भारतीय क्रिकेट को यशस्वी जायसवाल जैसे टैलेंटेड खिलाड़ी देने वाले उनके बचपन के कोच ज्वाला सिंह ने पृथ्वी शॉ को भी कोचिंग दी थी। पृथ्वी शॉ में टैलेंट की कोई कमी नहीं है और उन्होंने भारत के लिए टेस्ट और वनडे प्रारूप में खेला, लेकिन टीम से बाहर होने के बाद वह अब तक वापसी कर पाने में सफल नहीं रहे हैं। 24 साल के हो चुके पृथ्वी शॉ के क्रिकेट करियर और टीम इंडिया में उनकी वापसी को लेकर उनके पूर्व कोच ज्वाला सिंह ने संजय सावर्ण से बात की। पेश है उसके मुख्य अंश…

पृथ्वी शॉ एक बेहतरीन क्रिकेटर हैं और उन्होंने अच्छी शुरुआत की थी, फिर भारत के लिए टेस्ट भी खेला, लेकिन फिर कहां उनसे चूक हुई कि वह साइडलाइन हो गए और अब वह वापसी नहीं कर पा रहे हैं। क्या अब वह फिर से भारत के लिए खेल पाएंगे?

इस सवाल का जवाब देते हुए ज्वाला सिंह ने कहा कि पृथ्वी शॉ मेरे पास साल 2015 में आए थे और अंडर-19 वर्ल्ड कप 2018 तक वह मेरे पास ही थे। अब मैं बड़े दुखी मन से बता रहा हूं कि आज तक अंडर-19 वर्ल्ड कप के बाद मैंने उन्हें फेस टू फेस देखा तक नहीं है। जो लड़का मेरे साथ हर शाम को प्रैक्टिस करता था 2015, 16, 17 और हर शनिवार मेरे घर पर आकर चाइनीज खाता था, ऐसे में बतौर कोच मैं बहुत निराश हूं कि वह उसके बाद कभी मुझसे मिलने तक नहीं आया, कभी थैंक्स बोलने भी नहीं आया।

ज्वाला सिंह ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि पृथ्वी शॉ बहुत ही ज्यादा टैलेंटेड प्लेयर हैं और अभी भी वह वापसी कर सकता है क्योंकि उसके पास वैसी कैपेसिटी है क्योंकि वह एक दिन में 200 से 300 रन मार सकता है। जब वह इंडियन टीम में सेलेक्ट हुआ तो उसे भारतीय क्रिकेट का अगला सचिन तेंदुलकर बोला गया। टेस्ट डेब्यू में उसने शतक किया और फिर मैंने लोगों को बताता था कि विराट कोहली हैं, लेकिन फिर भी वह मैन ऑफ द सीरीज बन सकते हैं जब वह वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। पर मुझे लगता है कि जो एक प्रोसेस है जो उसे फॉलो करना चाहिए था वह नहीं हो सका।

उन्होंने आगे कहा कि पृथ्वी शॉ जिस तरह की मेहनत करते उस लेवल तक पहुंचा था उसमें डिसिप्लिन का इशू, फोकस का इशू और उसकी लाइफ में जो कंट्रेवर्सी हुई शायद वह उसे हैंडल नहीं कर पाया। अभी वो है तो बच्चा ही, 22-24 साल का लड़का है वो और उसे जो मेहनत करनी चाहिए थी जिस तरह से ग्राउंड पर पसीना बहाना चाहिए था जो अनुशासन फॉलो करना चाहिए था , जो करके वह वहां तक पहुंचा था मुझे लगता है कि उसने उसमें कांप्रोमाइज कर दिया। मुझे नहीं पता कि अब वह किससे ट्रेनिंग लेता है, लेकिन अगर वो मेरे पास होता और मुझसे ट्रेनिंग ले रहा होता तो मैं उसको जरूर समझाता बताता, लेकिन जब वह मेरे पास आया ही नहीं तो मुझे भी बड़ा दुख होता है कि एक प्लेयर पर मैंने इतनी मेहनत की और वह इतने बड़े लेवल पर जाकर इतना नीचे आ गया। एक कोच के तौर पर मैं अब भी यही कह रहा हूं कि वह जोर लगाकर मेहनत करे तो वह फिर से वापस आ सकता है। वह एक दिन में 200 कर सकता है और ऐसे प्लेयर इंडिया में कम ही हैं।

पृथ्वी शॉ और यशस्वी जायसवाल क्या एक ही कैलिबर के खिलाड़ी हैं, या उनमें कोई फर्क है?

एक कोच को रूप में मैं कहूंगा कि पृथ्वी शॉ में यशस्वी जायसवाल से ज्यादा टैलेंट है, लेकिन यशस्वी का वर्क एथिक्स बहुत ही ज्यादा हाई है, लेकिन मैं पृथ्वी शॉ से मिला ही नहीं जैसा कि मैंने पहले बताया तो मुझे नहीं पता कि वह किस तरह से ट्रेनिंग कर रहा है। वैसा जहां तक मैं जानता हूं कि अगर वह मेहनत करेगा जिस तरह से पहले करता था और वापस उसी डैडिकेशन के साथ लग जाएगा तो कुछ भी हो सकता है। देखिए घरेलू क्रिकेट वह खेल रहा है और एक अच्छी सीजन उसको वापस इंडिया की टीम में ला सकता है क्योंकि उसके पास वैसा कैलीबर है, वैसी क्षमता है। हालांकि अभी उसके अंदर अभी कितनी भूख है, वह कितनी मेहनत करना चाहता है और कैसे अपने आप को वापस से उस शेप में लाता है, फिटनेस, मेंटल और टेक्नीक वाइज। अगर वो ला सकता है तो अपने करियर को बना सकता है क्योंकि उसके लिए बहुत ज्यादा देर नहीं हुई है। सरफराज को ही लीजिए उन्होंने काफी डोमेस्टिक खेला है और फिर उसे मौका मिला तो पृथ्वी तो खेल चुका है और एक अच्छा सीजन उसकी वापसी करा सकता है।