कोरोनावायरस महामारी के चलते देश में अफवाहों का भी बाजार गर्म है। इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच बहुत तेजी से अफवाहें फैल रही हैं। सरकार बार-बार जनता से अपील कर रही है कि वे अफवाहों पर ध्यान नहीं दें, इसके बावजूद कहीं न कहीं कोई इन अफवाहों का शिकार बन ही रहा है। ताजा मामला टेबल टेनिस प्लेयर अंकिता दास से जुड़ा है।
2012 लंदन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वालीं अंकिता का आरोप है कि सिलीगुड़ी में उन्हें और उनके परिवार को कुछ लोग परेशान कर रहे हैं। इन लोगों ने उनकी यूरोप से लौटने की झूठी खबर फैलाई। दास ने बताया कि उन्हें ऐसी ही अफवाहों का निशाना बनाया जा रहा है। खेल मंत्रालय के दखल के बाद वे राशन खरीद पाईं हैं।
26 साल की टेबल टेनिस खिलाड़ी ने कहा कि वह 10 मार्च को जर्मनी से आईं। उन्होंने मुंबई से सिलीगुड़ी तक का सफर विमान से किया। घर पहुंचने पर वे सेल्फ आईसोलेशन में चली गईं। हालांकि, क्षेत्रीय भाषा के समाचार पत्र में छपी गलत खबर और उनके पड़ोसी द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए आपत्तिजनक कमेंट के कारण उन्होंने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया। लोगों ने फोन कर स्थानीय पार्षद से मेरी शिकायत भी की।
दास ने एक वेबसाइट को फोन पर बताया, ‘मैं पांच मार्च को बर्लिन (जर्मनी की राजधानी) गई थी, तब जर्मनी में हालात सामान्य थे। मैं 10 मार्च को वापस आ गई। मैंने मुंबई से सिलीगुड़ी के लिए उड़ान भरी। जब मैं घर पहुंची तो मैंने अपनी मां और चाचा को पास नहीं आने के लिए कहा। सबसे पहले मैंने शॉवर (स्नान करना) लिया। उसके बाद से मैंने खुद को एक अलग कमरे में बंद कर लिया है। मैं सभी सावधानी बरती हैं, क्योंकि मैं अपने परिवार को लेकर भी चिंतित हूं।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन कुछ पड़ोसी अफवाह फैला रहे हैं कि मैं एक दिन पहले ही आ गई थी और मैं झूठ बोल रही हूं। अगर उन्होंने मुझसे पूछा होता, तो मैं उन्हें बताती, लेकिन उन्होंने स्थानीय पार्षद से शिकायत की और तीन दिनों तक वे मेरा और मेरे परिवार का अपमान करते रहे। यही कारण है कि मुझे फेसबुक पर पोस्ट लिखनी पड़ी।’
अंकिता ने बताया, ‘स्थिति खराब हो रही थी। मैं और मेरा परिवार किराने का सामान लेने के लिए बाहर निकलने में असमर्थ था। इसके बाद मैंने खेल मंत्रालय और टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया से मदद की गुहार लगाई। मेरे पास कल (24 मार्च को) खेल मंत्रालय से फोन आया। उन्होंने और टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया ने मेरी बहुत मदद की। आज पुलिस के डीजीपी ने मुझे फोन किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर फिर कुछ ऐसा होता है, तो वे निपट लेंगे।’

