टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ को उनकी संजीदगी और सादगी के लिए जाना जाता है। भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार होने के बावजूद द्रविड़ साधारण जीवन जीना पसंद करते हैं। द्रविड़ ने 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। हालांकि क्रिकेट के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई को कभी हल्के में नहीं लिया।राहुल द्रविड़ के परिवार में पढ़ाई की अहमियत बहुत ज्यादा थी। उनके पिता जैम बनाने वाली कंपनी में काम करते थे वहीं उनकी मां आर्किटेक्ट प्रोफेसर थीं। इसी कारण द्रविड़ ने पढ़ाई को कभी हल्के में नहीं लिया।

10वीं में 75 प्रतिशत भी नहीं ला पाए थे राहुल द्रविड़

द्रविड़ ने बेंगलुरु के सेंट जोसेफ बॉय हाई स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। राहुल द्रविड़ को 10वीं कक्षा में 75 प्रतिशत से कम अंक मिले हैं। इसके बारे में खुद द्रविड़ ने ही बताया था। द्रविड़ मेहमान की तरह BITS पिलानी यूनिवर्सिटी में गए थे। यह भाषण देते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया कि इस कॉलेज में एडमिशन के लिए गणित और फिजिक्स में 75 प्रतिशत अंक चाहिए। अच्छी बात यह है कि यह शर्त केवल स्टुडेंट के लिए है गेस्ट के लिए नहीं। ऐसा नहीं होता तो मेरे 10वीं के अंक देखकर आपको समझ आता है कि मैं इस कॉलेज के गेट के आसपास भी नहीं आ सकता।’

एमबीए करते हुए आया टीम इंडिया का बुलावा

12वीं में राहुल द्रविड़ ने कॉमर्स विषय चुना था। द्रविड़ ने इसी विषय से सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बैचलर्स की डिग्री ली। क्रिकेट के साथ-साथ द्रविड़ पढ़ते भी रहे। वह सिर्फ ग्रैजुएशन तक ही नहीं रुके। उन्होंने इसके बाद एमबीए करने का फैसला किया। हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1996 में जब वह एमबीए कर रहे थे तभी टीम इंडिया में उनका सेलेक्शन हो गया और उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

राहुल द्रविड़ ने डॉक्टरेट डिग्री लेने से किया था इनकार

साल 2017 में राहुल द्रविड़ को बेंगलुरु की एक यूनिवर्सिटी ने मानक डॉक्टरेट डिग्री देने का फैसला किया था। उन्होंने राहुल द्रविड़ को खेल में अपने उनके योगदान के लिए यह डिग्री देने का फैसला किया था। यूनिवर्सिटी ने मेल लिखकर राहुल द्रविड़ को इसके बारे में बताया। राहुल ने इज्जत के साथ यह डिग्री लेने से मना कर दिया था। उनका कहना था कि वह मानद उपाधि के तौर पर नहीं बल्कि कमाकर यह डिग्री लेना चाहते हैं।