विश्व डोपिंग रोधी एजंसी (वाडा) पैनल ने अपनी एक रिपोर्ट में गुरुवार को कहा कि आइएएएफ के पदाधिकारी रूस में डोपिंग के बारे में अच्छी तरह से जानते थे। उसने कहा कि इसके बावजूद उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया और ट्रैक एवं फील्ड की यह संस्था खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हुई हुई है। वाडा के पूर्व प्रमुख डिक पाउंड ने यह रिपोर्ट लिखी है जिसे म्यूनिख में संवाददाता सम्मेलन में पेश किया गया। इसमें कहा गया है कि यह साफ है कि आइएएएफ के अधिकतर कर्मचारी समस्याओं के बारे में जानते थे। इसमें कहा गया है कि यह विश्वसनीय नहीं है कि निर्वाचित अधिकारी रूस में एथलेटिक्स की इस स्थिति से अनजान थे। उन्हें अगर इसकी इतनी अच्छी जानकारी थी तब कुछ भी क्यों नहीं किया गया। जाहिर है कि रूस को चुनौती देने की आईएएएफ की मंशा ही नहीं थी। रिपोर्ट के अनुसार संगठन में भ्रष्टाचार अंदर तक जड़ें जमा चुका था। इसे नजरअंदाज या खारिज नहीं किया जा सकता है। पाउंड जब यह रिपोर्ट पेश कर रहे थे तब आइएएएफ अध्यक्ष सेबेस्टियन को दर्शकों के बीच उपस्थित थे।
हालांकि आइएएएफ के पूर्व महासचिव ने पुष्टि की है कि उन्होंने 2009 में कई पत्र लिखकर रूसी महासंघ को डोपिंग मामलों की चिंताजनक संख्या को लेकर चेतावनी दी थी। आइएएएफ के तत्कालीन महासचिव पियरे वीस ने पेरिस में कहा कि उन्होंने जून और अक्तूबर 2009 में दो चिट्ठियां लिखी थी। इनमें से एक पत्र उस साल बर्लिन में अगस्त में हुई विश्व चैंपियनशिप से पहले जबकि दूसरा बाद में लिखा गया था।
इस बीच, अमेरिका के दिग्गज धावक एडविन मोसेज ने मुंबई में कहा कि एथलेटिक्स में जो कुछ हो रहा है, वह न्याय का मखौल है। एथलेटिक्स हाल में भ्रष्टाचार और डोपिंग विवादों से घिरा रहा है। ओलंपिक में दो बार 400 मीटर बाधा दौड़ का स्वर्ण पदक जीतने वाले मोसेज ने कहा कि मैं अमेरिका की डोपिंग रोधी एजेंसी का प्रमुख हूं। यदि सत्तर या अस्सी के दशक की बात करूं तो मैं उन एथलीटों में शामिल था जो सच्ची खेल भावना में विश्वास करते थे। मैंने कभी मेडिकल सप्लीमेंट नहीं लिए लेकिन अच्छे भोजन और कसरत पर विश्वास किया। मैं कह सकता हूं कि मैंने साफ सुथरे एथलीटों का प्रतिनिधित्व किया।
मोसेज ने रविवार को होने वाली मुंबई मैराथन से पूर्व संवाददाताओं से कहा कि यह मेरा सिद्धांत रहा है कि मैं अपनी या आपकी बेटी को ऐसे खेलों में नहीं चाहता। मैं नहीं चाहता कि वे ऐसा खेल खेलें जिसमें प्रतिस्पर्धी बनने के लिए उन्हें दवाईयां लेनी पड़ें। यह हमेशा मेरा दर्शन रहेगा। मुंबई मैराथन के ब्रांड एंबेसडर मोसेज ने कहा कि इस खेल की मौजूदा हालत के लिए खेलों की संचालन संस्था जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि महासंघ ने एथलीटों को नीचा दिखाया। एथलीटों को ऐसा महासंघ चाहिए जो जवाबदेह हो। जो कुछ हो रहा है वह मखौल है। एक एथलीट की दृष्टि से यह घृणास्पद है। हमें एथलीट, कोच, महासंघ हर किसी को जवाबदेह बनाना होगा। सभी की समान जवाबदेही होनी चाहिए।