शाहरुख खान की फिल्म का एक डायलॉग है, ‘…अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है।’ पता नहीं, दिनेश कार्तिक ने इस लाइन को कभी सुना है कि नहीं। लेकिन अब यह जरूर कह सकते हैं कि उन्होंने इस संवाद की भावनाओं को जी लिया है। रविवार के दिन बांग्लादेश और भारत के बीच खिताबी मुकाबले को देखने के लिए 20 हजार से ज्यादा दर्शक स्टेडियम में मौजूद थे। वो भी तब, जब बांग्लादेश से हारकर मेजबान देश श्रीलंका इस टूर्नामेंट से बाहर हो चुका था। पिछले मुकाबले में दोनों टीमों के खिलाड़ियों से लेकर फैन्स तक के बीच बहुत कड़वाहट देखने को मिली। शायद यही वजह है कि श्रीलंकाई दर्शकों ने खुद को टीम इंडिया के ज्यादा नजदीक पाया। स्थानीय दर्शकों की भावनाएं टीम इंडिया से इस कदर जुड़ीं कि जब भारतीय पारी के 18वें ओवर में विजय शंकर लगातार चार बार मुस्तिफिजुर की गेंद पर बीट हुए तो पूरा मैदान खामोश हो गया। जिन दर्शकों की जरा-सी उम्मीद बाकी भी थी, वो भी मनीष पांडे के आउट होते खत्म होती दिखी। इस वक्त टीम इंडिया को आखिरी 12 गेंदों पर 34 रनों की जरूरत थी।

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कोलंबो में बांग्लादेश को फाइनल में हराने के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से निदास ट्राफी ग्रहण करते हुए टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा। (फोटो-पीटीआई)

इसके बाद मैदान में दाखिल हुए दिनेश कार्तिक। कप्तान ने खुलासा किया कि कार्तिक दुखी थे, क्योंकि उन्हें इंतजार करना पड़ा और विजय शंकर को उनसे ऊपर भेजा गया था। विजय शंकर ने पूरी सीरीज में बल्लेबाजी नहीं की थी। विजय शंकर जब ऊपर भेजे गए तो कार्तिक को बुरा लगा। इसी वजह से रोहित शर्मा को डग आउट में बैठकर कार्तिक को समझाना पड़ा। रोहित शर्मा ने बताया, “जब मैं आउट हुआ तो डगआउट में जाकर बैठ गया।”

वह (दिनेश कार्तिक) अपसेट थे, क्योंकि उन्हें नंबर 6 पर बल्लेबाजी के लिए नहीं भेजा गया। हालांकि, मैंने उनसे कहा, “मैं चाहता हूं कि आप हमारे लिए आखिरी तक बल्लेबाजी करें और मैच फिनिश करें। इसकी वजह यह है कि जो कौशल आपके पास है, उसकी हमें आखिरी तीन या 4 ओवरों में जरूरत होगी।” बहरहाल, कप्तान का यह फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ। दिनेश कार्तिक ने आखिरी गेंद पर छक्का जड़कर बांग्लादेश को जीत से दूर कर दिया। उनके 8 गेंद पर 29 रनों ने पासा पलट दिया और भारत एक बार फिर निदास ट्रॉफी का विजेता बना।