ऑस्ट्रेलिया के जाने-माने बल्लेबाजी कोच नील डी’कोस्टा ने पृथ्वी शॉ के अंतरराष्ट्रीय करियर का उदाहरण देते हुए ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं से भारत के खिलाफ सीरीज से पहले 19 वर्षीय क्रिकेटर सैम कोंस्टास को लेकर जल्दबाजी न करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि कोंस्टास अभी पांच दिवसीय प्रारूप के लिए तैयार नहीं है। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उस्मान ख्वाजा के जोड़ीदार को लेकर बहस जारी है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार चेन्नई से ताल्लुक रखने वाले एंग्लो-इंडियन माता-पिता के घर जन्मे डी’कोस्टा ने माइकल क्लार्क, दिवंगत फिलिप ह्यूज को कोचिंग दी है। मिचेल स्टार्क को विकेटकीपिंग से तेज गेंदबाज में बदलने में मदद की है। 53 वर्षीय डी’कोस्टा ने पहले भी कोंस्टास की बल्लेबाजी पर काम किया है। अब न्यू साउथ वेल्स के इस युवा बल्लेबाज को बांग्लादेश के पूर्व प्रथम श्रेणी खिलाड़ी तहमीद इस्लाम और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई स्टार शेन वॉटसन ट्रेनिंग देते हैं। डी’कोस्टा का मानना ​​है कि कोंस्टास को अभी टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का मौका देने से उन्हें फायदा की बजाय नुकसान होगा।

पृथ्वी शॉ के साथ क्या हुआ?

सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के अनुसार अब मार्नस लाबुशेन के कोच नील डी’कोस्टा ने सैम कोंस्टास को लेकर कहा, “वह 100 टेस्ट खेल सकते हैं। अगर वे अभी टीम में शामिल होते हैं, तो वह शायद सिर्फ 10 टेस्ट ही खेल पाएंगे। वह (कोंस्टास) एक और खिलाड़ी हैं, जिसने बहुत अच्छी क्षमता दिखाई है, लेकिन उन्हें शेफील्ड शील्ड के दो साल खेलने दें। उन्हें ऑस्ट्रेलिया में मैदानों को समझने दें,खेल के फ्लो को समझने दें, खुद को समझने दें और खेल को समझने दें। अगर वह अच्छे हैं, तो वह रन बनाएंगे और वह टीम में होंगे। जल्दबाजी में मौका देना हास्यास्पद है। पृथ्वी शॉ के साथ क्या हुआ? मैं उनके खेलने से पहले ही उनकी कमजोरियों को देख सकता था।”

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कोंस्टास का इंडिया ए के खिलाफ खराब प्रदर्शन

पिछले महीने साउथ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ न्यू साउथ वेल्स के लिए लगातार शेफील्ड शील्ड शतक लगाने के बाद कोंस्टास का नाम डेविड वॉर्नर के संभावित रिप्लेसमेंट के रूप में सामने आया था। इसके बाद इस 10 वर्षीय खिलाड़ी ने विक्टोरिया के खिलाफ 2 और 43 रन बनाए और फिर मैके में इंडिया ए के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया ए के लिए शून्य और 16 रन बनाए। 19 साल की उम्र में कोचिंग शुरू करने वाले डी’कोस्टा लेवल 3 के कोच हैं, जिनके पास स्पोर्ट्स साइंस, स्पोर्ट्स कोचिंग और साइकोलॉजी में डिग्री है। उन्होंने विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के आवासीय अकादमी के मुख्य कोच के रूप में भी काम किया है।