भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ समय से हितों के टकराव ( conflict of interest) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पूर्व कप्तान कपिल देव, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज से इस मामले में पूछताछ हो चुकी है। अब भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली जिस कंपनी में इंवेस्ट किया है उसे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने अपना किट स्पॉन्सर और मर्चेंडाइज पार्टनर बनाया है।

बोर्ड ने 17 नवंबर 2020 को MPL Sports को किट स्पॉन्सर और मर्चेंडाइज पार्टनर बनाया था। विराट कोहली को बेंगलुरू स्थित कंपनी गैलेक्टस फनवेयर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने 33.32 लाख रुपए कन्वर्टिबल डिबेंचर आवंटित किया गया था। ये कंपनी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) की मालिक है। गैलेक्टस एम-लीग पीटीई लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है, जो अप्रैल 2018 में सिंगापुर में पंजीकृत हुई थी। एमपीएल स्पोर्ट्स ने बीसीसीआई के साथ तीन साल का समझौता किया है। एमपीएल स्पोर्ट्स सीनियर मेन्स टीम, वुमन्स टीम और अंडर-19 टीम की जर्सी का स्पॉन्सर है।

कोहली जनवरी 2020 में एमपीएल के ब्रांड एम्बेसडर बने थे। उन्होंने उससे पहले भी इसका विज्ञापन किया था। कोहली को 10 रुपए के फेस वैल्यू के साथ 68 सीसीडी (कन्वर्टिबल डिबेंचर) आवंटित किए गए थे। सबको 48,990 रुपए (33.32 करोड़ रुपए) के प्रीमियम पर जारी किया गया था। ये कन्वर्टिबल डिबेंचर 10 साल के बाद इक्विटी शेयरों में बदल जाएंगे। इसका रूपांतरण अनुपात 1: 1 होगा यानी एक डिबेंचर के लिए एक इक्विटी शेयर। इसके बाद कंपनी में कोहली की 0.051 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।

बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारतीय बोर्ड को इस बात की जानकारी नहीं थी कि कोहली की एमपीएल में हिस्सेदारी है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘‘हम खिलाड़ियों के निवेश को ट्रैक नहीं कर सकते हैं।’’ बीसीसीआई के एक अन्य सदस्य ने कहा, ‘‘वह (कोहली) भारतीय क्रिकेट में एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस तरह के अंतर-कनेक्शन सुशासन के लिए आदर्श नहीं हैं।’’ इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले में एमपीएल के को-फाउंडर और सीईओ साई श्रीनिवास किरन को फोन और मैसेज दोनों किए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।