जुनैद हुसैन खान

खिलाड़ी : दीपक कुमार
अभ्यास करने तक की सुविधाएं नहीं

दीपक राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर मनेर के रहने वाले हैं। स्कूली दिनों में शौकिया तौर पर इस खेल को अपनाने वाले दीपक अब इसमें माहिर खिलाड़ी हैं। उनके लिए राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना आसान नहीं था। जिस देश में खेल को सिर्फ नौकरी पाने का जरिया मान लिया गया हो वहां जुडोका बनना काफी मुश्किल है। दीपक ने इसे अलग नजरिए से देखा और अपने शौक को पूरा करने के लिए खूब मेहनत की। उनके प्रदर्शन की बदौलत उन्हें खेलो इंडिया युवा खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। दीपक बताते हैं कि हम राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच तो गए लेकिन हमें उस स्तर की सुविधाएं अभी तक मुहैया नहीं कराई गई हैं। हमे आज भी अस्थाई मैट पर ही अभ्यास करना पड़ता है। दीपक पहली बार जब राष्ट्रीय खेलों में मैट पर खेल रहे थे तो यहां उनका टिके रहना काफी कठिन था। हालांकि उन्होंने लगभग चार मिनट तक खुद को विरोधी के सामने जमाए रखा। अंतिम 10 सेकंड में हार गए। वहीं खेलों इंडिया में वे क्वालीफीकेशन राउंड के बाद से ही बाहर हो गए। दीपक राज्य सरकार की ओर से मिल रही सुविधाओं को अपर्याप्त बताते हुए कहते हैं कि जब हमें अभ्यास के लिए उचित स्थान ही नहीं मिलेगा तो हम पांच मिनट और कैसे खेलेंगे।

खिलाड़ी : जयदीप कुमार
राष्ट्रीय खेल में उतरे तो नियम तक नहीं पता था

जयदीप भी मनेर के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि खेलों इंडिया में जो छह खिलाड़ी राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उनमें से तीन मनेर के ही हैं। जूडो को शुरुआत में कुश्ती या कराटे प्रतियोगिता समझने वाले जयदीप का इस खेल में आगे बढ़ने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। जयदीप स्कूल के दिनों में जब इस प्रतियोगिता से वाकिफ हुए तब राज्य स्तर के लिए उनके भारवर्ग में कोई भी खिलाड़ी नहीं था जिससे वे बगैर खेले ही आगे बढ़ गए। उन्होंने राष्ट्रीय खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया। देहरादून में हो रहे नेशनल्स गेम्स में जब वे उतरे तो उन्हें इस खेल के नियमों के बारे में भी जानकारी नहीं थी। राज्य स्तर की प्रतियोगिता और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के बीच दो महीने का फासला था और इस बीच किसी कोच या मेंटर ने उन्हें यह नहीं बाताया कि उन्हें क्या डाइट लेनी चाहिए। जब वे राष्ट्रीय खेलों में उतरे तो उनका वजन काफी ज्यादा था जिसके कारण उन्हें बाहर होना पड़ा। यह घटना अपने आप में राज्य में खेल की स्थिति की गवाही देती है। हालांकि अगली बार उन्होंने खुद से इन बातों का ख्याल रखा और राष्ट्रीय खेलों में जीत हासिल की। इसके साथ ही खेलो इंडिया के लिए क्वालीफाई किया।

जूडो के लिए न तो कोई मैदान और न ही कोई अकादमी: बिहार के जूडो खिलाड़ियों के पास अभ्यास के लिए राज्य सरकार द्वारा बहुत ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। लगातार प्रयास के बाद राज्य सरकार ने अब जाकर अस्थाई तौर पर सिर्फ मैट मुहैया कराया है। जूडो बिहार के सचिव राम उदय सिंह ने खिलाड़ियों के लिए अपने घर और बिहार राज्य जूडो संघ के कार्यालय के पास ही एक अस्थाई मैदान पर ट्रेनिंग सेंटर का इंतजाम किया है। हालांकि राज्य के अन्य जिलों से खिलाड़ियों का यहां अभ्यास के लिए आना और रहना काफी मुश्किल होता है।