ज्यादातर घरेलू खिलाड़ियों की तरह 30 वर्षीय फैज फजल ने भी अपने चयन के बारे में उम्मीद करना छोड़ दिया था लेकिन अब उन्हें पहली बार भारतीय क्रिकेट टीम में चुन लिया गया तो विदर्भ के इस क्रिकेटर को दुनिया बहुत खूबसूरत लग रही है। फजल ब्रिटेन के डरहम में नॉर्थ ईस्टर्न प्रीमियर लीग में क्लब के लिए खेल रहे हैं। उन्होंने फोन पर कहा कि कुछ साल पहले जब मैंने रणजी सत्र में 700 रन से ज्यादा का स्कोर बनाया था तो मुझे कुछ अच्छी खबर की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और मैं बहुत निराश था। पिछले कुछ वर्षों में मैंने उम्मीद करना छोड़ दिया था क्योंकि तब आप निराश महसूस नहीं करते। पर मेरे पिता ने जब मुझे फोन कर बताया तो मुझे अपने चारों तरफ की दुनिया इतनी खूबसूरत लगने लगी।
रेलवे के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने वाले फजल ने कहा कि हर कोई भारत के लिए खेलने की उम्मीद करता है लेकिन हर किसी को मौका नहीं मिलता। मैं खुश हूं कि मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल गया। कई प्रतिस्पर्धी घरेलू खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 100 से ज्यादा प्रथम श्रेणी के मैच खेल लिए हैं लेकिन उन्हें भारतीय टीम के लिए नहीं चुना गया। मुझे देर से ही सही, मौका तो मिला। अगर मुझे खेलने का मौका मिलता है तो मुझे इसमें सफलता हासिल करनी होगी।
उधर, भारतीय टैस्ट टीम में शामिल किए गए युवा गेंदबाज शारदुल ठाकुर ने इसका श्रेय मुंबई क्रिकेट में बने रहने के लिए की गई कड़ी मेहनत को दिया। शारदुल ने कहा कि मेरा मानना है कि मुंबई में क्रिकेट कल्चर ऐसा है कि यदि कोई युवा खिलाड़ी इसमें टिक गया तो उसे इसका फल जरूर मिलता है। मुंबई क्रिकेट और मुंबई रणजी टीम की बदौलत ही मैं भारतीय टीम में जगह पा सका हूं।
अब तक 37 मैचों में 133 प्रथम श्रेणी विकेट ले चुके शारदुल ने कहा कि मुंबई में सिर्फ अच्छे होने से काम नहीं चलता। किसी भी स्तर पर मुंबई के लिए खेलना हो तो आपको अच्छे से ज्यादा होना पड़ता है। मैं जब से मुंबई के लिए खेल रहा हूं, मुझे यही सिखाया गया है। मेरे निजी कोच दिनेश लाड, मुंबई के अंडर 25 कोच विलास गोडबोले और प्रवीण आमरे व चंद्रकांत पंडित जैसे सीनियर टीम के कोचों ने मुझे यही सिखाया है।
उन्होंने कहा कि रणजी चैंपियन टीम के लिए 41 विकेट लेने से उन्हें राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान खींचने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि इस बार मुंबई की युवा टीम ने रणजी ट्रॉफी जीती। मेरा मानना है कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करना मेरे पक्ष में गया। मैंने कुछ अच्छे स्पैल फेंके। रणजी ट्रॉफी फाइनल में आठ विकेट लेने से सभी का ध्यान गया। मुंबई हमेशा खिताब की दावेदार होती है। ऐसे में कुछ दबाव वाले मैच खेलने का मौका भी मिला जिससे आत्मविश्वास बढ़ा।