रणजी ट्रॉफी 2025 में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके बाद सोशल मीडिया पर चर्चा छिड़ गई है। दरअसल क्रिकेट में आउट होने का एक ऐसा तरीका सामने आया है जो आमतौर पर देखा नहीं जाता है। इसके बाद डिबेट भी छिड़ गया कि क्या कोई ऐसा नियम भी होता है? आपको बताते हैं कि रणजी के मुकाबले में मेघालय के खिलाफ मणिपुर के एक बल्लेबाज को दो बार बल्ले से गेंद मारने (Hit The Ball Twice) को लेकर बवाल छिड़ गया।
क्या है पूरा मामला?
मामला कुछ इस तरह सामने आया कि मणिपुर के बल्लेबाज लामबम सिंह जब प्लेट ग्रुप के मैच में बल्लेबाजी कर रहे थे, तो एक गेंद उन्होंने बल्ले से डिफेंड की। लेकिन वो गेंद डिफेंड करने के बाद स्टंप की ओर जा रही थी। इसको देखते हुए बल्लेबाज ने गेंद पर स्टंप पर जाने से रोकने के लिए दोबारा बल्ला लगा दिया। इसके बाद वहां मौजूद दर्शक आउट-आउट चिल्लाने लगे।
दर्शकों की इस अपील के बाद फील्डिंग टीम ने भी अपील कर दी। जिसके चलते फील्ड अंपायर धर्मेश भारद्वाज ने उन्हें गेंद को दो बार बल्ले से मारने के प्रयास करने के कारण आउट दे दिया। मेघालय की टीम के अपील करने के बाद ही बल्लेबाज लामबम सिंह ने फील्ड से जाना शुरू कर दिया था।
क्या है MCC का पूरा नियम?
मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के तय नियम के अनुसार अंपायर द्वारा दिया गया यह फैसला बिल्कुल सही थी। एमसीसी के नियम 34.1.1 के अनुसार अगर बल्लेबाज गेंद को खेल चुका है या गेंद प्ले में है (फील्डर के छूने से पहले) , तब गेंद उसके बल्ले या शरीर से लगती है, और बल्लेबाज जानबूझकर उसे दूसरी बार बल्ले या शरीर के किसी भाग से मारने का प्रयास करता है (उस हाथ के अलावा जिसमें बल्ला नहीं है), तो उसे आउट दिया जाता है। हालांकि,अगर बल्लेबाज गेंद को विकेट पर जाने से रोकता है तो वो आउट नहीं होता है।
अब इसमें एक पेंच यह है कि बल्लेबाज विकेट पर जाती गेंद रोक सकता है, फिर क्यों लामबम सिंह आउट दिए गए? ईएसपीएन क्रिकइंफो के अनुसार ऐसा भी है कि अगर बल्लेबाज पैर से गेंद को टच करते तो उन्हें आउट नहीं दिया जाता। फिलहाल रणजी में हुए इस वाकिये का वीडियो नहीं आया है। जितना जल्दी इसका वीडियो सामने आएगा यह साफ होगा कि गेंद पर बल्लेबाज ने कब दोबारा बल्ला लगाया। रविचंद्रन अश्विन भी इस विकेट से खुश नहीं दिखे।
रणजी ट्रॉफी के इतिहास में यह पांचवां ऐसा मामला
आखिरी बार 2005 में जम्मू-कश्मीर के ध्रुव महाजन झारखंडे के खिलाफ ऐसे आउट हुए थे। उसके बाद आंध्र प्रदेख के के. बवन्ना (1963-64), जम्मू-कश्मीर के शाहिद परवेज (1986-87) और तमिलनाडु के आनंद जॉर्ज (1998-99) भी इसी तरह आउट हो गए थे।
