भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ‘ईयरपीस’ जैसे अंपायरिंग उपकरणों के इस्तेमाल से बिलकुल भी खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इस तरह की तकनीक से मैदानी अधिकारी खचाखच भरे स्टेडियम में बल्ले और गेंद के संपर्क पर होने वाली हल्की आवाजों को सुनने से वंचित रह सकते हैं। बांग्लादेश के अंपायर एसआईएस साइकत कल भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप टी20 मुकाबले के दौरान आशीष नेहरा की गेंद के खुर्रम मंजूर के बल्ले के किनारे पर लगने से हुई आवाज को नहीं सुन पाए थे और धोनी इससे खुश नहीं थे।
अंपायरिंग के बारे में पूछने पर धोनी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘आप नहीं चाहेंगे कि मैं विश्व टी20 से पहले प्रतिबंधित हो जाऊं। आप सभी ने अंपायरिंग देखी। आपको फैसला करना है। ‘एक चीज निश्चित तौर पर की जा सकती है। अंपायर अब वॉकी टॉकी का इस्तेमाल करते हैं और साथ ही एक कान में ईयरपीस भी पहनते हैं जिसका मतलब है कि वह एक कान के साथ अंपायरिंग करते हैं। यह मुश्किल काम है। इस पर विचार करने की जरूरत है। वे एक कान से सुन रहे हैं। मेरा मानना है कि गेंदबाज के गेंदबाजी करने के समय ईयरपीस लगाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आपको तब उसके इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। यह बेहतर है कि दोनों कानों का इस्तेमाल किया जाए क्योंकि मैदान पर काफी चीजें हो सकती हैं।’
धोनी मैच अधिकारियों पर निशाना साधने के मूड में थे। जब उनसे पूछा गया कि वह गेंदबाजों को जो टिप्स देते हैं वह माइक्रोफोन पर सुनाई देते हैं तो भारतीय कप्तान ने कहा, ‘यह काफी रोचक है। जब एक टीम का एक खिलाड़ी दूसरे से कुछ कहता है तो मैच रैफरी कहते हैं कि माइक्रोफोन बंद था। लेकिन यह काफी हैरानी भरा है कि मैं जब भी कुछ कहता हूं तो यह हमेशा सुनाई देता है।’ शायद मेरी या मैच अधिकारियों की ओर से कुछ गड़बड़ है। उदाहरण के लिए किसी खिलाड़ी ने ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया जो उसे नहीं करना चाहिए और हमें पता चलता है कि माइक बंद है लेकिन मैं जब भी कुछ कहता हूं तो माइक हमेशा चल रहा होता है।’