संदीप भूषण

आज कलाई के गेंदबाजों की चर्चा है। कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल के अलावा राशिद खान जैसे कलाई के स्पिनर बल्लेबाजों पर कहर बरपा रहे हैं। इस बीच तेज गेंदबाजों की रणनीति और ताकत पर बात करने की जरूरत है विशेषकर इंग्लैंड के साथ होने वाली टैस्ट शृंखला को लेकर। यहां की पिचें स्विंग गेंदबाजों की साथी हैं। एक अगस्त से टैस्ट मैचों का दौर शुरू होगा। इसमें तेज गेंदबाजों के सभी पैतरे देखने को मिलेंगे। अगर पिच सूखी रही तो रिवर्स स्विंग भारतीय तेज गेंदबाजों के लिए विकेट चटकाने का एक बड़ा हथियार होगा।

भारतीय गेंदबाजों को होगा फायदा

भारतीय गेंदबाजों को इंग्लैड में होगा फायदा। भारत में ऐसे कम ही गेंदबाज हुए जो रिवर्स स्विंग में माहिर हों। हालांकि इंग्लैंड दौरे पर या इसके बाद 2019 में होने वाले विश्व कप के दौरान यह टीम के लिए काफी कारगर हो सकता है। पिच सूखी हो या गीली, उस पर घास हो या वह सपाट हो, भारतीय गेंदबाज अगर रिवर्स स्विंग कराएं तो बेहद फायदेमंद रहेगा। इससे टीम की जो निर्भरता कलाई के स्पिनरों पर टिकी है, वह भी खत्म हो जाएगी। एक समय था जब जहीर खान अपनी ऐसे गेदों से विपक्षी टीम को छकाते थे। आज भारतीय तेज आक्रमण में मोहम्मद शमी ही ऐसे अकेले सफल गेंदबाज हैं जो नई गेंद से स्विंग भी करा लें और पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग भी। 2015 के विश्व कप में उन्होंने इसी के बूते सात मैचों में 17 विकेट लिए थे।

एंडरसन से निपटना चुनौती

बिना किसी शक के जेम्स एंडरसन इंग्लैंड बेहतरीन तेज गेंदबाज हैं। स्विंग में वे माहिर हैं। 2019 विश्व कप के दौरान लगभग एक दशक से टीम की तेज गेंदबाजी के अगुआ एंडरसन से निपटना भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा। अपनी स्विंग, लंबाई व दिशा और अनुशासित गेंदबाजी के कारण वे सफल रहे हैं। टैस्ट में 400 विकेट लेने वाले वे इंग्लैंड के पहले तेज गेंदबाज हैं। वहीं वनडे में भी उन्होंने घातक गेंदबाजी की है।

बॉल टैंपरिंग का भी है खतरा

रिवर्स स्विंग का फायदा तो टीम और गेंदबाजों को होता है लेकिन हाल के दिनों में देखें तो रिवर्स स्विंग कराने के लिए बॉल टैंपरिंग का मामला भी सामने आया है। चाहे दक्षिण अफ्रीका के साथ आस्ट्रेलिया का मामला हो या श्रीलंका का, गेंदबाजों ने रिवर्स स्विंग के लिए गेंद के साथ छेड़छाड़ की। कई बार तो जब मैच के शुरुआती ओवरों में गेंद स्विंग नहीं करती तो वे गेंद को खुरदरा बनाने में लग जाते हैं ताकि वह रिवर्स स्विंग करने लगे।

क्या होती है रिवर्स स्विंग

एक तेज गेंदबाज हमेशा हाथों में नई गेंद की चाहत रखता है ताकि वह बल्लेबाज को अपनी स्विंग से परेशान कर सके। वर्तमान भारतीय टीम में भुवनेश्वर कुमार इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं। वे नई गेंद से विकेट चटकाने के माहिर हो चुके हैं। दरअसल, जब गेंद नई होती है तो उसे आउट स्विंग या इन स्विंग मिलती है। यह शुरुआत के 10-15 ओवर तक होती है। लेकिन इसके बाद तेज गेंदबाज क्या करेंगे इसी सवाल के जवाब मे रिवर्स स्विंग का जन्म हुआ। शुरुआत में गेंद को चमकाने में अपनी सारी मेहनत लगाने वाले गेंदबाज 35-40 ओवर के बीच गेंद के खराब होने का इंतजार करते हैं। खराब का मतलब गेंद के खुरदरी होने से है। इसके बाद रिवर्स स्विंग अपना कमाल दिखाती है।

जब गेंद का एक हिस्सा पुराना और खुरदरा हो और दूसरा चमकता हुआ तब वह अपनी पारंपरिक स्विंग को छोड़कर रिवर्स स्विंग करने लगती है। इसमें गेंद जिधर से खुरदरी होती है स्विंग उसके उलटी दिशा में होती है। अगर कोई गेंदबाज इन स्विंग करता है तो वह आउट स्विंग हो जाएगी। यही कारण है कि इसका नाम रिवर्स स्विंग रखा गया।

कौन है रिवर्स स्विंग का जनक

रिवर्स स्विंग का जन्मदाता कौन है, यह कह पाना काफी मुश्किल है लेकिन अनधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को ही इसका जनक माना जाता है। 1970 वाले दौर के बाद नौ प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले फारुख अहमद खान को रिवर्स स्विंग का पहला गेंदबाज कहा जा सकता है। अब सवाल है कि क्या इससे पहले किसी ने गेंदबाजी की इस विधा को नहीं अपनाया या जाना था ? तो जवाब है, जाना तो था लेकिन इस्तेमाल टेस्ट एंड ट्रायल मेथड पर निर्भर था। फारुख के साथ सलीम मीर को भी रिवर्स स्विंग गेंदबाजों की श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि लिखित तौर पर रिवर्स स्विंग गेंदबाज तो सरफराज नवाज को ही माना जाता है। पीटर ओब्रोन की किताब वुंडेड:ए हस्ट्री ऑफ क्रिकेट इन पाकिस्तान में फारुख के बारे में कहा गया है कि वे रिवर्स स्विंग तो कराते थे लेकिन उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी। वे तब सिर्फ कटर के तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे। बाद के दिनों में वे इस विधा के काफी माहिर गेंदबाज बने। उन्होंने अपना ये हुनर बाद में इमरान खान को भी सिखाया।