इंटरनेशनल और घरेलू मैचों में टाइटल स्पॉनसरशिप के अधिकारों के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आवेदन मांगे हैं। बीसीसीआई इसके लिए टेंडर प्रक्रिया का इस्तेमाल करने जा रही है। बोर्ड ने इसके लिए अपने जारी बयान में कहा कि टेंडर आवेदन प्रक्रिया (ITT)के तहत जो भी सबसे ज्यादा बोली लगाएगा उसे बीसीसीआई के इंटरनेशनल और डोमेस्टिक मैचों के लिए टाइटल स्पॉनसरशिप के अधिकार दिए जाएंगे। इस टेंडर की समयावधि 1 सितंबर 2019 से 31 मार्च 2023 तक के लिए होगी। अनुमान है कि इस बार बोली की रकम 300 करोड़ तक जा सकती हैं।

विज्ञप्ति के अनुसार, आवेदनों की समीक्षा, इसके लिए योग्य बोलीकर्ता के बारे में सभी जानकारी आईटीटी में दी गई है जिसे बीसीसीआई की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके लिए आवेदकों को पांच लाख रुपए की फीस के साथ आवेदन करना होगा जिसकी आखिरी तारीख 14 अगस्त 2019 है। वहीं, 19 अगस्त को 11 बजे तक ऑनलाइन भी आवेदन किए जा सकते हैं। ऑनलाइन नीलामी (यदि आवश्यक हुई) तो 21 अगस्त को की जाएगी। बता दें कि बीसीसीआई के पास किसी आवेदन को बिना कारण दिए रद्द करने का अधिकार है। आईटीटी खरीदने का अर्थ यह नहीं है कि नीलामी में भाग लेने वाले उम्मीदवार या कंपनी को नीलामी प्रक्रिया में शामिल ही किया जाएगा।

300 करोड़ तक जा सकती है बोलीः बीसीसीाई के स्पॉनसरशिप की अगर बात करें तो एयरटेल ने जब 2013 में अपने तीन साल के अनुबंध को आगे बढ़ाने से मना किया था तो उसकी रकम को गहरा धक्का लगा था। 2010 से लेकर 2013 तक एयरटेल ने भारत में हुए प्रत्येक इंटरनेशनल मैच के लिए 3.3 करोड़ रुपये दिए थे। वहीं, इसके बाद अगले साल के लिए स्टार इंडिया ने केवल 2 करोड़ रुपये में ही ये डील की। इसके बाद मोबाइल कंपनी माइक्रोमैक्स ने 2014 में इसकी रकम बढ़ाते हुए 2.2 करोड़ रुपये हर मैच तक पहुंचाया। इसके बाद पेटीएम ने अभी हर मैच के लिए 2.42 करोड़ रपये का भुगतान कर रहा है। पेटीएम ने 4 साल की इस डील में 203.28 करोड़ रुपये खर्चे। ऐसे में अब अनुमान है कि जिस हिसाब से अबतक ग्रोथ हुई है इसकी बोली 300 करोड़ तक पहुंच जाएगी।