प्रत्यूष राज। ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम का नाम हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के भाई के नाम पर रखा गया है, लेकिन जहां तक क्रिकेट का सवाल है यह हमेशा से ही मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के लिए खास रहा है। यही वह स्टेडियम है, जहां तेंदुलकर ने 24 फरवरी, 2010 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे में पहला दोहरा शतक बनाया था। यह उस स्टेडियम में उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच था।
इस मैच को 14 साल से ज्यादा का समय हो गया है। स्टेडियम की खस्ता हालत से इसके बारे में साफ पता चलता है। बड़े स्कोरबोर्ड जंग खा चुके हैं, थ्री लेग फ्लडलाइट्स का इस्तेमाल लंबे समय से नहीं हुआ है, पवेलियन धूल से भरे हैं, स्टैंड्स टूटे-फूटे हैं और हेप्टागन के आकार वाले मैदान के बारे में जितना कम कहा जाए उतना अच्छा है। लेकिन यह वेन्यू अभी भी खेल के दिग्गज के साथ अपने महत्वपूर्ण संबंध पर गर्व करता है।
ग्वालियर में 14 साल बाद इंटरनेशनल मैच होगा, लेकिन वेन्यू रूप सिंह स्टेडियम नहीं बल्कि नया बना श्रीमंत माधवराव सिंधिया क्रिकेट स्टेडियम होगा, जहां भारत रविवार को तीन टी20 मैचों में से पहला मैच बांग्लादेश से खेलेगा। अगर कोई यूट्यूब पर ‘सचिन तेंदुलकर के वनडे में 200 रन’ सर्च करेगा, तो उसे रवि शास्त्री की जोरदार आवाज सुनाई देगी: “फर्स्ट मैच ऑन द प्लेनेट टू रिच 2000। एंड इट्स द सुपरमैन फ्रॉम इंडिया, सचिन तेंदुलकर। टेक अ बो, मास्टर।”
यहां की मिट्टी ले जाओ, क्रिकेट के भगवान ने इतिहास लिखा था
मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) के स्कोरर सुनील गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “आप यहां आए हो तो यहां की मिट्टी ले जाओ, क्रिकेट के भगवान ने यहां इतिहास लिखा था।” 52 वर्षीय सुनील गुप्ता ने स्टेडियम के रिसेप्शन एरिया में लगी स्कोरशीट को दिखाया। वह हंसते हुए कहते हैं, “43वें ओवर में सचिन 186 रन पर थे, तभी अचानक वह धीमे हो गई और एमएस धोनी ने बड़े शॉट लगाने शुरू कर दिए। 49वें ओवर में धोनी ने सभी छह गेंदों का सामना किया और आखिरी ओवर में एक रन लिया।”
हमारी आंखों में आंसू थे
सुनील गुप्ता ने कहा,मैं चिल्लाया ‘यार, एक रन बना लेने दो। यही एकमात्र समय था जब मैं पक्षपाती था। आखिरी ओवर की पहली गेंद पर धोनी ने छक्का मारा और प्रशंसक स्टैंड से चीयर भी नहीं कर रहे थे। दूसरी गेंद पर जब उन्होंने एक रन लिया तो स्टेडियम में खुशी की लहर दौड़ गई। फिर 50वें ओवर की तीसरी गेंद पर सचिन ने वह मुकाम हासिल किया। हमारी आंखों में आंसू थे, शायद आखिरी बार जब मैं रोया था। यह आखिरी बार था जब ग्वालियर ने किसी अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी की थी। पिछले साल ईरानी ट्रॉफी कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में खेली गई थी। भावुक होकर स्कोरर कहते हैं, ” क्रिकेट वापस आ रहा है शहर में, अपना वनवास पूरा करने के बाद।”
नोटबुक पर कलम से वैगन व्हील बनाते थे सुनील गुप्ता
स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने जब सुनील गुप्ता को अपनी नोटबुक पर कलम से वैगन व्हील बनाते देखा तो वे स्कोरर बन गए। उन्होंने कहा,“माधवराव सिंधिया क्रिकेट काफी पसंद था। 1987 की सर्दियों में मैं स्कूल बंक किया था और सिर्फ स्कोर लिख रहा था। इसके साथ ही, मैं वैगन व्हील भी बना रहा था। मैं यहीं (पवेलियन एंड) बैठा था और महाराज (सिंधिया) ने आउट होने के बाद मेरी ड्रॉइंग देखी, एक कुर्सी खींची और मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूं। मैंने उन्हें बताया कि उन्होंने किस क्षेत्र में कितने रन बनाए हैं और उन्हें ड्रॉइंग दिखाई। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम एक बेहतरीन स्कोरर बनोगे और अब मैंने 72 अंतरराष्ट्रीय मैच कवर किए हैं।
सिंधिया ने दिल्ली के नाथू स्वीट्स से 30,000 पैकेट खाने का ऑर्डर दिया
सुनील गुप्ता इस मैदान की दो और दिलचस्प घटनाओं को याद करते हैं। एक 1996 के विश्व कप में भारत-वेस्टइंडीज मैच की और दूसरी 1988 में इन्हीं टीमों के बीच खेले गए एक वनडे मैच की। उन्होंने कहा, “1996 में सचिन और लारा के बीच मुकाबला था। उस मैच को लेकर काफी चर्चा थी। लारा सस्ते में आउट हो गए, सचिन ने अर्धशतक (70) बनाया और भारत ने मैच जीत लिया। स्टेडियम में फ्लडलाइट्स लगाई गईं और सिंधिया ने दिल्ली के नाथू स्वीट्स से 30,000 पैकेट खाने का ऑर्डर दिया, जिसे पारी के ब्रेक के दौरान प्रशंसकों में मुफ्त में बांटा गया।”
पैट्रिक पैटरसन की खतरनाक गेंदबाजी
रूप सिंह स्टेडियम की पिच हमेशा से बल्लेबाजों के लिए मददगार रही है, लेकिन सुनील गुप्ता 1988 में पैट्रिक पैटरसन की एक खतरनाक गेंदबाजी को नहीं भूल सकते, जब उन्होंने भारतीय शीर्ष क्रम को तहस-नहस कर दिया था। उन्होंने कहा, “मैं मैनुअल स्कोरबोर्ड पर काम कर रहा था। मैंने कभी किसी को इतनी तेज गेंदबाजी करते नहीं देखा। पैटरसन ने क्रिस श्रीकांत, अरुण लाल और मोहिंदर अमरनाथ को जल्दी-जल्दी आउट कर दिया। वह रॉकेट की तरह गेंदबाजी कर रहा था। मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा। यह डरावना था।”
यादों में रह जाएगा रूप सिंह स्टेडियम
कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में अभी भी घरेलू मैच आयोजित होते हैं, लेकिन स्टेडियम का 25 साल पुरानी लीज अगले साल समाप्त होने वाली है। स्टेडियम की जर्जर हालात से पता चलता है कि यह महज एक और पुरानी यादों वाली जगह बनकर रह जाएगा। सुनील गुप्ता ने मास्टर ब्लास्टर की फोटो मोबाइल पर दिखाते हुए कहा, “इस मैदान से सचिन का दोहरा शतक कोई नहीं छीन सकता।”