टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों ने जो इतिहास रचा है उसके बाद पूरे देश में अलग ही जुनून है। हर कोई अपने तरीके से जश्न मना रहा है और टोक्यो में इतिहास रचने वाले खिलाड़ियों को बधाइयां दे रहा है। इस बीच एक सुंदर स्केच सामने आया है। इसे बिहार के समस्तीपुर निवासी कुंदन कुमार रॉय ने बनाया है। इस स्केच की सबसे खास बात यह है कि इस रंग-बिरंगे स्केच को बनाने वाले कुंदन रॉय कलर ब्लाइंड हैं।
कुंदन ने जो स्केच बनाया है उसमें टोक्यो ओलंपिक के सभी पदक विजेता खिलाड़ियों को दर्शाया गया है। इस स्केच की खास बात है इसके रंगों का कॉम्बिनेशन और इसे देख कर आप विश्वास नहीं कर सकते हैं कि इसे किसे कलर ब्लाइंड इंसान ने बनाया है। जी हां, उस प्रतिभाशाली चित्रकार का नाम है कुंदन कुमार रॉय।
कुंदन ने जनसत्ता.कॉम से बात करते हुए बताया, ’मुझे कलर ब्लाइंडनेस (वर्णान्धता) है। मैं लाल, हरा, गुलाबी, भूरा, कत्थई, मरुन, नीला आदि कई रंगों को ठीक से देख नहीं पाता हूं। फ्रीस्टाइल पेंटिंग अक्सर मैं बिना किसी की मदद के बनाता हूं। कभी-कभी एक्चुअल कलर वाली पेंटिंग के लिए मैं अपनी बहन या भांजी की मदद लेता हूं।’
कुंदन की प्रतिभा का लोहा भारत सरकार भी मान चुकी है। उनकी कई पेंटिंग को अक्सर भारत सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाता है। ओलंपिक विजेताओं को सम्मान देने वाली पेंटिंग को भी मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से शेयर किया है। इसके अलावा 2021 में राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मतदाताओं को जागरूक करने के लिए बनाई गई पेंटिंग के लिए कुंदन रॉय को बिहार सरकार द्वारा पटना में राज्य स्तरीय पुरस्कार से भी नवाजा गया।
Building new narratives – The shared creation exhibits the imagination of Kundan Kumar Roy from Samastipur & how diverse the #MithilaPaintings are! This contemporary art of Mithila Paintings demonstrates the historic performance of our heroes at the Olympics. #AmritMahotsav pic.twitter.com/ulOa7HNgEy
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) August 8, 2021
बचपन में मां से मिली पेंटिंग की प्रेरणा
उन्होंने आगे बताया, ‘बचपन में अपनी माँ के पैर पर सुंदर डिजाइन बनाते-बनाते पेंटिंग सीखी। इसके बाद पद्मभूषण शारदा सिन्हा जी के गीतों पर आधारित मिथिला पेंटिंग बनाना शुरू कर दिया। मिथिला पेंटिंग बनाते-बनाते आगे चलकर पद्मभूषण शारदा सिन्हा जी को उनका खुद का एक चित्र भी बनाकर भेंट किया।’
MBA के बाद जॉब छोड़कर शुरू की पेंटिंग
कुंदन बचपन से ही आर्टिस्ट बनना चाहते थे। उन्होंने जीव विज्ञान से बीएससी पास की। फिर एमबीए की पढ़ाई भी की, लेकिन फिर भी उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ आर्ट में ही लगा हुआ था। भगवान अक्सर जब आपको कुछ देना चाहता है तो वह कुछ ना कुछ जिंदगी में ऐसे बदलाव जरूर करता है जिनसे आपको कष्ट होता है लेकिन आगे चलकर ये बदलाव ही आपकी जिंदगी को सफल बना देते हैं।
कुंदन के साथ भी ऐसा ही हुआ। कुंदन जिस वक्त नागपुर में जॉब कर रहे थे उसी बीच समस्तीपुर में रह रही उनकी मां काफी बीमार हो गईं। मां की बीमारी के चलते कुंदन को नागपुर में अपनी जॉब छोड़नी पड़ी। वे समस्तीपुर में आकर रहने लगे। यहीं से एक बार और उनको अपनी जिंदगी में मौका मिल चुका था खुद को आर्ट की दुनिया में आगे बढ़ाने का।

कलर ब्लाइंडनेस जैसे जेनेटिक डिसॉर्डर से लगातार जूझने वाले कुंदन ने बताया कि, ‘कलर ब्लाइंडनेस कोई दिव्यांगता नहीं है लेकिन फिर भी ऐसी बीमारी है जिसके चलते वे कई बार कई सरकारी नौकरियों के फॉर्म नहीं भर पाए। कुछ लोग मेरे कार्यों को नमन करते हैं, सम्मान करते हैं तो कुछ लोग हंसते हैं, उपहास करते हैं और कहते हैं कि आधुनिकता के इस दौर मे एक आर्टिस्ट का भविष्य क्या होगा? लेकिन लोगों के उपहास से बढ़ता है मेरा आत्मविश्वास। मैं अपने कर्तव्य पथ पर चलता जा रहा हूं निरंतर।’
कुंदन ने अपने सपने के बारे में बताते हुए कहा कि,’मैं अपनी मतदाता जागरूकता पर बनी पेटिंग माननीय प्रधानमंत्री जी को भेंट कर, उनसे आशीर्वाद लेना चाहता हूं और अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अपने राष्ट्र के लिए, युवाओं के उत्थान के लिए, समाज के लिए और कला के क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित करना चाहता हूं। समस्तीपुर को कला के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाना चाहता हूं। जो मेरा बहुत बड़ा सपना है।‘
कहते हैं कि अगर आपके अंदर कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो फिर कोई भी चीज आपकी राह में बाधा नहीं बन सकती। ऐसा ही करके दिखाया कुंदन ने। जिन्होंने कलर ब्लाइंडनेस को अपनी ताकत बना लिया और रंगों से ही अपनी नई पहचान बना ली। आज कुंदन सफल आर्टिस्ट के साथ-साथ एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं जो लोगों को अपनी तरह लड़ने का हौसला रखने की प्रेरणा देते हैं।