10 नवंबर, 2008। यह वो तारीख थी जब भारतीय क्रिकेट के ‘दादा’ ने रिटायरमेंट का ऐलान किया था। दादा यानी सौरव गांगुली, क्रिकेट का वह नाम जिसने अपने बारे में बनी हर नकरात्मक राय को गलत साबित किया। इस बात से शायद ही कोई इनकार करे कि वह भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान थे। मैचों के मामले में भले ही अब एमएस धोनी गांगुली से आगे निकल गए हों, मगर प्रतिभाशाली मगर दिशाहीन खिलाड़ियों को जिसने एक टीम बनाया, वह गांगुली ही थे। विश्व के दिग्गज वनडे बल्लेबाजोंं की सूची में गांगुली का नाम जरूर शामिल किया जाएगा। 1996 में लॉर्ड्स में डेब्यू मैच में ही शतक जड़ने वाले गांगुली को वनडे में प्रमोट किया गया। बतौर आेपनर जब गांगुली, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के जोड़ीदार बने तो दोनों की जोड़ी क्रिकेट इतिहास की सबसे खतरनाक आेपनिंग जोड़ियों में से एक बन गई। गांगुली को बतौर बल्लेबाज तो बेहतरीन माना ही जाता है, कप्तानी में उनकी मिसाल हमेशा दी जाती रहेगी। 2000 में जब मैच-फिक्सिंग स्कैंडल ने भारतीय क्रिकेट की कमर तोड़ रखी थी, तब सौरव गांगुली को जिम्मेदारी सौंपी गई। वह सख्त थे और समझौता नहीं करते थे।
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गांगुली की कप्तानी में जब भारतीय टीम ने टेस्ट मैच जीतना शुरू किया तो जीत का सिलसिला 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल तक जा पहुंचा। 2001 में भारत की जमीन पर ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज हर क्रिकेट प्रेमी के दिलो-दिमाग में कैद है। लॉर्ड्स में इंग्लैंड के 325 रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा करने के बाद टी-शर्ट लहराते गांगुली की तस्वीर, भारतीय क्रिकेट के सबसे गौरवशाली क्षणों का प्रतीक बन चुकी है।
2003 में ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में जब गांगुली ने शतक जड़ा, तो दुनिया की सबसे अच्छी टीम घुटनों पर आ गई थी। पाकिस्तान में टेस्ट और वनडे सीरीज जीतकर गांगुली स्टार बन चुके थे। गांगुली की कप्तानी में भारत ने 49 टेस्ट खेले, जिनमें से 21 टीम जीती और सिर्फ 13 में हार मिली। लेकिन इतने महान कॅरियर के अंत की शुरुआत 2004 से हुई। निजी फॉर्म से जूझ रहे गांगुली को तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल के साथ खराब संबंधों का खामियाजा भुगतना पड़ा और वे टीम से बाहर हो गए।
जब 2006-07 में उन्होंने वापसी की तो दक्षिण अफ्रीका सीरीज में वे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बनकर उभरे। इसके बाद कई मैचों में गांगुली का प्रदर्शन शानदार रहा। श्रीलंका में खराब टेस्ट सीरीज के बाद, रिपोर्ट्स थीं कि वह रिटायरमेंट की सोच रहे हैं। मगर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज के पहले टेस्ट मैच से पहले गांगुली ने ऐलान किया कि यह उनका आखिरी टेस्ट होगा।