ICC vs BCCI : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) कर के पुराने मामले को लेकर फिर आमने-सामने हैं। क्रिकेट की वैश्विक संस्था ICC ने BCCI को उसके सालाना राजस्व में कटौती करने की धमकी दी है। इस संबंध में उसने भारतीय बोर्ड को पत्र लिखकर सूचित किया है। बीसीसीआई ने कदम बढ़ाते हुए अब एक इंग्लिश लॉ फर्म से संपर्क किया है। भारत में हुई आईसीसी की चैंपियनशिप में कर में छूट को लेकर यह मामला पिछले काफी समय से लंबित है। काबिलेगौर है कि मौजूदा समय में आईसीसी की कमान शशांक मनोहर के हाथों में है। शशांक मनोहर बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
आईसीसी चाहती है कि भारत में होने वाले विश्वस्तरीय सभी प्रतियोगिताओं को पूरी तरह से कर मुक्त किया जाए। वह 2016 में भारत में हुए टी-20 वर्ल्ड कप से होने वाली आमदनी पर बने टैक्स में सरकार से छूट मिलने का अब भी इंतजार कर रही है। आईसीसी चाहती है कि 2016 में हुए टी-20 विश्व कप के दौरान लगे कर की भरपाई बीसीसीआई ही करे। यानी उस टूर्नामेंट से आईसीसी को जो मुनाफा हुआ है, उसमें से बीसीसीआई को मिलने वाले हिस्से में कटौती की जाए। पिछले महीने की 6 तारीख को बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति (सीओए) की एक बैठक हुई थी। उस बैठक में बीसीसीआई की कानूनी सलाहकार समिति ने सीओए को बताया था कि उन्होंने आईसीसी को टैक्स में छूट देने के लिए सभी प्रयास किए थे।
बीसीसीआई ने कहा कि इस टूर्नामेंट के दौरान कर अधिकारियों ने मीडिया अधिकार करार के तहत प्रसारणकर्ता (ब्रॉडकास्टर) द्वारा आईसीसी को दी जाने वाली रकम का 10% हिस्सा रोक लिया था। आईसीसी अब उस धनराशि की भरपाई मुनाफे में कटौती करके करना चाहती है। बीसीसीआई ने सीओए से अपनी लीगल टीम को ब्रिटिश लॉ फर्म से संपर्क करने देने की मंजूरी देने की मांग की है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2016 में हुआ टूर्नामेंट ब्रिटिश कानूनों के तहत कराया गया था।
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इस संबंध में बीसीसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताता, ‘अगर आईसीसी सालाना मुनाफे में से बीसीसीआई का हिस्सा घटाती है, तो बीसीसीआई को 10% यानी 45.5 मिलियन डॉलर का घाटा होगा। बीसीसीआई का सालाना मुनाफा 450 मिलियन डॉलर है। हम सरकार के कर कानूनों में बदलाव नहीं कर सकते हैं। यह बात हमने आईसीसी को भी बताई है।’