दक्षिण अफ्रीका के मौजूदा दौरे पर टीम इंडिया ने जहां सेंचुरियन में जीत के साथ इतिहास रचा था। वहीं जोहानिसबर्ग में हार के बाद अनचाहा इतिहास पलट भी दिया है। भारत की इस हार के कई कारण रहे। पूर्व क्रिकेटर्स भी टीम इंडिया की इस हार के बाद अलग-अलग कारण गिना रहे हैं। इसी को लेकर गौतम गंभीर ने भी टीम की इस हार के तीन प्रमुख कारण बताए हैं।
क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर ने भारत की हार के बाद गुरुवार को स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए टीम इंडिया की इस हार के तीन प्रमुख कारण बताए हैं। इसके अलावा उन्होंने भारतीय गेंदबाजों का बचाव करते हुए बल्लेबाजों की खामियों को गिनाया है। उन्होंने कहा कि अगर आप टॉस जीतकर पहले खेलते हैं और 200 पर सिमट जाते हैं तो उसका फायदा नहीं रहता।
बल्लेबाजों का फ्लॉप शो
गौतम गंभीर ने कहा कि,’हर बार आपको गेंदबाज मैच नहीं जिता सकते। सेंचुरियन में आपने पहली पारी में 300 से अधिक रन बनाए और यहां 202 पर सिमट गए। यही फर्क था दोनों मैचों में। गेंदबाजों ने यहां भी अच्छा किया। लेकिन हर बार आप उन पर निर्भर नहीं रहे सकते। बल्लेबाजों को अपना काम करना पड़ेगा। इसी को उन्होंने भारत की हार का एक कारण बताया।’
मोहम्मद सिराज की इंजरी
भारत के पूर्व बाएं हाथ के बल्लेबाज ने कहा कि,’मोहम्मद सिराज की इंजरी के कारण भारत को चौथे पेसर की कमी खली। अगर सिराज 100 प्रतिशत फिट रहते तो तस्वीर बदल सकती थी। कप्तान के पास गेंदबाजी रोटेट करने का विकल्प रहता। अश्विन गीली गेंद के साथ वैसे भी कुछ खास नहीं कर सकते थे। अगर सिराज फिट होते तो पेस अटैक बेहतर कर सकता था।’
दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी की लंबाई
गंभीर ने तीसरा कारण दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजी हाइट को बताया। उन्होंने कहा कि,’अगर बल्लेबाजों को परेशान करना है तो आप चाहते हो कि तेज गेंदबाज बाउंसर फेंक सकें। जब अफ्रीकी गेंदबाज गेंदबाजी कर रहे थे तब गेंद अच्छी हाइट से आ रही थी लेकिन ऐसा ही भारत की तरफ से नहीं दिखा। भारतीय बॉलर्स की कई गेंदें विकेटकीपर के सिर के ऊपर से निकल गईं।’

गौरतलब है कि भारतीय टीम ने जोहानिसबर्ग टेस्ट 7 विकेट से गंवा दिया। इस हार के साथ तीन मैचों की टेस्ट सीरीज 1-1 की बराबरी पर पहुंच गई है। इससे पहले सेंचुरियन में पहला टेस्ट मैच 113 रनों से जीतकर भारत ने सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली थी। सीरीज का तीसरा और आखिरी टेस्ट मैच अब 11 जनवरी से केपटाउन के न्यूलैंड्स में खेला जाएगा।