पिछले कुछ दिनों में किकेट मैच के दौरान स्टंप माइक ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं। हाल ही में पाकिस्तान के कप्तान सरफराज अहमद ने साउथ अफ्रीका के अश्वेत क्रिकेटर एंडिल फेहलुकवायो पर उनके रंग को लेकर ‘नस्लीय’ टिप्पणी की थी, जो स्टंप माइक में कैद हो गई थी। इस घटना के बाद आईसीसी ने सरफराज पर 4 मैचों का प्रतिबंध लगा दिया था। इसी तरह की घटना मगंलवार को वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच खेले गए तीसरे टेस्ट में भी देखने को मिली।

वेस्टइंडीज के गेंदबाज शैनन गैब्रियाल ने मैच के दौरान इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान जो रूट को ‘गे’ कह दिया। हालांकि शैनन ने रूट को क्या कहा था इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल सका। लेकिन रूट का जवाब माइक में कैद हो गया। रूट ने जवाब में कहा कि ‘गे’ होने में कुछ भी बुरा नहीं है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि शैनन ने रूट को ‘गे’ कहा था। इन घटनाओं से साफ पता चलता है कि क्रिकेट जगत में इन दिनों स्टंप माइक का प्रभाव कितना बढ़ चुका है।

इसी घटना को लेकर भारत के पूर्व क्रिकेटर और कमेंटटेर संजय मांजरेकर ने ट्वीट कर इस पर अपनी राय दी, जिसके बाद उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। संजय मांजरेकर ने अपने ट्वीट में लिखा, “सरफराज के बाद अब यह शैनन गेब्रियल है जो स्टंप माइक की वजह से मुश्किल में पड़ सकते है। आईसीसी को मंथन करना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि स्टंप माइक का बढ़ता उपयोग वास्तव में खेल के लिए अच्छा है या नहीं।”

इसके कुछ देर बाद ही मांजरेकर के ट्वीट का लोग रिप्लाई करने लगे और देखते ही देखते वह ट्रोल हो गए। एक यूजर ने लिखा, “कई छात्र परीक्षा में नकल करते पकड़े जाते हैं। अधिकारियों को मंथन करना चाहिए कि क्या परीक्षकों का बढ़ता हुआ प्रयोग वास्तव में परीक्षा के लिए अच्छा है या नहीं।”

दूसरे यूजर ने लिखा, ” कैमरा भी हटा दिजिए। स्टीव स्मिथ के साथ क्या हुआ। सभी विवादों को नजरअंदाज किया जा सकता है यदि सभी कैमरों को हटा दिया जाए। चलिए खेलना ही बंद कर देते हैं, तो कोई भी मैदान में किसी पर ‘नस्लीय’ टिप्पणी नहीं कर पाएगा।”