वेंकट कृष्ण बी। मुंबई में 10 आईपीएल फ्रैंचाइजी के मालिक भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों के साथ बुधवार शाम (30 जुलाई) को बैठक करेंगे। इसमें खिलाड़ियों को रिटेन करने की संख्या, इम्पैक्ट प्लेयर नियम और ऑक्शन कैप पर फैसला एजेंडा सूची में सबसे ऊपर होगा। अगले सीजन से पहले आईपीएल में खिलाड़ियों की बड़ी नीलामी वाली है।

मुंबई में होने वाली बैठक महत्वपूर्ण है, क्योंकि आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली है, जिसका नीलामी पर असर पड़ेगा। सभी की निगाहें रिटेंशन पॉलिसी पर हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि सैलरी पर्स को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाया जाता है या नहीं। कई भारतीय खिलाड़ी पहले से ही संभावित कदम के बारे में अन्य फ्रैंचाइजी के साथ बात कर रहे हैं।

कम से कम 5-6 खिलाड़ियों को रिटेन करना चाहती हैं फ्रैंचाइजी

इन खिलाड़ियों को रिटेन करने की चाहत रखने वाली फ्रैंचाइजी का मानना ​​है कि जब तक पर्स नहीं बढ़ाया जाता, वे उन्हें रिटेन नहीं कर पाएंगे। अगर ऑक्शन पर्स नहीं बढ़ाया जाता है। इस बात की प्रबल संभावना है कि कुछ शीर्ष भारतीय खिलाड़ी नीलामी में उपलब्ध होंगे। इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि सभी फ्रैंचाइजी अपनी टीम में निरंतरता बनाए रखने के बारे में एकमत हैं। पिछले सीजन के कम से कम 5-6 खिलाड़ियों को रिटेन करना चाहती हैं। हालांकि, इस बारे में कोई आम सहमति नहीं है कि इसे कैसे आगे बढ़ाया जाए।

चार या उससे ज्यादा?

कुछ फ्रैंचाइजी चाहती हैं कि आईपीएल जीसी नीलामी से पहले चार खिलाड़ियों को बनाए रखने की अपनी पिछली नीति पर कायम रहे। इसके अतिरिक्त, वे चाहते हैं कि आईपीएल जीसी उन्हें दो राइट टू मैच (RTM) कार्ड प्रदान करे, लेकिन सभी आरटीएम कार्ड के साथ एकमत नहीं हैं क्योंकि डर है कि फ्रैंचाइजी इसका इस्तेमाल कीमत बढ़ाने के लिए कर सकती हैं। एक शीर्ष फ़्रैंचाइज़ी चाहती थी कि आईपीएल रिटेंशन नीति को खत्म कर दे और उसने 8 आरटीएम विकल्प रखने का सुझाव दिया। लेकिन उस विचार को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है।

विदेशी स्लॉट को लेकर बहस

विदेशी स्लॉट को लेकर काफी बहस चल रही है, जिन्हें रिटेन रखा जा सकता है। 2022 सीजन से पहले जब फ्रैंचाइजी को अधिकतम चार खिलाड़ियों को को रिटेन करने की अनुमति थी तो बाध्यता तीन भारतीय खिलाड़ियों और दो विदेशी खिलाड़ियों से ज्यादा को रिटेन करने की नहीं थी। अगर आईपीएल जीसी 5-6 खिलाड़ियों को बनाए रखने के फ्रैंचाइजी के अनुरोध को स्वीकार करता है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि फ्रैंचाइजी कितने विदेशी खिलाड़ियों को बनाए रखेंगे।

फ्रैंचाइजियों की राय

बार-बार टीम बदलने के बाद फ्रैंचाइजी अधिकारी ने कहा, “बड़े ऑक्शन ने हमेशा टीमों को नए सिरे से तैयार होने का मौका दिया है। यही कारण है कि वे पिछले सीजन में नए कोच लाते हैं, ताकि वे बड़ी नीलामी में एक टीम बना सकें। जैसे-जैसे आईपीएल विकसित हुआ है,टीमें निरंतरता के लिए उत्सुक हैं। बेशक, यहां-वहां बदलाव होंगे,लेकिन हम सभी कोर को बनाए रखना चाहते हैं।”

बड़ी नीलामी के बीच का अंतर तीन से पांच साल तक बढ़ाया जाए

हालांकि, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि फ्रैंचाइजी चाहती हैं कि बड़ी नीलामी के बीच का अंतर तीन से पांच साल तक बढ़ाया जाए। जानकारी के अनुसार अधिकांश मौजूदा व्यवस्था से खुश हैं। इसका कारण यह है कि अगर उनकी सोच गलत हो जाती है, तो वे इसे जल्द से जल्द ठीक कर सकते हैं। हालांकि, हर पांच साल में बड़ी नीलामी होने से फ्रैंचाइजी को अपनी एकेडमी से अनकैप्ड स्थानीय खिलाड़ियों का उपयोग करने का मौका मिलता, लेकिन सभी को यह नसीब नहीं है। मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, राजस्थान रॉयल्स के अलावा, जिन्होंने अपनी एकेडमी में बड़ा निवेश किया है, बाकी को अभी भी इसमें सुधार करना है।

बीसीसीआई का अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ियों के लिए नियम

कुछ फ्रैंचाइजी आईपीएल जीसी से अनुबंध अवधि के दौरान वेतन पर बातचीत करने के लिए उन्हें स्वतंत्र रूप से अनुमति देने के लिए दबाव डाल रही हैं, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है कि टीमें सैलरी कैप को पार कर जाए। पिछले सीजन में, बीसीसीआई ने अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक प्रोत्साहन की शुरुआत की, जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने जाते हैं। उस नीति के अनुसार, उनके वेतन में उनके इंटरनेशनल कैप के आधार पर वृद्धि होगी और यह नीलामी राशि में उसी के अनुसार होगी।

इम्पैक्ट प्लेयर नियम

चर्चा का दूसरा बड़ा विषय इम्पैक्ट प्लेयर नियम के इर्द-गिर्द होगा। 2023 में जब से यह नियम अस्तित्व में आया है, इसने टीमों को लगातार 200 से अधिक का स्कोर बनाने की अनुमति दी है। पिछले सीजन में, टीमों ने बार-बार 250 और उससे अधिक स्कोर बनाए। फिर भी उनका टारगेट असुरक्षित रहा। इसमें शामिल कई कोचों ने इस नियम के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, जो उन्हें ऑलराउंडर का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता है और विशेषज्ञों को प्राथमिकता दी जाती है। इसके कारण ऑलराउंडर बेंच पर बैठे रहते हैं। नेशनल टीम में जगह नहीं बना पाते हैं। फ्रैंचाइची के बीच मूड यह है कि वे इम्पैक्ट प्लेयर नियम के बिना खुश हैं, लेकिन बीसीसीआई और आईपीएल जीसी इस पर सहमत होते हैं या नहीं, यह देखना बाकी है।