गेंदबाजी के बजाय बल्लेबाजी के लिए खेल रहे हैं। गिल की अगुआई वाली टीम में सबसे कमजोर कड़ी तीसरा तेज गेंदबाज है। आकाशदीप का चोटिल होना भारत के लिए चिंता का विषय रहा।
कम्बोज की कम रफ्तार
प्रसिद्ध कृष्णा और मैनचेस्टर टेस्ट के डेब्यूटेंट अंशुल कम्बोज की साधारण गेंदबाजी ने काम खराब किया। एक टेस्ट के आधार पर कम्बोज की आलोचना ठीक नहीं है, लेकिन उनकी रफ्तार चौंकाने वाली है। 130 किलोमीटर प्रतिघंटे से भी कम रफ्तार का क्या जवाब है? दूसरे दिन 128.26 प्रतिघंटे की औसत रफ्तार वाले कम्बोज की रफ्तार तीसरे दिन और गिर गई। उनकी औसत रफ्तार 125.34 किलोमीटर प्रतिघंटे की हो गई। आईपीएल में उन्होंने 55 प्रतिशत गेंदे 135 किलोमीटर प्रतिघंटे से की।
कम्बोज का विचित्र मामला
कम्बोज की रफ्तार गिरने से मोर्ने मोर्कल भी हैरान हैं। मोर्केल ने स्वयं टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले इंडिया ए के मैचों के दौरान कम्बोज को काफी तेज गेंदबाजी करते देखा था। संभवतः मैच से दो दिन पहले नेट पर भी ऐसा हुआ था। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि कम्बोज को चयन हुआ क्योंकि वह ज्यादा गेंदबाजी करते और ऑफ स्टंप पर बल्लेबाजों को खिलाते और परेशान करते रहते।
जसप्रीत बुमराह नहीं दिखा पाए कमाल
भारत के लिए चिंता का विषय जसप्रीत बुमराह का प्रभाव नहीं छोड़ पाना है। मैनचेस्टर टेस्ट में तो बुमराह काफी साधारण गेंदबाज दिखे। लाइन लेंथ से तो भटके ही, रफ्तार भी काफी कम दिखी। वर्कलोड मैनेजमेंट के कारण बुमराह एक स्पेल में ज्यादा से ज्यादा 5 ओवर करते हैं। इंग्लैंड के बल्लेबाज इस बात से बखूबी परिचित हैं। वह 5 ओवर निकाल देते हैं। इसके बाद अन्य गेंदबाजों पर रन बनाते हैं। खासतौर पर तीसरा तेज गेंदबाज निशाने पर होता है।
मोहम्मद सिराज पर बोझ
जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड के कारण मोहम्मद सिराज पर बोझ पड़ रहा है। सिराज ने अच्छी गेंदबाजी की है, लेकिन उन्हें सपोर्ट नहीं मिला। बर्मिंघम में आकाशदीप से सपोर्ट मिला तो सिराज ने काफी प्रभावी गेंदबाजी की। लॉर्ड्स में भी ऐसा हुआ, लेकिन मैनचेस्टर में वह काफी थके-थके से दिख रहे हैं। उन्होंने अबतक 135 ओवर गेंदबाजी की है।