केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे और ग्वालियर संभाग क्रिकेट संघ (जीडीसीए) के उपाध्यक्ष महानआर्यमन सिंधिया को मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। इसके साथ ही, ग्वालियर के पूर्व राजघराने की तीसरी पीढ़ी के 29 वर्षीय वंशज के सूबे के क्रिकेट संगठन की कमान संभालने का रास्ता साफ हो गया। अब महानआर्यमन वर्ष 1957 में स्थापित एमपीसीए के इतिहास के सबसे युवा अध्यक्ष के रूप में इस संगठन की बागडोर संभालने के लिए तैयार हैं।
पूरी कार्यकारिणी सर्वसम्मति से चुनी गई
एमपीसीए के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सीएओ) रोहित पंडित ने सोमवार एक सितंबर 2025 को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि एमपीसीए चुनावों में अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी के सभी पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। इस तरह पूरी कार्यकारिणी सर्वसम्मति से चुन ली गई है। उन्होंने बताया कि एमपीसीए की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी पर दो सितंबर (मंगलवार) को आयोजित वार्षिक साधारण सभा (एजीएम) में अंतिम मुहर लग जाएगी। इसके बाद कार्यकारिणी के पदाधिकारी अपना कार्यभार संभालेंगे।
रोहित पंडित ने बताया कि एमपीसीए की नई कार्यकारिणी में विनीत सेठिया उपाध्यक्ष, सुधीर असनानी सचिव, अरुंधति किरकिरे संयुक्त सचिव और संजीव दुआ कोषाध्यक्ष चुने गए हैं। एमपीसीए की प्रबंध समिति के नवनिर्वाचित सदस्यों में संध्या अग्रवाल, प्रसून कनमड़ीकर, राजीव रिसोड़कर और विजेश राणा शामिल हैं। वहीं क्रिकेट समिति में प्रदीप बनर्जी, रमणीक पटेल और अभय लघाटे को जगह दी गई है। एमपीसीए के निवर्तमान अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर ने कहा, पिछले छह साल के दौरान एमपीसीए ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। मुझे उम्मीद है कि महानआर्यमन सिंधिया के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित कार्यकारिणी एमपीसीए को नयी ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
क्रिकेट के गलियारों में महानआर्यमन की सक्रियता गुजरे तीन वर्षों में लगातार बढ़ती देखी गई है। महानआर्यमन 2022 में जीडीसीए के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए थे। उन्हें 2022 में ही एमपीसीए का आजीवन सदस्य बनाया गया था। महानआर्यमन सूबे की टी20 क्रिकेट लीग मध्यप्रदेश लीग (एमपीएल) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने 2024 में गृहनगर ग्वालियर से एमपीएल की शुरुआत की थी।
सिंधिया परिवार का कई दशकों से MPCA में वर्चस्व
वैसे सिंधिया परिवार लम्बे वक्त से सूबे के क्रिकेट प्रशासन में है। एमपीसीए पर इस परिवार का पिछले कई दशकों से वर्चस्व बरकरार है। महानआर्यमन के पिता पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिवंगत दादा माधवराव सिंधिया भी एमपीसीए के अध्यक्ष रह चुके हैं। मध्यप्रदेश सरकार के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एमपीसीए में सिंधिया परिवार के वर्चस्व को 15 साल पहले चुनौती दी थी। हालांकि, एमपीसीए में कैलाश विजयवर्गीय गुट और ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे की खींचतान पहले ही खत्म हो चुकी है।
2010 में ज्योतिरादित्य ने कैलाश विजयवर्गीय गुट का किया था सूपड़ा साफ
एमपीसीए के वर्ष 2010 के चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय के बीच सीधी भिड़ंत हुई थी। भारी खींचतान के बीच हुए इन चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एमपीसीए अध्यक्ष पद पर विजयवर्गीय को 70 वोटों से हराया था। इन चुनावों में शक्तिशाली सिंधिया खेमे ने नए-नवेले विजयवर्गीय गुट का सूपड़ा साफ करते हुए कार्यकारिणी के सभी प्रमुख पदों पर कब्जा जमाया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया तब केंद्र की कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री थे। वहीं, विजयवर्गीय प्रदेश की भाजपा सरकार में इसी विभाग के काबीना मंत्री का ओहदा संभाल रहे थे।
लोढ़ा समिति की सिफारिशों के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया और संजय जगदाले सरीखे वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासकों को एमपीसीए के अपने अहम ओहदे जनवरी 2017 में छोड़ने पड़े थे, क्योंकि तब दोनों को इस संगठन की प्रबंध समिति के अलग-अलग पदों पर रहते हुए नौ साल से अधिक का समय हो गया था। नतीजतन वे लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक इस संगठन में पद संभालने के लिए अपात्र हो गए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
