भारतीय फुटबाल टीम में भारत के प्रवासी नागरिकों और भारतीय मूल के व्यक्तियों को शामिल करने की चर्चा ने पिछले कुछ वर्षों में एक गरमागरम बहस को हवा दी है। भारतीय राष्ट्रीय टीम के कोच इगोर स्टिमैक ने 2019 इंटरकांटिनेंटल कप के दौरान इस विचार का समर्थन किया था, जबकि उनके पूर्ववर्ती स्टीफन कान्स्टेंटाइन ने भी टीम के साथ अपने दो कार्यकाल के दौरान कई मौकों पर इस विषय पर बात की थी।

लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है क्योंकि भारतीय कानून दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। यदि कोई पीआइओ खिलाड़ी भारत के लिए खेलना चाहता है, तो उसे भारतीय नागरिकता लेनी होगी। नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले 12 महीने तक भारत में रहना भी जरूरी है।

साल 2020 के दौरान अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ की तकनीकी समिति ने एक बैठक की थी, लेकिन सदस्यों ने महसूस किया कि युवा मामले और खेल मंत्रालय की स्पष्टता के बाद इस विषय पर चर्चा करना उचित नहीं था। बाद में पता चला कि एआइएफएफ ने राष्ट्रीय टीम में ओसीआइ और पीआइओ को शामिल करने के लिए नए सिरे से प्रयास करने का फैसला किया है। हाल में अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा कि अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ ( एआइएफएफ) राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआइओ) को चुनने की संभावना तलाश रहा है और जल्द ही ऐसे 24 खिलाड़ियों से संपर्क करेगा।

इस बयान के बाद यह मुद्दा फिर एक बार सतह पर आ गया। चौबे ने कहा कि हम दुनिया भर में खेल रहे 24 पीआइओ खिलाड़ियों से संपर्क करना चाह रहे हैं। लेकिन आप जानते हैं कि दोहरी नागरिकता (भारत के लिए खेलने की अनुमति नहीं देना) का मुद्दा है। इसलिए, हमें यह देखना होगा कि यह केंद्र सरकार के नियमों के दायरे में कैसे किया जा सकता है।

भारत वर्तमान में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है और केवल भारतीय पासपोर्ट रखने वाले फुटबालरों को मौजूदा नियम के अनुसार अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति है, जिसे 2008 में खेल मंत्रालय द्वारा बनाया गया था। 2012 में मिडफील्डर अराता इजुमी के भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए अपने जापानी पासपोर्ट को छोड़ देने के बाद, अब तक विदेशी मूल के केवल एक खिलाड़ी ने ब्लू टाइगर्स के लिए प्रदर्शन किया है।

पिछले कुछ वर्षों से, एशियाई चैंपियन कतर और चीन जैसी टीमों ने विदेशी राष्ट्रीयताओं के खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल किया है और सफलता हासिल की है। चौबे के मुताबिक, हम इस मामले पर आंतरिक चर्चा कर रहे हैं और अधिक स्पष्टता स्थापित होने पर अधिक विवरण सामने लाएंगे। 9 नवंबर की कार्यकारी समिति की बैठक के ड्राफ्ट मिनट्स के अनुसार, पंजाब फुटबाल एसोसिएशन के अध्यक्ष समीर थापर के नेतृत्व में एआइएफएफ की एक उपसमिति इस विषय पर डेटा और जानकारी एकत्र करेगी ताकि राष्ट्रीय महासंघ किसी निर्णय पर पहुंच सके। मसौदे के अनुसार, पीआइओ और ओसीआइ (भारत के विदेशी नागरिक) को शामिल करने की कई मोर्चों से अपील के बाद चौबे ने थापर के साथ चर्चा की और उन्हें एक उपसमिति का नेतृत्व करने की पेशकश की।

जब अंग्रेज बाब हाटन 2006 से 2011 तक राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच थे, तो माइकल चोपड़ा से संपर्क करने के कुछ प्रयास किए गए थे, जो इंग्लैंड की आयु समूह टीमों और न्यूकैसल यूनाइटेड और नाटिंघम फÞारेस्ट जैसे क्लबों के लिए खेल चुके थे। लेकिन 2008 के एक सरकारी नियम ने पीआइओ खिलाड़ियों की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया क्योंकि अगर वे देश के लिए खेलना चाहते हैं तो उन्हें भारतीय नागरिक बनना होगा। सरकार ने पीआइओ और ओसीआइ कार्ड धारकों को भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तब तक अयोग्य बना दिया जब तक कि वे अपनी विदेशी नागरिकता छोड़कर भारतीय पासपोर्ट प्राप्त नहीं कर लेते।

मीडिया और प्रशंसक भारतीय मूल के खिलाड़ियों (पीआइओ) जैसे स्टर्म ग्राज के मनप्रित सरकारिया, नार्विच के डैनी बाथ, ब्लैकबर्न के दिलन मार्कंडेय और रास काउंटी के यान ढांडा के भाग्य पर करीब से नजर रख रहे हैं, जो सभी भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पात्र होंगे यदि भारतीय नागरिकता कानून के तहत ये पात्रता पूरी करें।

मार्च में रियो फर्डिनेंड ने इसे तब पहचाना जब उन्होंने ट्विटर पर सुझाव दिया कि लिवरपूल के पूर्व युवा खिलाड़ी और इंग्लैंड अंडर -17 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भारतीय मूल के यान ढांडा को बुलाया जाना चाहिए। फर्डिनेंड की टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर एक दिलचस्प बातचीत को जन्म दिया। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआइएफएफ) के महासचिव शाजी प्रभाकरन ने उत्तर दिया: प्रिय रियो, धन्यवाद। यदि यान भारत आकर भारतीय पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के इच्छुक हैं तो भारत की राष्ट्रीय टीम में उनका स्वागत करना हमारे लिए खुशी की बात होगी।

कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जो फुटबाल महासंघ की निगाहों में हो सकते हैं। इनमें ओमिद सिंह (मिडफील्डर), करमन सैनी (गोलकीपर), नील टेलर (लेफ्ट बैक), दिनेश गिलेगा (रक्षक),डैनी बाथ (सेंटर बैक), दिलन मार्कंडेय (मिडफील्डर), आर्यन विलियम्स (मिडफील्डर), हरमीत सिंह (मिडफील्डर), सरप्रीत सिंह (मिडफील्डर), लुसियानो नरसिंह (विंगर)।