प्रत्युष राज। मुंबई के खिलाफ कूच बिहार ट्रॉफी के फाइनल में 400 रन ठोक दिग्गज युवराज सिंह का रिकॉर्ड तोड़ने वाले प्रखर चतुर्वेदी के पिता संजय चतुर्वेदी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। मां रूपा चतुर्वेदी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) में काम करती हैं। मूल रूप से पूर्वांचल के रहने वाले हैं। 2 दशक से ज्यादा समय से बेंगलुरु में रहते हैं।

प्रखर चतुर्वेदी के पिता संजय ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से हैं, लेकिन मैं पिछले दो दशकों से अधिक समय से बेंगलुरु में रह रहा हूं। मैं खुद आईआईटी बीएचयू से पास-आउट हूं। मैं चाहता था कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से क्रिकेट पर ध्यान है। बारहवीं कक्षा में उसके अच्छे ग्रेड हैं और अब वह बीए फर्स्ट ईयर में है और इकॉनमिक्स की पढ़ाई कर रहा है।”

प्रखर चतुर्वेदी में किसे दिखे टैलेंट

पिता बताते हैं, “अपार्टमेंट के अन्य बच्चों की तरह वह भी क्रिकेट खेलता था। एक दिन, हमारी सोसायटी के एक सज्जन ने मुझसे कहा, ‘आपका बेटा बहुत अच्छा हिट करता है, आप उसे किसी अकादमी में क्यों नहीं डालते।’ उनका बेटा भी क्रिकेट खेलता था। 2017 में, हम उसे SIX क्रिकेट अकादमी में ले गए। SIX बेंगलुरु में पदुकोण-द्रविड़ सेंटर ऑफ स्पोर्ट्स एक्सीलेंस पर आधारित है। प्रखर ने राज्य अंडर-16, अब अंडर-19 का प्रतिनिधित्व किया है। यह देखकर अच्छा लगता है कि वह क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, जिसके प्रति वह वास्तव में जुनूनी है।”

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लड़के को बहुत कुछ सहना पड़ा

कर्नाटक के पूर्व कप्तान और कोच के जशवंत के अंडर में प्रखर पिछले छह वर्षों से ट्रेनिंग ले रहे हैं। उनका का मानना है कि यह पारी उनके सभी आलोचकों को चुप करा देगी। उन्होंने कहा, ” लड़के को बहुत कुछ सहना पड़ा है। वह राज्य अंडर-19 टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। बहुत से लोगों को उनकी क्षमता पर विश्वास नहीं था। वह हमारे लिए बहुत अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। अंडर-19 ही नहीं, उन्हें अंडर-16 के लिए भी नहीं चुना गया। हमें चयनकर्ताओं के सामने एक प्रेजेंटेशन देनी पड़ी ताकि उन्हें विश्वास दिलाया जा सके कि वह एक बेहतरीन क्रिकेटर है।”

नहीं चुने जा रहे थे प्रखर

कोच जशवंत ने कहा,” मैं समझता हूं कि बहुत प्रतिस्पर्धा है। आप चयनकर्ताओं को दोष नहीं दे सकते। किसी खिलाड़ी की क्षमता देखने के लिए कोच या चयनकर्ता के पास एक दूरदृष्टि होनी चाहिए। आप आंकड़ों पर भरोसा नहीं कर सकते। कंप्यूटर भी यह काम कर सकता है। प्रखर प्रदर्शन कर रहा था, लेकिन उसे नहीं चुना जा रहा था। वे अलग-अलग कारण बताते थ। अब उसने दिखा दिया कि वह किस चीज से बना है।”

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कर्नाटक की 15 सदस्यीय टीम में जशवंत के 7 शिष्य

कोच को इस बात पर भी गर्व है कि कर्नाटक की 15 सदस्यीय टीम में से सात उनकी एकेडमी से हैं। वे कहते हैं, ”प्रखर चतुर्वेदी, ध्रुव प्रभाकर, समित द्रविड़, अगस्त्य राजू, समर्थ, युवराज अरोड़ा प्लेइंग इलेवन में थे, जबकि कृषिव बजाज सब्स्टिट्यूट में थे।”

क्रिकेट के लिए 100 मीटर की यात्रा

प्रखर के पिता इस पारी का श्रेय अपने बेटे की कड़ी मेहनत को देते हैं, जो क्रिकेट के लिए हर दिन लगभग 100 किमी की यात्रा करता था। वह कहते हैं “हम इलेक्ट्रॉनिक सिटी में रहते हैं, जबकि एकेडमी 50 किमी दूर देवनहल्ली में है। यह शहर के दूसरे कोने पर है। उन्होंने अपना कठिन काम पूरा कर लिया है। हमने मैच टीवी पर भी देखा। मजा आया काफी। बहुत मारा इसने।