विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इंडिया ने 2016 में टेस्ट मैचों में सफलता के झंडे गाड़े थे और 2017 की शुरुआत भी बांग्लादेश के खिलाफ शानदार जीत के साथ की थी। भारत ने विराट की कप्तानी में लगातार 6 टेस्ट सीरीज पर कब्जा जमाया। वेस्टडंडीज और श्रीलंका को भारत ने उनके घर में हराकर टेस्ट श्रृंखला पर कब्जा जमाया था। वहीं, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और बांग्लादेश को भारत ने अपने घर में करारी मात दी। इन टेस्ट सीरीज में विराट कोहली के कप्तानी की तारीफ भी हुई। भारत ने लगातार 19 टेस्ट मैचों तक अपना अपराजेय क्रम जारी रखा, जिसे आॅस्ट्रेलिया ने पुणे में रोक दिया। इस दौरान भारत के दो पूर्व कप्तानों सौरव गांगुली और सुनील गावस्कर ने कहा था कि विराट की कप्तानी की असली परीक्षा आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ होगी।

आॅस्ट्रेलिया ने भारत को पुणे टेस्ट मैच में 333 रनों से हराकर सभी को चौंकाते हुए दौरे की शानदार शुरुआत की। भारत पुणे में अपनी ही जाल में फंस गया और दोनों पारियों में 150 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सका। आॅस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के युवा स्पिनर स्टीव ओकीफी ने पहले टेस्ट मैच में 71 रन देकर 12 विकेट झटके और भारतीय बल्लेबाजों को नाकों चने चबवा दिया। विराट कोहली ने पहले टेस्ट मैच में हार के वादा किया था कि श्रृंखला के बाकी बचे मैचों में टीम इंडिया सुधरा हुआ प्रदर्शन करेगी और पुणे जैसा प्रदर्शन फिर नहीं देखने को मिलेगा। लेकिन, बेंगलुरू टेस्ट मैच में भी पहली पारी में भारत की बल्लेबाजी आॅस्ट्रेलिया के आॅफ स्पिनर नाथन लॉयन के सामने धराशायी हो गई। उन्होंने आठ विकेट झटके।

वहीं, आॅस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने भारत की तुलना में अच्छी बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 276 रन बनाए और भारत पर 87 रनों की बढ़त ले ली। आॅस्ट्रेलियाई पारी के दौरान विराट कोहली की कप्तानी पर सवाल उठने लगे। क्योंकि, उन्होंने सबसे सफल गेंदबाज रवींद्र जडेजा से सबसे कम गेंदबाजी करायी। वहीं, आर अश्विन जो विकेट लेने में असफल रहे उनसे विराट ने जडेजा से दागुना ओवर कराया। बेंगलुरू टेस्ट में अपने गेंदबाजों का सही इस्तेमाल न कर पाने को लेकर भी विराट सवालों के दायरे में हैं। दूसरे दिन के पूरे खेल में तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा ने 23 ओवर डाले, जिसमें उन्होंने 6 मेडन रखते हुए कुल 39 रन खर्चे। उन्हें एकमात्र विकेट मिचेल मार्श का मिला।

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उमेश यादव ने 24 ओवर की गेंदबाजी में 57 रन दिए और केवल एक सफलता उनकी झोली में आई। आर. अश्विन ने सबसे ज्यादा 41 ओवर की गेंदबाजी की और केवल एक विकेट ही निकाल सके। यहां तक कि उन्होंने करुण नायर से भी एक ओवर डलवाया लेकिन जडेजा से उन्होंने अधिक गेंदबाजी नहीं करवाई। रवींद्र जडेजा ने दूसरे दिन मात्र 14 ओवर की गेंदबाजी की और तीन विकेट झटके। तीसरे दिन विराट कोहली ने एक बार फिर गेंदबाजी की शुरुआत इशांत शर्मा और आर अश्विन से करायी। अश्विन ने मिचेल स्टॉर्क को आउट कर तीसरे दिन भारत को पहली सफलता दिलायी। आॅस्ट्रेलिया के आखिरी तीनों विकेट रवींद्र जडेजा ने झटका उनकी पारी का अंत किया। क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विराट कोहली ने आर अश्विन की जगह जडेजा से ज्यादा गेंदबाजी करायी होती तो आॅस्ट्रेलिया शायद बहुत पहले आॅल आउट हो गया होता। रवींद्र जडेजा ने 22 ओवर की गेंदबाजी में 63 रन देकर 6 विकेट झटके।