भारतीय एथलेटिक्स के लिए 2015 मिश्रित सफलता भरा रहा जिसमें 15 एथलीटों का रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना और युवा धाविका दुती चंद का वैश्विक संस्था आइएएएफ के खिलाफ एतिहासिक मामला जीतना आकर्षण रहा। भारत ने अब तक ओलंपिक की एथलेटिक्स स्पर्धा में कोई पदक नहीं जीता है लेकिन अब तक 15 खिलाड़ियों के क्वालीफाई करने के साथ अगले साल रियो ओलंपिक में भारत के ट्रैक एंड फील्ड दल के काफी बड़ा होने की संभावना है।

दिग्गज चक्का फेंक खिलाड़ी विकास गौड़ा ने हाल में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया जब आइएएएफ ने निश्चित संख्या में प्रतिभागी जुटाने के लिए क्वालीफिकेशन स्तर 66 मीटर से घटाकर 65 मीटर कर दिया। गौड़ा ने मई में जमैका अंतरराष्ट्रीय आमंत्रण मीट के दौरान 65.14 मीटर के प्रयास से यह स्तर हासिल किया था। बेजिंग में अगस्त में हुई विश्व चैंपियनशिप में हालांकि भारतीय एथलीटों ने निराश किया जिसमें सिर्फ ललिता बाबर 3000 मीटर स्टीपलचेज में प्रभावी प्रदर्शन करते हुए आठवें स्थान पर रहीं और इस दौरान नौ मिनट 27.86 सेकेंड का राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया। अमेरिका में रह रहे गौड़ा ने तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई लेकिन 63.84 मीटर के निराशाजनक प्रदर्शन के साथ नौवें स्थान पर रहे।

चीन के ही वुहान में हालांकि विश्व चैंपियनशिप से दो महीने पहले हुई एशियाई चैंपियनशिप में भारतीयों ने बेहतर प्रदर्शन किया। भारतीय टीम चार स्वर्ण पदक सहित कुल 13 पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रही जो 2007 के बाद उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इस स्पर्धा में भारत के लिए इंदरजीत सिंह (गोला फेंक), गौड़ा, ललिता और टिंटू लुका (800 मीटर) ने स्वर्ण पदक जीते।

मैदान के बाहर दुती का मामला छाया गया जिन्होंने आइएएएफ की हाइपरएंड्रोगेनिज्म नीति के खिलाफ सफलतापूर्वक अपना मामला लड़ा। इस नीति के तहत उन महिलाओं को प्रतिस्पर्धा की इजाजत नहीं मिलती जिनमें पुरुष हारमोन का स्तर स्वीकृत सीमा से ज्यादा है। एंड्रोजन का स्तर अधिक होने के कारण राष्ट्रमंडल खेल 2014 की टीम में जगह नहीं पाने वाली दुती ने आइएएएफ की नीति के खिलाफ खेल पंचाट में अपील थी। स्विट्जरलैंड स्थित खेल पंचाट ने इसके बाद अंतिम फैसला लिए जाने तक आइएएएफ की हाइपरएंड्रोगेनिज्म नीति को दो साल के लिए निलंबित कर दिया और दुती को लगभग एक साल के ब्रेक के बाद अपना एथलेटिक्स करिअर दोबारा शुरू करने की इजाजत दी।

वैश्विक संस्था में भारत को महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधित्व मिला जब भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिल सुमारिवाला को विश्व चैंपियनशिप से पहले हुए चुनाव में इसका सदस्य चुना गया। पूर्व ओलंपिक चैंपियन सेबेस्टियन को को इस चुनाव में अध्यक्ष चुना गया। आइएएएफ प्रमुख बनने के एक महीने के भीतर को सदस्य देश के अपने पहले दौरे पर भारत आए।

इस बीच राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के दागी अधिकारी ललित भनोट को जून में एशियाई एथलेटिक्स संघ (एएए) का उपाध्यक्ष चुना गया। एएए की परिषद ने राष्ट्रमंडल भ्रष्टाचार प्रकरण में जेल जाने वाले भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व प्रमुख सुरेश कलमाड़ी को एशियाई एथलेटिक्स में योगदान के लिए आजीवन अध्यक्ष चुना। कलमाड़ी 2000 से 2013 तक एएए के प्रमुख रहे। एएए ने 2017 की एशियाई चैंपियनशिप की मेजबानी रांची को दी और यह तीसरी बार होगा जब भारत इस प्रतियोगिता की मेजबानी करेगा। इससे पहले 1989 और 2013 में भी भारत इस प्रतियोगिता का आयोजन कर चुका है।

इस बीच, एथलेटिक्स में पहली बार ब्रिटेन के ओलंपियन डेरेक बूसे को हाई परफॉर्मेंस निदेशक बनाया गया जिसका लक्ष्य 2020 ओलंपिक तक भारत को एथलेटिक्स में कम से कम एक पदक दिलाना है। साथ ही 2011 डोपिंग प्रकरण के बाद बाहर कर दिए गए यूक्रेन के कोच यूरी ओग्रोदनिक को विवादास्पद फैसले के तहत एक बार फिर एथलेटिक्स कोच बनाया गया। इस साल मध्यम दूरी की धाविका एमआर पूवम्मा को प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। साथ ही भारत ने साल के अंत में आइएएएफ अंडर 20 विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी की दावेदारी भी की।