आईसीसी एलीट पैनल के पूर्व अंपायर असद रऊफ के करियर का विवादास्पद अंत हुआ। वर्तमान में लाहौर के लांडा बाजार में कपड़े और जूते बेचने वाला 66 वर्षीय पूर्व अंपायर पर सट्टेबाजों से रिश्वत लेने और आईपीएल 2013 के दौरान मैचों पर दांव लगाने का आरोप लगाया गया था। क्रिकेट पाकिस्तान से बात करते हुए रऊफ ने सभी दावों का खंडन किया और साथ ही ने खुलासा किया कि उनके पास यह साबित करने के लिए एक जज का फैसला है कि वह निर्दोष है।

रऊफ ने कहा, “कथित घटना 2013 में हुई थी और बीसीसीआई तीन साल से सो रहा था। उन्होंने 2016 में एक जांच खोली और यह एक जबरन जांच थी क्योंकि इसमें कोई सच्चाई नहीं थी। वे मेरे खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश करने में विफल रहे। मेरे पास अभी भी जज का फैसला है, जिसमें कहा गया है कि असद के खिलाफ मामले कोई सबूत नहीं है। “

पूर्व अंपायर ने यह भी बताया कि उन्होंने 2013 के बाद अपने इस्तीफे की योजना पहले ही बना ली थी और आईसीसी को सूचित कर दिया था। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि विवाद के संबंध में आईसीसी ने उनसे कभी संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा, “मैंने आईसीसी से कहा कि मैं 2013 के बाद अपना इस्तीफा सौंप दूंगा। मैं आईसीसी के प्रति जवाबदेह हूं, बीसीसीआई के प्रति नहीं। अगर बीसीसीआई भारत में मेरे खिलाफ एकतरफा मामला दर्ज करना चाहता है तो यह उन पर निर्भर है। आईसीसी ने कभी भी मामले को अपने हाथ में नहीं लिया क्योंकि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी।”

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रऊफ का लोहा (Iron) और धातु (Metal) का व्यवसाय भी है और उनका दावा है कि उन्होंने अंपायरिंग करियर शुरू होने से पहले दोनों व्यवसाय शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा, ” लांडा बाजार की दुकान मेरा पुराना व्यवसाय है और अगर मैं अंपायर नहीं बना होता, तो मैं यही काम कर रहा होता।”

रऊफ ने आगे कहा, “इसके साथ ही मेरा आयरन और मेटल का बिजनेस भी है। मैंने अंपायरिंग को आगे बढ़ाने का फैसला करने से बहुत पहले ही इन सभी चीजों को शुरू कर दिया था।” बता दें कि अपने करियर के दौरान, रऊफ ने 49 टेस्ट, 98 एकदिवसीय, 23 टी-20 और आठ महिला टी-20 मैचों में अंपायरिंग की। अपने अंपायरिंग करियर से पहले, वह दाएं हाथ के बल्लेबाज भी थे और अपने देश के घरेलू क्रिकेट सर्किट में खेले।