ब्राजील के दो बार के विश्व कप विजेता डिफेंडर निल्टन सैंटोस की शक्ल किसी फिल्म स्टार जैसी थी- लंबे, चौड़े कंधे, नुकीली मूंछें और अटूट आत्मविश्वास। उन्होंने फुल-बैक की परंपरागत भूमिका को नया आयाम दिया था, लेकिन वह इसलिए ज्यादा याद किए जाते हैं क्योंकि उन्होंने टीम के कुछ साथियों के साथ कोच विसेंटे फिओला के कमरे में जाकर एक झेंपे हुए से, टेढ़े पैरों वाले विंगर गैरिंचा को टीम में शामिल करने की मांग की थी। नतीजा- गैरिंचा को मौका मिला और कुछ ही हफ्तों बाद ब्राजील ने 1958 में अपना पहला विश्व कप जीत लिया।
चार साल बाद जब ब्राजील ने अपना खिताब बचाया, तब सैंटोस टीम के फिर स्तंभ बने रहे। उस वक्त उनकी उम्र 38 साल के करीब थी। आज भी वह सबसे उम्रदराज आउटफील्ड खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व कप ट्रॉफी उठाई। अब मौजूदा दौर के तीन दिग्गज- क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लियोनेल मेसी और लुका मोड्रिच- इस रिकॉर्ड को तोड़ने की ओर देख सकते हैं। शायद सैंटोस का नाम उनके जेहन में न हो, लेकिन आंकड़ों के दीवाने रोनाल्डो को जरूर पता होगा।
क्रिस्टियानो रोनाल्डो: अधूरी विरासत का बोझ
रोनाल्डो को नंबरों से लगाव किसी जुनून से कम नहीं। रिपोर्टर की जरा-सी गलती भी वह सुधार देते हैं। सऊदी प्रो लीग में किसी गोल को बारीक ऑफसाइड के कारण रद्द कर दिया जाए तो रेफरी से भिड़ पड़ते हैं। जब आयरलैंड के गोलकीपर ने उनके 950वें गोल को बचा लिया तो उन्होंने गुस्से में जमीन पर पैर मारा था।
रोनाल्डो के नाम विश्व कप छोड़ हर बड़ा रिकॉर्ड
रोनाल्डो के पास हर बड़ा रिकॉर्ड है- सबसे ज्यादा गोल, ट्रॉफी, अवॉर्ड, फॉलोअर्स, लेकिन विश्व कप नहीं। साल 2026 के विश्व कप के वक्त उनकी उम्र 41 साल पार कर चुकी होगी। अगर वह ट्रॉफी जीतते हैं, तो डिनो जॉफ (40 साल की उम्र में विश्व कप विजेता गोलकीपर) को पीछे छोड़ देंगे। यह अब उनका सपना नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य बन चुका है।
उन्होंने कहा, लोग, खासकर मेरा परिवार कहता है, अब काफी है, लेकिन मैं अब भी अच्छा खेल रहा हूं, क्लब और देश के लिए योगदान दे रहा हूं। मैं जानता हूं कि मेरे पास बहुत साल नहीं बचे, लेकिन जो भी बचे हैं, उन्हें पूरी तरह जीना चाहता हूं। कोच रोबर्टो मार्टिनेज ने भी उन पर भरोसा जताया है, वह अब भी टीम में अपनी मेहनत और प्रदर्शन के दम पर हैं। जब तक वह खुद को टीम के लायक समझते हैं, मैं उन्हें हटाने की सोच भी नहीं सकता।
लियोनेल मेसी: सब जीत चुके, लेकिन दोबारा की चाहत
दूसरी तरफ क्रिस्टियानो रोनाल्डो के परम प्रतिद्वंद्वी लियोनेल मेसी हैं। लियोनेल मेसी ने अपने फैंस का दिल तोड़ दिया जब कहा कि वह अब किसी अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडली में नहीं खेलेंगे। लियोनेल मेसी ने कहा, ‘जब मैं अच्छा महसूस करता हूं, तो मैदान पर रहकर मजा आता है। जब नहीं, तो पीड़ा होती है और मैं खुद से ईमानदार रहना चाहता हूं।’
लियोनेल मेसी विश्व कप जीतने का अपना सपना जी चुके हैं, लेकिन दोबारा उसका स्वाद चखने की चाह अब भी बाकी है। पूरी दुनिया, खासकर अमेरिका, चाहेगा कि वह 2026 में उतरें, क्योंकि उनके आने से टूर्नामेंट को अभूतपूर्व चमक मिलेगी। रोनाल्डो और मेसी के बिना, फुटबॉल का यह युग अधूरा लगेगा- जैसे फेडरर-नडाल या मोहम्मद अली-फोरमैन की राइवलरी का कोई सिरा अधूरा रह गया हो।
लुका मोड्रिच: थकान से परे, समय से आगे
क्रोएशिया की बात करें, तो लुका मोड्रिच की मिडफील्ड में इतनी गहराई नहीं जितनी अर्जेंटीना या पुर्तगाल की, लेकिन वह अब भी टीम की आत्मा हैं। यूरो 2024 और रियल मैड्रिड से लुका मोड्रिच की विदाई के बाद उनकी रिटायरमेंट की बातें तेज हुई थीं, लेकिन उन्होंने साफ कहा, ‘मेरा लक्ष्य अगला विश्व कप खेलना है, लेकिन पहले हमें क्वालिफाई करना होगा। मैं भविष्य की चिंता नहीं करता, बस वर्तमान में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता हूं।’
41 साल की उम्र में भी कुल्हाड़ी जैसा तेज लुका का पास
लुका मोड्रिच 41 साल की उम्र में भी एसी मिलान के लिए दमदार प्रदर्शन कर रहे हैं। वह अब भी सबसे ज्यादा बॉल टच करते हैं, सबसे ज्यादा शॉट लगाते हैं और उनके पास की धार आज भी वैसी ही है जैसी चरम पर थी। उनकी ‘आउटसाइड-ऑफ-द-बूट’ पास आज भी कुल्हाड़ी जैसी तेज है और वह 90 मिनट तक बिना थके खेलते हैं।
क्या फुटबॉल को मिलेगी सबसे खूबसूरत विरासत
कई खिलाड़ी उम्र के इस पड़ाव पर अपने ही करियर का मजाक बन जाते हैं, लेकिन ये तीनों (रोनाल्डो, मेसी और मोड्रिच) अपनी सुनहरी शाम को भी स्वर्णिम बना रहे हैं। साल 2026 का वर्ल्ड कप सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं होगा- यह तीन महान कथाओं का संभावित आखिरी अध्याय हो सकता है।
सैंटोस का रिकॉर्ड, रोनाल्डो की अधूरी ख्वाहिश, मेसी की अनिश्चितता और मोद्रिच की जिद- सब मिलकर इसे एक भावनात्मक महाकाव्य बना देंगे। कौन जाने, ये ‘तीनों’ हमें आखिरी बार एक साथ दुनिया के सबसे बड़े मंच पर नजर आए और फुटबॉल को उसकी सबसे खूबसूरत विरासत दे जाएं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर AIFF ने अपनाया नया संविधान, FIFA की आपत्तियों के बीच दो विवादित धाराएं रखीं लंबित