ब्रिटेन की डेविस कप टीम के पूर्व कप्तान पॉल हचिंस ने सोमवार को कहा कि भारत के जूनियर टेनिस खिलाड़ियों के विकास के लिए उन्हें पूर्वी यूरोप के खिलाड़ियों के मुकाबले शारीरिक रूप से मजबूत बनाने और कोचिंग व फंडिंग की शीर्ष सुविधाएं प्रदान करने की जरूरत है। रोड टू विंबलडन जूनियर टूर्नामेंट के उद्घाटन के बाद स्पर्धा के निदेशक पॉल हचिंस ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भारत के जूनियर टेनिस खिलाड़ियों को यूरोप, खासकर पूर्वी यूरोप के खिलाड़ियों के मुकाबले शारीरिक रूप से मजबूत बनाए जाने की जरूरत है। उन्हें कोचिंग और फंडिंग की शीर्ष सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। इसके साथ ही अलग-अलग जगहों पर खेलने के अपेक्षाकृत ज्यादा मौके मुहैया कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआइटीए) को जूनियर स्तर पर ऐसे खिलाड़ियों को चुनकर प्रशिक्षित करना चाहिए, जिनमें दुनिया का शीर्ष खिलाड़ी बनने की अविश्वसनीय ललक हो।

हचिंस ने बताया कि रोड टू विंबलडन जूनियर टूर्नामेंट के तहत इंदौर में सोमवार से क्वालिफाइंग दौर के मुकाबले शुरू हुए जो 16 जनवरी तक चलेंगे। इसके बाद हैदराबाद में 18 जनवरी से 23 जनवरी, दिल्ली में एक फरवरी से छह फरवरी और मुंबई में आठ फरवरी से 13 फरवरी तक इस प्रतियोगिता के क्वालीफाइंग दौर के मुकाबले आयोजित किए जाएंगे। इन मुकाबलों में 14 वर्ष तक के खिलाड़ी हिस्सा ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि चारों क्वालीफाइंग मुकाबलों के शीर्ष 16 खिलाड़ी कोलकाता में ग्रास कोर्ट पर अप्रैल में आयोजित रोड टू विंबलडन जूनियर मास्टर्स टूर्नामेंट में भाग लेंगे। इस टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला खेलने वाले दो बालकों और दो बालिकाओं को विंबलडन के ग्रास कोर्ट पर अगस्त में होने वाली यूके एचएसबीसी नेशनल फाइनल्स में दमखम आजमाने का मौका मिलेगा।