दक्षिण अफ्रीका के स्टार बल्लेबाज एबी डिविलियर्स ने गुरुवार को कहा कि वे मैदान पर भद्रजन नहीं है और अगर जरूरत हुई तो वे छींटाकशी में किसी भी हद तक जा सकते हैं और ‘विराट कोहली’ जैसे खिलाड़ियों की बल्लेबाजी की मामूली खामी पर बात करके उन्हें परेशान कर सकते हैं। भारत के खिलाफ शनिवार से शुरू हो रहे दूसरे टैस्ट के साथ 100 टैस्ट खेलने की उपलब्धि हासिल करने वाले डिविलियर्स को क्रिकेटरों के बीच दोस्ताना खिलाड़ी माना जाता है लेकिन डिविलियर्स ने कहा कि क्रिकेट के मैदान पर प्रवेश करने के बाद वे किसी को नहीं बख्शते।

उन्होंने कहा कि मैं मैदान पर किसी को नहीं बख्शता। मैं मैच जीतना चाहता हूं। मैं ऐसा कुछ भी करने के लिए तैयार हूं जिससे कि हम मैच जीतें। अगर इसके लिए मुझे छींटाकशी करनी पड़े तो मैं इसका हिस्सा बनने के लिए भी तैयार हूं। अगर जरू री हुआ तो मैं खिलाड़ी को परेशान करने का प्रयास भी करूंगा। मैं विराट की तकनीक और उसकी मामूली खामियों पर बात करके उन्हें परेशान करने का प्रयास करूंगा। क्रिकेट मैच जीतने का सवाल हो तो मुझे इस तरह की चीजें करने में कोई परेशानी नहीं है।

डिविलियर्स ने कहा कि मैंने कभी ऐसे खिलाड़ी का सम्मान नहीं किया जो मैदान पर भला इंसान हो। मैं चाहता हूं कि विरोधी कड़ा क्रिकेट खेले, अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए खेले। मैदान के बाहर मैं अच्छा इंसान बनने की कोशिश करता हूं और इसका क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं है। मुझे टीम में मेरी भूमिका पता है और यह मेरी टीम के लिए मैच जीतना है। कई बार ऐसा करने के लिए मुझे भद्रजन नहीं बनना होता। डिविलियर्स ने कहा कि अन्य खेलों का हिस्सा रहने से भी उन्हें वैसा क्रिकेटर बनने में मदद मिली जैसे वे आज हैं।

इस स्टार खिलाड़ी ने रग्बी, फुटबॉल, हॉकी और बैडमिंटन जैसे खेलों में सफलता हासिल करने के बाद क्रिकेट को करियर के रूप में अपनाया और मौजूदा क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज ने कहा कि इन खेलों का हिस्सा होने से उन्हें अन्य खिलाड़ियों से आगे निकलने में मदद मिली। डिविलियर्स ने संवाददाताओं से कहा कि बचपन में कई तरह के खेलों का हिस्सा रहने के कारण मुझे वह क्रिकेटर बनने में मदद मिली जो मैं आज हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं इससे इनकार कर सकता हूं। मैंने खेल के दीवाने अपने परिवार में काफी खेल खेले। मेरे दो बड़े भाई मुझे हमेशा कई तरह के खेलों में व्यस्त रखते थे।

उन्होंने कहा कि मेरे माता पिता कभी मेरे विभिन्न खेल खेलने के खिलाफ नहीं थे। उन्हें मुझे हमेशा स्वयं फैसले करने दिए और यह बड़े होते हुए बहुमूल्य सबक था। उन्होंने मुझे मेरे पंख फैलाने और अपनी मर्जी से काम करने की स्वीकृति दी। क्रिकेट से जुड़ना पूरी तरह से मेरा फैसला था।

डिविलियर्स ने कहा कि मुझे लगता है कि मेरे पिता मुझे डाक्टर बनते हुए देखना या विश्वविद्यालय जाकर डिग्री हासिल करते हुए देखना पसंद करते लेकिन बेशक मैं आज जहां हूं और मैंने जो करिअर चुना और मैंने अपने क्रिकेट से जो हासिल किया उससे उन्हें खुशी होगी। ऐसा ही मेरी मां के साथ है, उनकी ओर से कोई दबाव नहीं था। मेरे परिवार ने मुझे अपनी प्रतिभा जाहिर करने के काफी मौके दिए।