भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने पिछले महीने अहमदाबाद में ग्रुप डी यानी महिला और जूनियर मैचों में अंपायरिंग करने के लिए परीक्षा का आयोजन किया था। इसमें 140 अभ्यर्थियों में से केवल 3 ही पास हो पाए। बता दें कि ग्रुप डी बोर्ड के एलीट अंपायरों की सूची जगह बनाने और इंटरनेशनल क्रिकेट में अंपायरिंग करने के लिए यह पहला कदम होता है।

क्या गेंदबाज चोट लगने पर उंगली में पट्टी बांधकर गेंदबाजी कर सकता है? अगर पवेलियन, पेड़ या फील्डर की परछाई पिच पर पड़ने लगे और बल्लेबाज शिकायत करे तो आप क्या करेंगे? बल्लेबाज शॉट खेलता है और गेंद शॉट लेग पर खड़े फील्डर के हेलमेट पर लगती है। हेलमेट उसके सिर से निकल जाता है और गेंद कैच कर लिया जाता है। बल्लेबाज को आउट देंगे या नहीं? ऐसे ही कुछ सवाल परीक्षा में पूछे गए थे।

इनमें से पहले सवाल का जवाब है- पवेलियन या पेड़ की छाया को नोटिस में नहीं लेना चाहिए। फील्डर्स को स्थिर रहने के लिए कहा जाना चाहिए, नहीं तो अंपायर को डेड बॉल दे देना चाहिए। दूसरे सवाल का जवाब है- गेंदबाज को अगर गेंदबाजी करनी है तो उसे पट्टी हटानी होगी। तीसरे सवाल के मामले में सही निर्णय “नॉट आउट” है।

परीक्षा को पास करने के लिए 200 में (लिखित परीक्षा – 100, वाइवा और वीडियो – 35 और फिजिकल – 30 मार्क्स) से 90 अंक लाने थे। महामारी के बाद यह पहली बार था कि बोर्ड ने अंपायरिंग के लिए परीक्षा कराया। वीडियो टेस्ट में मैच के फुटेज और विशेष परिस्थितियों में अंपायरिंग पर प्रश्न थे। अधिकांश ने फिजिकल में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन लिखित परीक्षा में ऐसा नहीं हुआ।

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मानक ऐसा रखा गया था कि केवल सर्वश्रेष्ठ योग्यता प्राप्त व्यक्ति ही आगे बढ़े। उन्होंने कहा, “अंपायरिंग एक कठिन काम है। इसके लिए जुनून रखने वाले ही आगे बढ़ सकते हैं। राज्य संघों द्वारा भेजे गए उम्मीदवार योग्य नहीं थे। यदि वे बोर्ड के मैच में अंपायरिंग करना चाहते हैं तो उन्हें ज्ञान होना चाहिए।” घरेलू अंपायरों की खराब गुणवत्ता की बार-बार शिकायतों के बाद परीक्षा का आयोजन हुआ था। बोर्ड भारतीय अंपायरों के स्तर को ऊपर ले जाना चाहता है। पिछले आईपीएल सीजन में भारतीय अंपायरों ने काफ गलतियां की और उन्हें पूर्व खिलाड़ियों की भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था।